जैसा बोओगे वैसा काटोगे

जैसा बोओगे वैसा काटोगे

तीन चोर थे। एक रात उन्होंने एक मालदार आदमी के यहाँ चोरी की। चोरों के हाथ खूब माल लगा। उन्होंने सारा धन एक थैले में भरा और उसे लेकर जंगल की ओर भाग निकले। जंगल में पहुँचने पर उन्हें जोर की भूख लगी। वहाँ खाने को तो कुछ था नहीं, इसलिए उनमें से एक चोर पास के एक गाँव से खाने का कुछ सामान लाने गया। बाकी के दोनों चोर चोरी के माल की रखवाली के लिए जंगल में ही रहे।

जो चोर खाने का सामान लाने गया था, उसकी नीयत खराब थी। पहले उसने होटल में खुद छककर भोजन किया। फिर उसने अपने साथियों के लिए खाने का समान खरीदा और उसमें तेज जहर मिला दिया। उसने सोचा कि जहरीला खाना खाकर उसके दोनों साथी मर जाएँगे तो सारा धन उसी का हो जाएगा।

इधर जंगल में दोनो चोरों ने खाने का समान लाने गए अपने साथी चोर की हत्या कर डालने की योजना बना ली थी। वे उसे अपने रास्ते से हटाकर सारा धन आपस में बाँट लेना चाहते थे।

तीनों चोरों ने अपनी-अपनी योजनाओं के अनुसार कार्य किया। पहला चोर ज्योंही जहरीला भोजन लेकर जंगल में पहुँचा कि उसके साथी दोनों चोर उसपर टूट पड़े। उन्होंने उसका काम तमाम कर दिया। फिर वे निश्चिंत होकर भोजन करने बैठे। मगर जहरीला भोजन खाते ही वे दोनों भी तड़प-तड़प कर मर गए।

इस प्रकार इन बुरे लोगों का अंत भी बुरा ही हुआ।

शिक्षा -बुराई का अंत बुरा ही होता है।