पहाड़ और चूहा

 

पहाड़ और चूहा

एक बार पहाड़ और चूहे में बहस छिड़ गई। दोनों अपनी-अपनी बहादुरी की ड़ींग हाँकने लगे।
पहाड़ ने कहा, “तुम बहुत ही असहाय और तुच्छ प्राणी हो!”
चूहे ने जवाब दिया, मुझे पता है, मैं तुम्हारे जितना बड़ा नहीं हूँ। पर एक बात है तुम भी तो मेरे जितने छोटे नहीं हो।
पहाड़ ने कहा, “इससे क्या हुआ? बड़े कद के बड़े फायदे हैं। मैं आकाश में उमड़ते-घुमड़ते बादलों को भी रोक सकता हूँ।”
चूहे़ ने कहा, “तुम आकाश के बादलों को जरुर रोक सकते हो। पर मैं अपनें नन्हे-नन्हे दाँतों से तुम्हारी जड़ में बड़े-बड़े बिल खोद ड़ालता हूँ। लेकिन तुम मुझे रोक नहीं सकते। बोलो, क्या रोक सकते हो?

नन्हे चूहे़ ने अपनी चतुराई से पहाड़ का मुँह बंद कर दिया।

शिक्षा -छोटा हो या बड़ा, अपनी-अपनी जगह सब महत्वपूर्ण होते हैं।

एक बार पहाड़ और चूहे में बहस छिड़ गई। दोनों अपनी-अपनी बहादुरी की ड़ींग हाँकने लगे।
पहाड़ ने कहा, “तुम बहुत ही असहाय और तुच्छ प्राणी हो!”
चूहे ने जवाब दिया, मुझे पता है, मैं तुम्हारे जितना बड़ा नहीं हूँ। पर एक बात है तुम भी तो मेरे जितने छोटे नहीं हो।
पहाड़ ने कहा, “इससे क्या हुआ? बड़े कद के बड़े फायदे हैं। मैं आकाश में उमड़ते-घुमड़ते बादलों को भी रोक सकता हूँ।”
चूहे़ ने कहा, “तुम आकाश के बादलों को जरुर रोक सकते हो। पर मैं अपनें नन्हे-नन्हे दाँतों से तुम्हारी जड़ में बड़े-बड़े बिल खोद ड़ालता हूँ। लेकिन तुम मुझे रोक नहीं सकते। बोलो, क्या रोक सकते हो?

नन्हे चूहे़ ने अपनी चतुराई से पहाड़ का मुँह बंद कर दिया।

शिक्षा -छोटा हो या बड़ा, अपनी-अपनी जगह सब महत्वपूर्ण होते हैं।