पिपहरीवाला और गाँव के लोग

पिपहरीवाला और गाँव के लोग

एक गाँव मे हजारो चूहे थे। गाँव मे ऐसी कोई जगह नही थी जहाँ चूहे ना हो। ये चूहे ढे़रो अनाज खा जाते थे। घर का समान कपड़े कागज पत्र सब कुछ वे कुतर डालते थे। चूहो के कारण गाँव के लोगो को काफी नुकसान उठाना पड़ता था। वे किसी तरह चूहो से छुटकारा पाना चाहते थे। एक दिन पिपहरीवाला उस गाँव मे आया। उसने देखा कि गाँव के लोग चूहो से त्रस्त है। अत उसने गाँव के लोगो से कहा “मै गाँव के सारे चूहो को खत्म कर दूँगा। पर इसके लिए तुम लोगो को मुझे पाँच हजार रूपए देने होगे।” गाँववाला ने पिपहरीवाले को पाँच हजार रूपए देना मंजूर कर लिया। पिपहरीवाला मधुर स्वर मे अपनी पिपहरी बजाने लगा। पिपहरी की अवाज सुनकर सभी चूहे घरो दुकानो गोदामो तथा खेतो खलियानो से निकलकर दौड़ते हुए रास्ते पर आ गए। वे पिपहरी की अवाज सुनकर नाचने लगे। पिपहरी बजाने वाला नदी की ओर चल पडा़। चूहे भी नाचते नाचते उसके पीछे पीछे चल पड़े। वह नदी के पानी मे उतर गया। उसके पीछे चूहे भी पानी मे कूदगए। इस तरह सारे चूहे पानी मे कूदकर मर गए।

इसके बाद पिपहरीवाला गाँव मे लौटा। उसने गाँव वालो से अपने पाच हजार रूपए माँगे। पर गाँववालो ने पैसे देने से इनकार कर दिया। पिपहरीवाले ने कहा “तुम लोग बेईमान हो, अब मै फिर से पिपहरी बजा रहा हूँ। इसबार तुमलोगो को पाँच हजार के बजाए दस हजार देने पड़ेगे।” उसने पहले से भी मधुर पिपहरी बजानी शुरू की। पिपहरी की अवाज सुनकर गाँव के सारे बच्चे रास्ते पर आ गए और मस्त होकर नाचने लगे। पिपहरीवाला पिपहरी बजाता रहा बच्चे मस्ती मे नाचते रहे बहुत देर तक यों ही चलता रहा। गाँव के लोग न पिपहरीवाले को पिपहरी बजाने से रोक सके और न ही बच्चो को नाचने से। गाँव के लोगो को लगा कि चूहो कि तरह उनके बच्चो के भी नाचते नाचते प्राण ना निकल जाँए। उन्हे अब पिपहरीवाले को पैसे ना देने का बड़ा पछतावा हुआ।
आखिरकार गाँववालो ने पिपहरीवाले से विनती की। “ये रहे तुम्हारे दस हजार रूपए अपने पैसे लो और पिपहरी बजाना बंद करो।”

पिपहरीवाले ने पिपहरी बजाना बंद कर दिया। पैसे अपनी जेबमे डालकर वह गाँव से चल पड़ा। पिपहरी की अवाज बंद होते ही बच्चो ने नाचना बंद कर दिया। वे अपने अपने घर लौट गए। गाँव के लोगो मे खुशी की लहर दौड़ गई।

शिक्षा -बेईमानी की सजा हमेशा बहुत भारी होती है।