शहर में कितने कौए

शहर में कितने कौए

बादशाह अकबर अक्सर अपने दरबारियों से अनोखे प्रश्न और तरह-तरह की पहेलियाँ पूछते रहते थे।
इस तरह वे अपने दरबारियो की बुद्धि एंव हाजिरजवाबी की परीक्षा लेते रहते थे। एक बार उन्होने अपने दरबारियो से एक विचित्र प्रश्न पूछा। प्रश्न था, इस शहर में कितने कौए हैं?
उन्होने एक-एक कर सभी दरबारियों पर नजर डाली। हर दरबारी खड़ा होता और जवाब न सूझने पर अपना सर झुका लेता। कोई भी दरबारी बादशाह के सवाल का जवाब न दे सका।
इतने में बीरबल ने दरबार में प्रवेश किया। वे सभी दरबारियों से ज्यादा ज्ञानी थे। उन्होने देखा कि सभी दरबारी सिर झुकाए खड़े हैं। वे फौरन समझ गए कि बादशाह ने जरूर कोई जटिल समस्या रखी है।
जिसे कोई दरबारी हल नही कर सका है।

बीरबल ने बादशाह का शिष्टतापूर्वक बादशाह का अभिवादन किया और अपने आसन पर बैठ गए। बादशाह ने उनसे पूछा, “बीरबल, तुम बताओ इस शहर में कितने कौए हैं?” हाजिर जवाब बीरबल फौरन खड़े हो गए। उन्होने जवाब दिया,”हुजूर इस शहर में कुल पचास हजार तीन सौ अठहत्तर कौए हैं”
“मगर, यह बात तुम इतने विश्वास के साथ कैसे कह सकते हो बीरबल?” बादशाह ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा।

बीरबल ने जवाब दिया, “हुजूर यदि आपको इसमें संदेह हो तो गिनवा कर देख लीजिए। अगर वे पचास हजार तीन सौ अठहत्तर से ज्यादा हैं तो इसका मतलब बाहर से कौए अपने मित्रांे रिश्तेदारों से मिलने आए हैं। अगर कम हैं, तो वे अपने रिश्तेदारो से मिलने बाहर गए हैं।”

बदशाह, बीरबल की हाजिरजवाबी से बहुत खुश हुए उन्होने कहा, शाबाश बीरबल, तुम सचमुच लाजवाब हो।

शिक्षा -जैसा सवाल वैसा जवाब।. तो त्याचा नेम चुकवतो आणि लांडगे पळून जातात.