शेर का हिस्सा

शेर का हिस्सा

एक घनघोर जंगल था। उस जंगल में अनेक जानवर रहते थे। एक दिन रीछ, भेडि़या, लोमड़ी तथा शेर साथ-साथ शिकार करने निकले। शेर इन सब का अगुआ था। शीघ्र ही उन्होंने एक भैंस पर हमलाकर उसे मार ड़ाला। लोमड़ी ने भैंस के चार हिस्से किए। सभी जानवर अपना-अपना हिस्सा खाने के लिए बेताब हो रहे थे।

तभी शेर ने दहाड़ते हुए कहा, “सब लोग शिकार से दूर हट जाओ और मेरी बात सुनो। शिकार का पहला हिस्सा मेरा है। क्योंकि शिकार करने में मैं तुम लोगों का सहयोगी था। दूसरे हिस्से पर भी मेरा ही अधिकार है। क्योंकि शिकार करने में मैं तुम लोगो का अगुआ था। तीसरा हिस्सा भी मेरा ही है। क्योकी यह हिस्सा मुझे अपने बच्चो के लिए चाहिए। अब रहा चौथा हिस्सा! यदि तुम में से किसी को यह हिस्सा चाहिए, तो आ जाओ,मुझसे लड़ाई में जीतकर ले जाओ अपना हिस्सा।
रीछ,भेडि़या और लोमड़ी नें चारो हिस्से शेर को दे दिए और वहाँ से चुपचाप खिसक गए।

शिक्षा -जिसकी लाठी उसकी भैंस