हाथी मेरे साथी

हाथी मेरे साथी

एक महावत था जिसका एक हाथी काफी बुढा हो गया था .
महावत ने सोचा अब ये किसी काम का नहीं है , अगर इसे अभी नहीं बेचा तो इसका कोई दाम नहीं मिलेगा . ऐसा सोचकर वो उसे गाँव के पशु मेले में ले आया .

उसने हाथी को खूब साफ़ करके उसपर खूब सारा काला रंग और तेल लगा दिया . ये सब करने से हाथी जवान लगने लगा .

मेले में दूर दूर से लोग उस हाथी को देखने आते . कुछ रईश लोग उसको लेने के लिए भी उत्सुक दिखे .

महावत को अपनी तरकीब काम करती नज़र आ रही थी .

एक दिन हकीरा भी मेले में पहुचा . वो हाथी देखेते ही अपनी भौ सिकोड़ के खड़ा हो गया . वो हाथी को कभी आगे से कभी पीछे से देखता . महावत का तो जी आधा हो गया . उसको लगा – लगता हैं इस आदमी को पता चल गया है की हाथी बुढा है .

महावत दौड़ के हकीरा के पास आया , और झट से उसे ले के दूर चला गया . महावत ने एक सौ रूपये हकीरा को दिए और बोला – “चलो चलो ! रख लो .. और जाओ यहाँ से .. “

हकीरा ने कहा – “परन्तु मैं ये कह रहा था कि …”
महावत ने जल्दी से उसे वहा से और दूर ले जाके कहा – “हो गया ! जाओ भी ..”

हकीरा वहा से चला गया .

महावत ने पता लगाया तो पता चला की हकीरा उस गाँव का सबसे बुद्धिमान आदमी हैं .

दुसरे दिन हकीरा फिर से आया और लगा हाथी का मुआयना करने . कभी आगे से कभी पीछे से .
महावत दौड़ के हकीरा के पास आया , और झट से उसे ले के दूर चला गया . महावत ने इस बार पांच सौ रूपये हकीरा को दिए और बोला – “अरे भाई ! कोई बात नहीं … जाओ यहाँ से .. “
हकीरा कुछ कह पाता इसके पहले महावत ने उसे वहाँ से दूर कर दिया .

अगले दिन हकीरा फिर से आया और लगा हाथी का मुआयना करने . कभी आगे से कभी पीछे से .
महावत को बड़ा गुस्सा आया .
महावत (सबके सामने चिल्लाते हुए ) – क्या है ? क्या पता कर लिए तुम इस हाथी के बारे में ?
हल्ला गुल्ला सुन के लोगो की भीड़ लग गयी .
हकीरा – अरे जनाब मैं ये कह रहा था की इसका …
महावत (और जोर से चिल्लाते हुए ) – इसका क्या ? क्या इसका ? तुम यह कैसे कह सकते हो की ये हाथी बुढा है?
हकीरा – ऐसा है की .. मैं समझ नहीं पा रहा ….
महावत – अरे क्या समझ गए … क्या नहीं समझ पा रहे .. चलो मैंने माना की ये हाथी बुढा और बेकार है .. तो क्या … जाओ यार तुम्हारे गाँव में मुझे सौदा ही नहीं करना ..
लोगो के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रही . लोगो में कानाफूसी शुरू हो गयी .

हकीरा – मेरी बात तो सुनिए …
महावत (सर पर हाथ रख के बैठ गया ) – जाओ यहाँ से यार . मैं माँ गया तुम बहुत बुद्धिमान हो ..
हकीरा – मेरी बात तो सुनिए …
महावत – बोलो भाई ! बोलो !
हकीरा – मैं समझ नहीं पा रहा हूँ की इस जानवर की पूँछ आगे है या पीछे ..

महावत दीवाल पर सर पटकने लगा .

हकीरा ने पीछे से बोला – और हाँ . इसका मुंह तो है ही नहीं ??

महावत ने पलट के देखा और जोर से रोने लगा !!

एक महावत था जिसका एक हाथी काफी बुढा हो गया था .
महावत ने सोचा अब ये किसी काम का नहीं है , अगर इसे अभी नहीं बेचा तो इसका कोई दाम नहीं मिलेगा . ऐसा सोचकर वो उसे गाँव के पशु मेले में ले आया .

उसने हाथी को खूब साफ़ करके उसपर खूब सारा काला रंग और तेल लगा दिया . ये सब करने से हाथी जवान लगने लगा .

मेले में दूर दूर से लोग उस हाथी को देखने आते . कुछ रईश लोग उसको लेने के लिए भी उत्सुक दिखे .

महावत को अपनी तरकीब काम करती नज़र आ रही थी .

एक दिन हकीरा भी मेले में पहुचा . वो हाथी देखेते ही अपनी भौ सिकोड़ के खड़ा हो गया . वो हाथी को कभी आगे से कभी पीछे से देखता . महावत का तो जी आधा हो गया . उसको लगा – लगता हैं इस आदमी को पता चल गया है की हाथी बुढा है .

महावत दौड़ के हकीरा के पास आया , और झट से उसे ले के दूर चला गया . महावत ने एक सौ रूपये हकीरा को दिए और बोला – “चलो चलो ! रख लो .. और जाओ यहाँ से .. “

हकीरा ने कहा – “परन्तु मैं ये कह रहा था कि …”
महावत ने जल्दी से उसे वहा से और दूर ले जाके कहा – “हो गया ! जाओ भी ..”

हकीरा वहा से चला गया .

महावत ने पता लगाया तो पता चला की हकीरा उस गाँव का सबसे बुद्धिमान आदमी हैं .

दुसरे दिन हकीरा फिर से आया और लगा हाथी का मुआयना करने . कभी आगे से कभी पीछे से .
महावत दौड़ के हकीरा के पास आया , और झट से उसे ले के दूर चला गया . महावत ने इस बार पांच सौ रूपये हकीरा को दिए और बोला – “अरे भाई ! कोई बात नहीं … जाओ यहाँ से .. “
हकीरा कुछ कह पाता इसके पहले महावत ने उसे वहाँ से दूर कर दिया .

अगले दिन हकीरा फिर से आया और लगा हाथी का मुआयना करने . कभी आगे से कभी पीछे से .
महावत को बड़ा गुस्सा आया .
महावत (सबके सामने चिल्लाते हुए ) – क्या है ? क्या पता कर लिए तुम इस हाथी के बारे में ?
हल्ला गुल्ला सुन के लोगो की भीड़ लग गयी .
हकीरा – अरे जनाब मैं ये कह रहा था की इसका …
महावत (और जोर से चिल्लाते हुए ) – इसका क्या ? क्या इसका ? तुम यह कैसे कह सकते हो की ये हाथी बुढा है?
हकीरा – ऐसा है की .. मैं समझ नहीं पा रहा ….
महावत – अरे क्या समझ गए … क्या नहीं समझ पा रहे .. चलो मैंने माना की ये हाथी बुढा और बेकार है .. तो क्या … जाओ यार तुम्हारे गाँव में मुझे सौदा ही नहीं करना ..
लोगो के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रही . लोगो में कानाफूसी शुरू हो गयी .

हकीरा – मेरी बात तो सुनिए …
महावत (सर पर हाथ रख के बैठ गया ) – जाओ यहाँ से यार . मैं माँ गया तुम बहुत बुद्धिमान हो ..
हकीरा – मेरी बात तो सुनिए …
महावत – बोलो भाई ! बोलो !
हकीरा – मैं समझ नहीं पा रहा हूँ की इस जानवर की पूँछ आगे है या पीछे ..

महावत दीवाल पर सर पटकने लगा .

हकीरा ने पीछे से बोला – और हाँ . इसका मुंह तो है ही नहीं ??

महावत ने पलट के देखा और जोर से रोने लगा !!