अनुपमा – 7

“मुझे तुम्हारे और अनुपमा के रिश्ते के बारे मे तुमसे कुछ बात करनी है”

शिवशंकर जी ने राघव से सीधे मुद्दे पर बात करना शुरू किया

शिवशंकर- आराम से बैठ जाओ राघव ये बातचित थोड़ी लंबी चलेगी

जिसके बाद राघव वहा रखी कुर्सी पर बैठ गया जिसके बाद शिवशंकर जी ने अपनी बात आगे बढाई

शिवशंकर- राघव तुम्हारी तुम्हारे काम के प्रति कुछ जिम्मेदारिया है मैं ये बात जानता हु और वैसे ही तुम्हारी तुम्हारे दोस्तों तुम्हारे परिवार के लिए भी कुछ जिम्मेदारिया है लेकिन इन सब मे जो तुम्हारे लिए सबसे इम्पॉर्टन्ट होना चाहिए वो है तुम्हारी पत्नी, तुम समझ रहे हो ना मैं क्या कह रहा हु?

राघव ने कुछ नही कहा बस एक सपाट चेहरे के साथ दादू को देखा

शिवशंकर- राघव अब तुम्हारी शादी हो चुकी है और ऐसा भी नही है के ये सब तुमसे जबरदस्ती कराया गया हो, मैंने तुमसे इस मामले मे तुम्हारी राय ली थी लेकिन मैंने पिछले महीनों मे जबसे तुम्हारी शादी हुई है देखा है के तुम अपनी पत्नी की तरफ अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हो उसे इग्नोर कर रहे हो

दादू ने राघव को उसकी गलती समझाई

राघव- मैं अपनी जिम्मेदारियों से नही भाग रहा हु दादू मैं तो बस…

लेकिन शिवशंकरजी ने राघव को बीच मे ही रोक दिया

शिवशंकर- तुम सिर्फ अनुपमा को इग्नोर कर रहे हो, है ना?

दादू की बात सुन राघव ने नजरे घुमा ली

शिवशंकर- बेटा किसी भी रिश्ते से भागना कोई ऑप्शन नही है, मैं जानता हु जिम्मेदारी निभाने का मतलब तुम्हारे लिए सबकी जरूरतों को पैसों से पूरा करना है लेकिन मेरे बच्चे तुम्हारी ये सोच गलत है। एक बिजनेसमैन होने के नाते मैं ये भी जानता हु के पैसों से तुम कुछ भी खरीद सकते हो लेकिन इसका ये मतलब नाही की पैसों से तुम सब कुछ खरीद पाओ, रिश्तों मे जिम्मेदारी का मतलब होता है प्यार, खुशी, एक दूसरे के साथ बिताया समय, प्यार तुम्हारे परिवार वालों के लिए तुम्हारे दोस्तों के लिए तुम्हारे जीवनसाथी के लिए।

बोलते बोलते दादू दो पल रुके और फिर बोलना शुरू किया

शिवशंकर- मुझे पता है तुम शादी नही करना चाहते थे और हमने तुमपर इस बारे मे कोई दबाव भी नही डाला था, जब मैंने अनुपमा के बारे मे तुम्हारे बताया था तब तुमसे तुम्हारी मर्जी भी पूछी थी और उस वक्त तो तुमने भी हा कहा था लेकिन फिर क्या हुआ? तुम उससे भाग क्यू रहे हो? बेटा मैं अपनी सारी जिंदगी के अनुभव के आधार पर कह सकता हु के तुम्हारी अनुपमा से शादी कराना मेरी जिंदगी का सबसे सही फैसला था जीसे मैं सपने मे भी नही झुठला सकता, मैं जानता हु तुम इतने तो समझदार हो के अपनी जिंदगी के फैसले खुद कर सको लेकिन मेरे परिवार के लिए क्या सही है और क्या गलत ये भी मैं जानता हु और जहा तक बात है अनुपमा की तो उसके जैसी साफ और नेकदिल लड़की का तुम्हारी जिंदगी मे होगा तुम्हें खास बनाता है तुम्हें उस हीरे को संजोना है, हर किसी की अपने जीवनसाथी से कुछ उमीदे होती है वैसी अनुपमा की भी तो होंगी कभी इस बारे मे सोचा है?

राघव- उसे और क्या चाहिए होगा दादू? किसी भी लड़की के लिए मैं परफेक्ट हु

राघव ने थोड़े घमंड मे कहा जिसपर दादू मुस्कुराये और उन्होंने ना मे गर्दन हिला दी जिससे राघव वापिस शांत हो गया

शिवशंकर- हर लड़की को जिंदगी मे सिर्फ पैसा ही नही चाहिए होता राघव जिसके बल पर तुमने अभी ये बात कही है कुछ को प्यार और अटेन्शन भी चाहिए होता है, मैंने अनुपमा को कभी तुम्हें प्यार से देखते नही देखा है जानते हो क्यू? क्युकी वो डरती है तुमसे, तुम्हारे गुस्से से जिसके बारे मे उसने सबसे सुन रखा है अरे उसे तो असली राघव क्या है राघव का सॉफ्ट साइड क्या है पता ही नही है

राघव- मैं ऐसा ही हु दादू मेरा कोई दूसरा साइड नही है

राघव ने नजरे घूमते हए कहा

शिवशंकर- ना! तुम ऐसे नहीं हो, मैं तुम्हें बाकी लोगों के मुकाबले ज्यादा अच्छे से जानता हु तुम्हारा सारा बचपन मेरी ही गोद मे बीता है राघव बस बात ये है ये तुम अपने आप को एक्स्प्रेस नहीं करते हो क्युकी तुम इस रिश्ते को स्वीकारना ही नही चाहते ना जाने इसके पीछे क्या वजह है। देखो शादी शुदा जिंदगी मे अजस्ट होने मे समय लगता है मैं जानता हु और जब से तुम्हारी शादी हुई है तुम बस यहा से वहा भाग रहे हो इस बात को इग्नोर करते हुए के तुम्हारी शादी हो चुकी है, इस रिश्ते को सफल बनाने के लिए तुम दोनों को एफर्ट्स करने पड़ेंगे।

शिवशंकर- अनुपमा को ये कभी अच्छा नही लगेगा के तुम उसे सिर्फ अपनी एक रीस्पान्सबिलटी मानो, वो डेफ़िनटेली चाहती होगी के तुम उसे अपने पूरे मन से अपनाओ जहा तुम उसका खयाल रखो इसलिए नही क्युकी वो तुम्हारी जिम्मेदारी है बल्कि इसलिए क्युकी तुम उससे प्यार करते हो। हा अब प्यार एक ऐसी चीज है जो कहने से नहीं होती लेकिन मैं बस ये चाहता हु के तुम इस रिशर्ते को एक मौका दो थोड़ा वक्त दो और अगर फिर भी तुम्हें इससे भागना ही है तो मैं उस लड़की की जिंदगी खराब करने के पक्ष मे नहीं हु

दादू की बात सुन राघव ने उन्हे देखा

शिवशंकर- राघव, तुम्हारे मा बाप को तुम्हारा समय चाहिए, तुम्हारे चाचा चाची को तुम्हारा समय चाहिए मैं तुम्हारी दादी विवेक रिद्धि सबलोग तुमको घर मे बहुत ही कम देखते है सबको तुम्हारा थोड़ा वक्त चाहिए जो तुम उनके साथ बिताओ बाते करो लेकिन तुम्हारी वाइफ उसे तुम्हारा टाइम भी चाहिए तुम्हारी अटेन्शन भी और तुम्हारा प्यार भी।

शिवशंकर- इस घर मे सब जानते है के शेखर और श्वेता एकदूसरे से कितना प्यार करते है वो तो कॉलेज के समय से एकदूसरे को जानते है पसंद करते है उनको देखके क्या अनुपमा को ऐसा नही लगता होगा के तुम लोगों का रिश्ता भी काश उनके जैसा होता? वो कभी कुछ कहती नही है इसका ये मतलब तो नही के उसकी कुछ इच्छाए नही है, वो कभी बताती नही है लेकिन उसे तुम्हारी फिक्र है क्युकी शी केयर फॉर यू शी सीम्स टू लाइक यू।

दादू की बात से राघव थोड़ा शॉक हुआ, अपने पिछले महीनों के अनुपमा के साथ के बर्ताव को देखते हुए वो ये सोच ही नहीं सकता था के अनुपमा उससे प्यार करती होगी

शिवशंकर- इन पिछले 5 महीनों मे जब भी उसे तुम्हारी जरूरत थी तुम उसके पास नही थे पर अब मैं चाहता हु तुम उसकी भरपाई करो उसके साथ वक्त बिताओ इस रिश्ते को सफल बनाने के लिए एक चांस दो , अब भले तुम इसे मेरा ऑर्डर मानो या कुछ और लेकिन मैं तुम्हें और अनुपमा को साथ देखना चाहता हु, उसके साथ वक्त बिताओ उसे कही घुमाने ले जाओ, नई शादी हुई है तुम्हारी इस पल को थोड़ा इन्जॉय करो तभी तो एकदूसरे को तुम थोड़ा जान पाओगे। एकदम से मैं तुम्हारा काम रोक तो नही सकता लेकिन अब से तुम्हारा ऑफिस टाइम बस सुबह 9 से शाम 7 तक होगा उसके पहले या बाद मे मुझे तुम घर मे दिखने चाहिए

दादू की बात से राघव का चेहरा ऐसा हो गया मानो किसी बच्चे के हाथ से उसका पसंदीदा चॉकलेट ले लिया हो किसी ने

राघव- दादू लेकी…

शिवशंकर- ना! कोई बहाना नही चलेगा राघव तुम नही जानते तुम्हारी गैरमौजूदगी मे उसे कितने सवालों के जवाब देने पड़ते है, शेखर की शादी की सारी रस्में उसने अकेले की है जब तुम्हें उसके साथ होना चाहिए था लेकिन तुम कहा थे? तुम उससे भाग रहे थे पर अब बहुत हो गया अब ये सब अभी से बंद होना चाहिए

दादू की बातों से और आवाज से साफ पता चल रहा था के वो राघव से बहुत ज्यादा गुस्सा थे

शिवशंकर- जब तक तुम ही उसे पूरे मन से नही अपनाते वो इस परिवार को अपना परिवार कैसे माने बताओ? जब भी कोई उससे तुम्हारे बारे मे पूछता है वो कोई न कोई बहाना बना देती है जिससे तुम्हारी दादी के ताने उसे सुनने पड़ते है पर उसने कभी तुम्हारी शिकायत नहीं की। ऐसा नहीं है के वो इन बातों का या उन तानों का जवाब नही दे सकती लेकिन वो चुप रहती है सिर्फ तुम्हारे लिए

राघव चुप चाप बैठ सब सुन रहा था

शिवशंकर- एक लड़की अपना सब कुछ छोड़ कर अपने पति के साथ उसके जीवन मे प्रवेश करती है उसका पति ही उसके लिए सबकुछ होता है लेकिन जब उसका वो जीवनसाथी ही उसे अकेला छोड़ दे तब वो किसी से कुछ भी नही कह सकती।

शिवशंकर- मैं बस इतना चाहता हु के तुम इस शादी को एक मौका दो मैं अपने पूरे अनुभव के साथ कहता हु के तुम्हें अफसोस नही होगा

इतने कह कर दादू के राघव का कंधा थपथपाया और रूम मे बाहर चले गए और राघव वही सोच मे डूबा बैठा रहा

राघव ने अपने पीछे 5 महीनों के बर्ताव के बारे मे सोचा, उसने कभी अनुपमा से बात करने की कोशिश नही की थी पहली बार जब उसने अनुपमा से बात की तब वो शादी की रात को ही टूर पर निकल गया था और वापिस आने के बाद तो उसने उसे साफ और रुडली कह दिया था के वो उससे दूर रहे जिससे उनके बीच दूरिया और बढ़ गई थी और बहुत देर इस बारे मे सोचने के बाद राघव ने एक लंबी सास ली और सीढ़िया चढ़ कर अपने रूम की ओर जाने लगा, जाते जाते उसकी नजर गार्डन मे बैठ कर बाते करते शेखर और श्वेता पर पड़ी जो एक हैप्पी कपल का बेहतरीन उदाहरण थे वही उसने तो कभी अनुपमा के साथ वक्त भी नही बिताया था या ये कहना ज्यादा सही होगा के उसने तो अनुपमा को कभी वाइफ समझा ही नही था, वो अपने रूम मे आया।

राघव जब रूम मे आया तो उसने देखा के अनुपमा बालकनी मे रजाई ओढ़े कोई बुक पढ़ रही थी, राघव ने कुछ पल तक अनुपमा को देखा और जब अनुपमा को लगा के कोई उसे देख रहा है तो उसने मूड कर देखा तो वहा राघव को पाया जिसके बाद अनुपमा ने नजरे नीची कर ली और दोबारा किताब पढ़ने लगी क्युकी वो जानती थी के राघव उससे बात नहीं करेगा और ऐसा जताएगा के वो वहा हो ही नही।

वो दोनों ही एकदूसरे के लिए अजनबी थे वो कोई बात कभी शुरू नही करता था वही अनुपमा भी कोई पहल नही करती थी क्युकी उसे शायद ये अच्छा ना लगे

राघव कुछ नही बोला और बेड पर जाकर काफी जगह छोड़ कर लेट गया, पिछले कुछ दिनों मे लगातार काम की थकान से उसे जल्दी नींद आ गई,

अनुपमा ने उसकी तरफ देखा और फिर लाइटस बंद कर दी, उसे वही बालकनी मे अच्छा लग रहा था वो तो वही सितारों को देखते हुए सो गई…

पता नहीं इनके जीवन मे क्या लिखा था…

क्या राघव इस शादी को एक मौका देगा??

अब क्या करेगा राघव??

और क्या अनुपमा कोई पहल करेगी??