खरगोश और उसके मित्र
एक खरगोश था। उसके अनेक मित्र थे। वह हमेशा अपने मित्रों से मिलता और उनके साथ गपशप भी करता। हौके-मौके वह उनकी मद्द भी करता। मगर एक दिन खरगोश खुद संकट में पड़ गया। कुछ शिकारी कुत्ते उसका पीछा करने लगे। यह देखकर खरगोश जान बचाने के लिए सरपट भागने लगा।
भागते-भागते खरगोश का दम फूलने लगा। वह थककर चूर हो गया। मौका देखकर वह एक घनी झाड़ी में घुस गया और वहीं छिपकर बैठ गया। पर उसे यह ड़र सता रहा था कि कुत्ते किसी भी क्षण वहाँ आ पहुँचेंगे और सूँघते-सूँघते उसे ढूँढ़ निकालेंगे। वह समझ गया कि यदि समय पर उसका कोई मित्र न पहुँच सका, तो उसकी मृत्यु निश्चित है।
तभी उसकी नजर अपने मित्र घोड़े पर पड़ी। वह रास्ते पर तेजी से दौड़ता हुआ जा रहा था।
खरगोश नें घोड़े को बुलाया तो घोड़ा रुक गया। उसने घोड़े से प्रार्थना की, “घोड़े भाई, कुछ शिकारी कुत्ते मेरे पीछे पड़े हुए हैं। कृपया मुझे अपनी पीठ पर बिठा लो और कहीं दूर ले चलो। अन्यथा ये शिकारी कुत्ते मुझे मार ड़ालेगे।
घोड़े नें कहा, “प्यारे भाई! मैं तुम्हारी मद्द तो जरुर करता, पर इस समय मैं बहुत जल्दी में हूँ। वह देखो तुम्हारा मित्र बैल इधर ही आ रहा है। तुम उससे कहो। वह जरुर तुम्हारी मद्द करेगा।” यह कहकर घोड़ा तेजी से सरपट दौड़ता हुआ चला गया।
खरगोश ने बैल से प्रार्थना की, “बैल दादा, कुछ शिकारी कुत्ते मेरा पीछा कर रहे हैं। कृपया आप मुझे अपनी पीठ पर बिठा ले और कहीं दूर ले चले। नहीं तो कुत्ते मुझे मार ड़ालेंगें।”
बैल ने जवाब दिया,”भाई खरगोश! मैं तुम्हारी मद्द जरुर करता। पर इस समय मेरे कुछ दोस्त बड़ी बेचैनी से मेरा इंतजार कर रहे होंगे। इसलिए मुझे वहाँ जल्दी पहुँचना है। देखो, तुम्हारा मित्र बकरा इधर ही आ रहा है। उससे कहो, वह जरुर तुम्हारी मद्द करेगा। यह कहकर बैल भी चला गया।”
खरगोश ने बकरे से विनती की, “बकरे चाचा, कुछ शिकारी कुत्ते मेरा पीछा कर रहे हैं। तुम मुझें अपनी पीठ पर बिठाकर कहीं दूर ले चलो, तो मेरे प्राण बच जाएँगे। वरना वे मुझे मार ड़ालेंगे।”
बकरे ने कहा, “बेटा, मैं तुम्हें अपनी पीठ पर दूर तो ले जाऊँ, पर मेरी पीठ खुरदरी है। उस पर बैठने से तुम्हारे कोमल शरीर को बहूत तकलीफ होगी। मगर चिंता न करो। देखो, तुम्हारी दोस्त भेड़ इधर ही आ रही है। उससे कहोगे तो वह जरुर तुम्हारी मद्द करेगी।” यह कहकर बकरा भी चलता बना।
खरगोश ने भेड़ से भी मद्द की याचना की, पर उसने भी खरगोश से बहाना करके अपना पिंड़ छुड़ा लिया।
इस तरह खरगोश के अनेक पुराने मित्र वहाँ से गुजरे। खरगोश ने सभी से मद्द करने की प्रार्थना की, पर किसी ने उसकी मद्द नहीं की। सभी कोई न कोई बहाना कर चलते बने। खरगोश के सभी मित्रो ने उसे उसके भाग्य के भरोसे छोड़ दिया।
खरगोश ने मन-ही-मन कहा, अच्छे दिनों में मेरे अनेक मित्र थे। पर आज संकट के समय कोई मित्र काम नहीं आया। मेरे सभी मित्र केवल अच्छे दिन के ही साथी थे।
थोड़ी देर में शिकारी कुत्ते आ पहुँचे। उन्होंने बेचारे खरगोश को मार ड़ाला। अफसोस की बात है कि इतने सारे मित्र होते हुए भी खरगोश बेमौत मारा गया।
शिक्षा -स्वार्थी मित्र पर विश्वास करने से सर्वनाश ही होता है।