स्वर्ग का द्वार

स्वर्ग का द्वार

स्वर्ग के द्वार पर बहुत भीड़ इकठ्ठा हो गयी थी . चित्र गुप्त को बुलाया गया .. चित्र गुप्त ने कहा की हमारे पास बस 3 लक्ज़री सुइट्स बचे हैं … जिसके मरने की कहानी सबसे रोचक होगी वोही अन्दर जाएगा .

पहला आदमी आया – वो मोटा सा अधेड़ उम्र का था और सूट बूट पहने हुए था .

चित्रगुप्त ने पूछा – “तुम कैसे मरे ?”

पहला आदमी – “मैं एक बिजनेसमैन हूँ ! मैंने पिछले साल एक खूबसूरत और जवान लड़की से शादी की .
मैं दिन रात मेहनत करके पैसे कमाता हूँ , मुझे शक था की मेरी पत्नी का अपने बॉयफ्रेंड के साथ चक्कर है .
मेरा अपार्टमेंट दस मंजिले का हैं और मैं पांचवी मंजिल पर रहता हूँ .
आज सुबह मैंने एक आदमी को मेरे घर में आते देख लिया . मैंने एक्स्ट्रा चाभी से घर में घुसा और बेडरूम में गया . अपनी पत्नी की स्थिति देखकर मेरा शक यकीन में बदल गया . बस मैं उस आदमी को मारने के लिए ढूँढने लगा . मैंने पूरा घर छान मारा पर वो नहीं मिला , तभी मैंने देखा की वो अंडरवियर में मेरे बालकनी के रेलिंग से लटका हुआ है .. मैं दौड़ के उसका हाँथ छुड़ाने लगा ताकि वो नीचे गिर के मर जाए … लेकिन वो कमीना बड़ा सख्त जान निकला ..
वो हाँथ छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था .
मैं दौड़ के एक हथौड़ी ले आया और उसके हाँथ पर मारने लगा .
इस बार उसका हाँथ छुट गया और वो पांच मंजिल नीचे जा गिरा .
लेकिन मैंने देखा की वो लॉन पर गिरने की वजह से मरा नहीं है ..

मैं दौड़ के घर का फ्रीज उठा लाया और उसके ऊपर फेंक दिया … फ्रीज उसके ऊपर गिरा और चकना चूर हो गया …
लेकिन वो अभी भी जिंदा था …
मुझे कुछ समझ नहीं आया और मैं भी ऊपर से कूद गया उसके ऊपर …
पता नहीं क्या हुआ ? मैं तो मर कर यहाँ आ गया …”

चित्रगुप्त ने कहा – “तुम्हारी कहानी इंट्रेस्टिंग है .. अन्दर आ जाओ … नेक्स्ट !!”

दूसरा आदमी जो जवान और गठीला था आया – वो सिर्फ अंडरवियर में था .

चित्रगुप्त ने पूछा – “तुम कैसे मरे ?”

दूसरा आदमी – “मैं एक स्पोर्ट्समैन हूँ .. मेरा अपार्टमेंट दस मंजिले का हैं और मैं दसवीं मंजिल पर रहता हूँ .
आज सुबह मैं बालकनी में कसरत कर रहा था की किसी तरह से नीचे गिर गया “

चित्रगुप्त ने पूछा – “और तुम गिर के मर गए ?”
दूसरा आदमी – “नहीं ! गिरते वक़्त मैंने किसी नीचे वाली मंजिल के बालकनी की रेलिंग पकड़ ली . अभी मैं ऊपर चड़ने की कोशिश कर ही रहा था की एक मोटा आदमी आया और मुझे बचाने की बजाय उल्टा मेरा हाँथ रेलिंग से छुड़ाने लगा .. “

चित्रगुप्त ने पूछा – “और तुम गिर के मर गए ?”
दूसरा आदमी – “नहीं ! मैंने कैसे भी करके अपना पकड़ बनाये रख्खा .. तभी वो कही से हथौड़ी ले के आया और मेरे हाँथ पर ताबड़तोड़ हमला करने लगा … “

चित्रगुप्त ने पूछा – “और तुम गिर के मर गए ?”
दूसरा आदमी – “नहीं ! मैं नीचे लॉन पर गिरा .. कुछ हड्डियाँ टूटी होंगी पर मरा नहीं … तभी वो पागल आदमी कही से फ्रीज उठा लगा और बालकनी से मेरे ऊपर फेंक दिया …”

चित्रगुप्त ने पूछा – “और तुम दब के मर गए ?”
दूसरा आदमी – “नहीं ! मैं फिर भी जिंदा था … तब तक मोटे आदमी को क्या सुझा और वो खुद ही मेरे ऊपर कूद गया … “

चित्रगुप्त ने पूछा – “और तुम मर गए ?”
दूसरा आदमी – “ हाँ .. लेकिन वो मोटा भी नहीं बचा होगा … “

चित्रगुप्त ने कहा – “तुम्हारी कहानी इंट्रेस्टिंग है .. अन्दर जाओ , बड़ा मज़ा आएगा … नेक्स्ट !!”

तीसरा आदमी जो जवान पर हल्का फुल्का था वही खड़ा था और सबकी बाते बड़े ध्यान से सुन रहा था आगे बढ़ा.

चित्रगुप्त ने पूछा – “और तुम मर गए ?”
तीसरा आदमी नीचे निगाहें किये हुए – “वो बात ये हैं ना … मैं वो … फ्रीज के अन्दर छुपा हुआ था … “