गधे का दिमाग
एक था शेर। वह जंगल का राजा था। एक सियार उसका मंत्री था। शेर रोज अपने भोजन के लिये एक जानवर का शिकार करता था। इस शिकार मे से एक हिस्सा सियार को मिलता था। मंत्री के रूप में सेवा करने का यह उसका मेहनताना था।
एक दिन शेर बीमार हो गया। वह शिकार करने के लिए गुफा से बाहर नहीं जा सका। उसने सियार से कहा, ”आज मैं शिकार के लिये बाहर नही जा सकता। पर मुझे बहुत जोर की भूख लगी है। तुम जाओ किसी प्राणी को ले आओ ताकि उसे खाकर मै अपनी भूख मिटा सकूँ।“ सियार ने मन में विचार किया, “कोई जानवर अपनी खुशी सेे शेर की गुफा मे नही आयेगा! तो अब मै क्या करूँ!“ बहुत विचार करने पर उसे एक तरकीब सूझी। उसने सोचा “गधा सबसे बेवकूफ प्राणी है। मै उसे झाँसा देकर यहाॅ ला सकता हूँ। “
सियार गधे के पास गया। और बोला, “गधे भाई में तुम्हारे लिए एक खुशखबरी लाया हूँ। जंगल के राजा ने तुम्हे अपना मंत्री बनाने का निश्चय किया है। तुम अभी मेरे साथ चलकर उनसे भेंट कर लो।“ यह सुनकर गधे को बहुत खुशी हुई। वह सियार के साथ शेर की गुफा मे गया उसको देखते ही भूखा शेर उस पर टूट पड़ा और उसे मार डाला। फिर उसने सियार से कहा, “मैं नदी में स्नान करके आता हूँ। तब तक तुम इस शिकार का ख्याल रखना।“ शेर नदी की ओर चला गया। सियार भी बहुत भूखा था। शेर के वापस आने से पहले वह गधे के दिमाग को चट कर गया। जब शेर वापस लौटा उसने गधे की ओर देखा कहा “इस प्राणी का दिमाग कहाँ है ?“
सियार ने मुस्कराते हुए कहा, “महाराज अगर गधे को दिमाग होता तो क्या वह यहाँ आता। गधे को तो दिमाग होता ही नही।“
शिक्षा -धूर्त अपनी चालाकी से नही चूकता