चतुर ज्योतषी
एक सम्राट था। एक बार उसने प्रसिद्ध ज्योतिषी को अपने दरबार में बुलाया। ज्योतिषी अचूक भविष्यवाणी करने के लिए मशहूर था।
सम्राट ने बड़े सम्मान से उसका स्वागत किया और उसे ऊँचे आसन पर बिठाया।
फिर सम्राट ने उसे जन्म कुंडली दी और कहा, “पंडितजी, कृपया मेरी जन्म-कुडंली पढ़कर मेरा भविष्य बताइए।”
ज्योतिषी ने बड़ी सवधानी से सम्राट की कुंडली का अध्यन किया। फिर उसने कहा, “महाराज आपके गृह आपका भविष्य बता रहे हंै, वही मैं आपको बताऊँगा। मै काल्पनिक कहानियाँ नही कहता।”
सम्राट ने कहा,” समझ गया आप क्या कहना चाहते ह है। आप निर्भीक होकर मेरा भविष्य बताइए।”
ज्योतिषी ने सम्राट के बारे मे अच्छी अच्छी बातें बताना शुरू किया राजा का चेहरा आनंद से खिल उठा।
भविष्य के बारे मे अच्छी-अच्छी बातें सुनकर उसे बहुत खुशी हुई।
फिर ज्योतिषी ने राजा की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओ के बारे मे बताना शुरू किया। इन बातो को सुनकर राजा बहुत दुःखी हुआ। एक बार तो उसके मन मे इतनी ठेस लगी कि उसने गुस्से मे आकर कहा, “बंद करो अपनी ये वाहियात बातें! अब मुझे सिर्फ यह बताओ कि तुम्हारे ग्रहों की सूचना के अनुसार तुम्हारी मौत कब होने वाली है?”
चतुर ज्योतिषी समझ गया कि सम्राट का आशय क्या है। उसने जवाब दिया,” महाराज मेरी मृत्यु आपकी मृत्यु के एक दिन पहले होने वाली है।” सम्राट बहुत गुस्से मे था। वह ज्योतिषी को मृत्युदंड देने वाला था। पर उसने ज्योतिषी के मुख से अपनी मौत की भविष्यवाणी सुनकर अपना इरादा बदल दिया। उसका गुस्सा शांत हो गया। सम्राट ने ज्योतिषी के बुधिमत्तापूर्ण उत्तर की बहुत सराहना की। उसने ज्योतिषी को मूल्यवान उपहार दिए और उसे सम्मान पूर्वक विदा किया ।