आता हो तो हाथ से न दीजिए
किसी व्याध ने जंगल में एक तीतर फँसाया। तीतर ने सोचा-यह पापी मेरी जान लेकर छोड़ेगा; परंतु अक्ल लगाकर जान बचाने की कोशिश तो करनी चाहिए।
उसने व्याध से पूछा, ‘‘तुम मेरा क्या करोगे ? मान लो कि बेचोगे, तो मुश्किल से मेरे बदले में चार-पाँच रुपए मिलेंगे। मारोगे तो सिर्फ पंख-ही-पंख हाथ लगेंगे। यदि पालोगे, तो भी एक-न-एक दिन मृत्यु हमारा वियोग करा ही देगी। लेकिन तुम मुझे छोड़ देने का वादा करो तो मैं तुम्हें तीन ऐसी नसीहतें दे सकता हूँ कि जिनमें प्रत्येक का मोल लाख-लाख रुपए है।’’
व्याध ने कहा, ‘‘बतलाओ, मैं तुम्हें जरूर छोड़ दूँगा।’’
तीतर बोला-
‘‘पहली नसीहत सुन
बात कोई भी हजार सुनाए।
कीजिए वही, जो समझ में आए।।
दूसरी नसीहत
काबू हो तो कीजिए न गफलत।
संकट में हों तो हारिए न हिम्मत।।
तीसरी नसीहत
आता हो तो हाथ से न दीजिए।
जाता हो तो उसका गम न कीजिए।।’’
व्याध ने ज्यों ही ‘जाता हो तो गम न कीजिए’ सुना कि उस तीतर को छोड़ दिया।
तीतर तुरंत उड़कर पेड़ पर जा बैठा और बड़ी आजादी से व्याध से कहने लगा, ‘‘मैंने जो तीन नसीहतें तुझे बतलाई हैं, उनके उदाहरण भी दे देना चाहता हूँ। देख, मैं कैसी आफत में था, पर मैंने हिम्मत न हारी और अपनी बातों के बल पर तेरे चंगुल से छुटकारा पा लिया। तू गफलती और अभागा है कि बातों में आकर मेरे जैसे बहुमूल्य पक्षी को छोड़ दिया। मेरे पेटे में एक लाख कीमत का एक लाल है।’’
इसपर बहेलिया अफसोस कर हाथ मलने लगा। उसने तीतर को फिर पकड़ना चाहा। पर वह उड़कर पेड़ की ऊपरी टहनी पर जा बैठा और बोला, ‘‘मूर्ख, तू मेरी पहली नसीहत पर ध्यान देता तो मेरी बातों में न आता और दूसरी पर ध्यान देता तो मुझे छोड़ता ही नहीं। अब जरा अक्ल से काम ले कि तीतर के पेट में लाल कहाँ से आया ! मेरी बातों में आकर तूने मुझे छोड़ दिया और फिर मेरी ही बात से मुझे पकड़ने को खड़ा हो गया। अपनी अक्ल से काम लेना सीख। जो कोई कुछ कहेगा, उसी पर चलने लगेगा तो तेरा मनोरथ कभी सफल नहीं हो सकेगा।