टेढ़ा पेड़
एक जंगल में एक अजीब टेढ़ामेढ़ा पेड़़ था। उसके तने और ड़ालियों का आकार बहुत भद्दा था। उसके आसपास के अन्य पेड़ सीधे और सुंदर आकार के थे। सुंदर आकारवाले ऊँचे-ऊँचे पेड़ों को देखकर टेढ़ा पेड़ कहता, कितने सुंदर और सीधे हैं ये पेड़! फिर उदास होकर मन-ही-मन बुदबुदाता, कितना अभागा हूँ मैं! आखिर मैं ही इतना टेढ़ामेढ़ा और भद्दा क्यों हूँ?
एक दिन एक लकड़हारा उस जंगल में आया। उसने टेढ़े पेड़़ को देखकर कहा, यह पेड़ तो मेरे किसी काम का नहीं है। उसने सुंदर आकारवाले सीधे पेड़ो को हीं पसंद किया और देखते-ही-देखते उन्हें काटकर जमीन पर गिरा दिया।
इसके बाद टेढ़े पेड़ को कभी अपने भद्देपन पर दुख नही हुआ। वास्तव में अपनें भद्देपन के कारण ही वह लकड़हारे की कुल्हाड़ी का शिकार होने से बच गया था।
शिक्षा -तुम्हारे पास जो है, उसी में खुश रहो।