बिल्ली और लोमड़ी
एक बार एक बिल्ली और एक लोमड़ी शिकारी कुत्तों के बारे में चर्चा कर रही थीं।
मुझे तो इन शिकारी कुत्तों से नफरत हो गयी है। लोमड़ी ने कहा।श्
मुझे भी, बिल्ली बोली। मानती हूँ कि ये बहुत तेज दौड़ते है, लोमड़ी नें कहा, पर मुझे पकड़ पाना इनके बस की बात नहीं। मैं इन कुत्तों से बचकर दूर निकल जाने के कई तरीके जानती हूँ।
कौन-कौन से तरीके जानती हो तुम? बिल्ली ने पूछा।
कई तरीके हैं, शेखी बघारते हुए लोमड़ी ने कहा, कभी मैं काँटेदार झाडि़यों में से होकर दौड़ती हूँ। कभी घनी झाडि़यों में छिप जाती हूँ। कभी किसी माँद में घुस जाती हूँ। इन कुत्तों से बचनें के अनेक तरीको में से ये तो कुछ ही हैं।
मेरे पास तो सिर्फ एक ही अच्छा तरीका हैं, बिल्ली ने कहा।
ओह! बहुत दुःख की बात है। केवल एक ही तरीका? खैर, मुझे भी तो बताओ वह तरीका? लोमड़ी ने कहा।
बताना क्या है, अब मैं उस तरीके पर अमल करनें जा रही हूँ। उधर देखो, शिकारी कुत्ते दौड़ते हुए आ रहे हैं। यह कहते हुए बिल्ली कूदकर एक पेड़ पर चढ़ गई। अब कुत्ते उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते थे।
शिकारी कुत्तों ने लोमडी़ का पीछा करना शुरु कर दिया। वह कुत्तों से बचने के लिए एक-एक कर कई तरीके आजमाती रही।फिर भी वह उनसे बच नहीं सकी। अंत में शिकारी कुत्तों ने उसे धर दबोचा और मार ड़ाला।
बिल्ली लोमड़ी पर तरस खाती हुई मन-ही-मन बोली, ओह बेचारी लोमड़ी मारी गई। इसकी अनेक तरकीबों की अपेक्षा, मेरी एक ही तरकीब कितनी अच्छी रही!
शिक्षा -अनेक तरकीबे आजमानें की बजाय एक ही सधी हुई तरकीब पर भरोसा करना चाहिए।