राजा की परीक्षा
आज संत कबीर दास की जयंती है। शुभकामनाएं।
इस शुभ अवसर पर हम आपके साथ उनके जीवन का एक प्रेरक प्रसंग आपके साथ साझा कर रहे हैं।
राजा की परीक्षा
सादा-जीवन और उच्च विचार रखने वाले कबीर दास की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी और बनारस के राजा बीर सिंह भी कबीर दास जी के भक्तों में से एक थे। जब कभी कबीरदास राजा से मिलने जाते तो राजा स्वयं कबीर दास जी के चरणों में बैठ जाते और उन्हें राज-गद्दी पर बैठा देते।एक दिन कबीर दास ने सोचा की बीर सिंह की परीक्षा ली जाए कि क्या वो सचमुच इतने बड़े भक्त हैं जितना कि उनके व्यवहार से नज़र आता है या यह दिखावा मात्र है।
अगले ही दिन वे बनारस के बाज़ारों में एक मोची और एक महिला भक्त , जो कि पहले वेश्या थी के साथ राम नाम जपते निकल पड़े। और साथ ही उन्होंने अपने हाथ में दो बोतलें पकड़ लीं जिसमे रंगीन पानी था पर देखने से शराब प्रतीत होता था।
कबीर दास के ऐसा करने से उनके शत्रुओं को उनपर ऊँगली उठाने का मौका मिल गया , शहर भर में उनका विरोध होने लगा और उनके शारब की बोतलें हाथ में लिए एक मोची और वेश्या के साथ इस तरह शहर में घूमने की खबर राजा तक भी पहुंची।
कुछ समय बाद कबीर दास जी योजना अनुसार राज-दरबार पहुंचे ; उनके इस व्यवहार से राजा पहले से ही मन ही मन क्षुब्ध थे। और इस बार उन्हें देखकर वे अपनी गद्दी से नहीं उठे।
कबीर तुरंत समझ गए कि राजा भी आम लोगों की तरह ही हैं ; उन्होंने तुरंत ही दोनों बोतलें जमीन पर पटक दीं।
उन्हें ऐसा करते देख राजा ने सोचा , ” एक शराबी कभी भी इस तरह से शराब की बोतल नहीं फेंक सकता , ज़रूर बोतलों में कुछ और है ??”
राजा तुरंत उठा और कबीर दास जी के साथ आये मोची को किनारे कर उससे पुछा , ” ये सब क्या है ?”
मोची बोला, ” अरे महाराज , आपको नहीं पता , जगन्नाथ मंदिर में आग लगी हुई है और संत कबीर दास इन बोतलों में भरे पानी से वो आग बुझा रहे हैं….”
राजा ने इस घटना का दिन और समय नोट कर लिया और बाद में इस बात की सच्चाई का पता लगाने के लिए एक दूत जगन्नाथ मंदिर भेजा।
मंदिर के आस-पास रहने वाले लोगों ने इस बात की पुष्टि कि उसी दिन और समय में मंदिर में आग लगी थी , जिसे बुझा दिया गया था। जब राजा को इस सच्चाई का पता चला तो उन्हें अपने व्यवहार पर पछतावा हुआ और संत कबीर दास में उनका विश्वास और भी दृढ हो गया।