अनुपमा के पास घरवालों के सवाल का कोई जवाब नही था, वो सब के चेहरे देखते हुए खामोश रही फिर उसने बात संभालते हुए कहा
अनुपमा – पापाजी वो सुबह जल्दी चले गए उनकी कोई अर्जन्ट मीटिंग थी
अनुपमा ने सधी हुई आवाज मे नम्रता के साथ जवाब दिया
शिवशंकर- मुझे समझ नाही आता ये लड़का इतना काम क्यू करता है। अभी उसकि शादी को बस 5 ही महीने हुए है और ये है के अपने परिवार को थोड़ा समय देने के बदले काम मे उलझ हुआ है..
शिवशंकर जी ने थोड़ा इरिटेट होते हुए कहा उनको अपने बिजी पोते पर बहुत गुस्सा आ रहा था
गायत्री- आज कल तो वो घर पर रहता ही नही है, तुम्हें उससे बात करनी चाहीये न इस बारे मे अनुपमा, उसे घर पर रोकना तुम्हारा काम है पत्नी हो तुम उसकी
गायत्री जी ने अनुपमा को ताना मारा
अनुपमा बस सर झुकाए सबकी बाते सुन रही थी वो इसका जवाब नही देना चाहती थी या ये कहना ज्यादा सही होगा के उसके पास इसका कोई जवाब ही नही था।
उसका डीयर हसबंड शादी की रात को ही सारी रस्मे पूरी होने के बाद दो महीनों के लिए बिजनेस ट्रिप पर निकल गया था, और पिछले तीन महीनों से वो उसे पूरी तरह से इग्नोर कर रहा था मानो अनुपमा उसके लिए उस घर मे मौजूद ही नही थी, पता नही के उसने अनुपमा का चेहरा भी सही से देखा था या नही, अनुपमा ने राघव को उनके रूम मे बस 6-7 बार ही देखा था वो भी तब जब राघव भूल जाता था के अनुपमा भी उसी कमरे मे रहती है, वो रात मे देरी से आता था और सुबह जल्दी चला जाता था, उसके इस बर्ताव की वजह से अनुपमा उसकी ओर देख भी नही पाती थी, उसने तो राघव का चेहरा भी इन पाँच महीनों मे बस 4-5 बार ही देखा था बाकी समय राघव अनुपमा को देखते ही अपना रास्ता बदल लेता या अनुपमा उसे उसके बर्ताव की वजह से इग्नोर कर देती
उन्हे देख के कोई नही कह सकता था के वो दोनों शादी शुदा है, दो अनजान लोग अगर बातचित करे तो भी इनसे ज्यादा बाते कर सकते थे
विवेक- दादी इसमे कोई कुछ नही कर सकता, जब भईया किसी की बात सुनते ही नही तो इसमे भाभी क्या करेगी
विवेक ने अनुपमा की साइड लेते हुए कहा
शेखर- हा दादी, राघव भाई बैक टु बैक मीटिंग्स मे बिजी है नई ब्रांच के लॉन्च को लेकर इसमे भाभी की क्या गलती , मुझे तो यकीन है भाई ने भाभी की बात को भी इग्नोर कर दिया होगा
अनुपमा ने शेखर को इशारे से ही चुप रहने कहा
गायत्री- हा हा इसमे इसकी कहा गलती है, राघव के पास जब घर पर रुकने का कोई रीज़न ही नही है तो वो क्यू रुकेगा
गायत्री जी ने अनुपमा को फिर से ताना मारा
श्वेता ने अनुपमा की तरफ देखा लेकिन वो नीचे देख रही थी
शिवशंकर- बस बहुत हो गया गायत्री, तुम्हारा पोता इतना भी छोटा नही है के वो ये बात ना समझ सके, उसे भी ये बात सोचनी चाहिए के उसका भी एक परिवार है
रमाकांत- हा मा राघव अब बच्चा नही है और हर बार हमेशा अनुपमा क्यू समझ के चले, राघव को भी अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होना चाहिए
शिवशंकर जी के बाद रमाकांत ने भी अनुपमा की साइड ली जीसे सुन कर गायत्री जी अपनी जगह से उठी और “मेरे सत्संग का समय हो गया है” बोल कर अपने कमरे मे चली गई और उनके पीछे पीछे शिवशंकर जी भी चले गए
कुछ ही समय मे विवेक और रिद्धि भी कॉलेज के लिए निकल गए और शेखर भी अपने रूम मे काम के लिए चला गया
रमाकांत- बेटा आइ एम सॉरी उसकी…
अनुपमा- कोई बात नही पापा आप क्यू सॉरी कह रहे है वो बिजी है इसीलिए सबको टाइम नही दे पा रहे
अनुपमा की बात सुनकर धनंजय उसके पास आए और उसके सर पर हाथ रख कर बोले
धनंजय- हर बार उसकी साइड लेकर उसे बढ़ावा मत दो बेटा
अनुपमा ने कुछ नही कहा
धनंजय- चलिए भईया
जाते जाते रमाकांत के अनुपमा के सर पर हाथ फेरा और वहा से चले गए
जानकी – मुझे पता है तुम मेरे नालायक बेटे को सही रास्ते पर ले आओगी वो शुरू से ही ऐसा है
जानकी की बात सुन कर अनुपमा मुस्कुरा दी
मीनाक्षी- बेटा तुम जाओ और अपने बाकी के काम निपटाओ यहा मैं और जीजी संभाल लेंगे और घर मे सब नौकर है
जिसपर अनुपमा से गर्दन हिलाई और अपने रूम मे चली गई और जैसे ही वो रूम मे पहुची उसके पीछे किसी ने दरवाजा खटखटाया, अनुपमा ने दरवाजा खोला तो वहा श्वेता खड़ी थी
अनुपमा- हम्म तो मेरी देवरानी को मुझसे क्या काम है
अनुपमा ने थोड़े शरारती अंदाज मे पूछा
श्वेता- कुछ नही मैं तो बस अपनी जेठानी जी से मिलने आई थी
श्वेता ने भी उसकी टोन मे जवाब दिया
श्वेता- भाभी… आपसे एक बात पुछु ??
अनुपमा- हा हा पूछो न
अनुपमा ने बेड पर के कपड़े समेटते हुए कहा
श्वेता- भईया कहा है? मैंने तो उन्हे हमारी शादी मे भी नही देखा
श्वेता के सवाल ने अनुपमा के हाथ रोक दिए थे
अनुपमा- जैसा मैंने कहा वो काम मे बिजी है वरना ऐसा कौनसा भाई होगा जो अपने छोटे भाई की शादी मिस करेगा
अनुपमा के जवाब से श्वेता थोड़ा कन्विन्स हो गई थी
श्वेता- हा ये तो सही है लेकिन भाभी…
श्वेता कुछ आगे बोलती इससे पहले ही उसका फोन बजने लगा देखा तो वो शेखर का था
श्वेता- भाभी मैं आपसे बाद मे बात करती हु शेखर मुझे बुला रहे है
और श्वेता वहा से चली गई और उसके जाते ही अनुपमा अपने रूम के सोफ़े पर बैठ गई और उसने एक लंबी सास ली
“ये तो मुझे भी नही पता के वो कहा है तो मैं तुम सबको क्या बताऊ ? मुझे तो ये भी नही पता के वो कल रात घर आए भी थे या नही, अब तो कभी कभी लगता है मेरी शादी हुई भी है या नही”
अनुपमा ने अपनी आंखे बंद की और सोफ़े पर ही लेट गई
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शेखर- इतना क्या सोच रही हो स्वीट्हार्ट
शेखर ने श्वेता को पीछे से गले लगाते हुए कहा
श्वेता- भईया और भाभी के बारे मे सोच रही हु
शेखर- हूह? क्यू?
श्वेता- दादी ने कहा ना के भईया बहुत बिजी रहते है और उन दोनों की शादी को भी बस 5 ही महीने हुए है तुम्हें नही लगता भईया को भाभी के साथ टाइम स्पेन्ड करना चाहिए ? तुमने भाभी का चेहरा देखा था जब बड़े पापा ने उन्हे भईया के बारे मे पूछा था ?
शेखर- बात तो तुम्हारी सही है, भाई हमेशा घर से दूर रहता है और उसने अपने आप को काम मे इतना उलझा लिया है के वो कभी कभी तो ऑफिस मे ही सो जाता है
श्वेता – तुम्हें क्या लगता है उनकी शादी बगैर उनकी मर्जी के हुई है?
शेखर – न, मुझे तो ऐसा नही लगता, हा ये सच है के उनकी अरेंज मेरिज है लेकिन अगर वो एक दूसरे को पसंद ना करते तो इस शादी से मना कर सकते थे और भाभी फॅमिली के साथ बहुत खुश लगती है और मैंने जब भी भाई भाभी को साथ देखा है वो मुझे नॉर्मल ही लगे और जहा तक भाई की बात है तो वो अपने आप को एक्स्प्रेस नही करता और अब वो रूम के अंदर कैसे है ये मैं नहीं बता सकता सब हमारे जैसे नही होते न बेबी,
शेखर ने श्वेता के गाल को चूमते हुए कहा और उसे अपनी तरफ घुमाया और धीरे धीरे अपने होंठों को उसके होंठों की तरफ बढ़ाने लगा
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जानकी- अनुपमा बेटा तुम ऑफिस चली जाओ अभी, तुम्हारे पापाजी ने एक इम्पॉर्टन्ट फाइल मँगवाई है और कहा है ये किसी फॅमिली मेम्बर के हाथ से ही भेजे, शेखर तुम्हारे साथ चला जाएगा और इन लोगों का लंच भी लेती जाओ, वैसे तो मैं शेखर को ही भेजती लेकिन उसे ऑफिस के बाद कही बाहर जाना है
अनुपमा- कोई बात नही मा आप मुझे फाइल और लंच दे दीजिए मैं चली जाऊँगी
जानकी- हा मैं पैक करवाती हु तुम तब तक जाके रेडी हो जाओ
जिसके बाद अनुपमा अपने रूम मे रेडी होने चली गई
थोड़े समय बाद जानकी ने अनुपमा को 2 फाइल और लंच बोक्सेस दिए
जानकी- अनुपमा इस बात का खास ध्यान रखना के मेरा नलायाक बेटा और तुम्हारा पति खाना खा ले तुम तो जानती हो के वो इस मामले मे कितना लापरवाह है
और जैसे ही अनुपमा ने राघव के बारे मे सुना उसकी दिल की धड़कन बढ़ गई, वो तो उसके बारे मे भूल ही गई थी फिर भी उसने हा मे गर्दन हिला दी
शेखर- चले भाभी..
शेखर ने सीढ़ियों से उतरते हुए कहा लेकिन उसका ध्यान उसके फोन मे था
वो दोनों कार मे जाकर बैठे
‘हे भगवान मैं उनसे कैसे बात करूंगी मैंने तो इन 5 महीनों मे कभी उनसे बात नही की’ अनुपमा बहुत नर्वस थी और अपनी ही सोच मे गुम थी
शेखर- क्या हुआ भाभी? आप नर्वस हो क्या? आप आज पहली बार अपनी कंपनी मे जा रही है न
शेखर की बात पर अनुपमा ने हा मे गर्दन हिलाई
शेखर- अरे इतना नर्वस मत होइए भाभी भईया भी तो वही है
अनुपमा- वही तो प्रॉब्लेम है
अनुपमा ने ये बात एकदम धीमे से कही थी जीसे शेखर नही सुन पाया
शेखर- आपने कुछ कहा क्या?
अनुपमा- न… नही तो..
शेखर- आपको पता है भाभी हम ना अभी शेर की गुफा मे जा रहे है
शेखर ने अनुपमा को छेड़ते हुए कहा लेकिन अनुपमा उसकी बात नही समझी
अनुपमा- शेर? हमने ऑफिस मे शेर क्यू रख रखा है ?
शेखर- वो तो आपको वही जाकर पता चलेगा
शेखर ने स्माइल के साथ कहा जिसने अनुपमा को और भी ज्यादा कन्फ्यूज़ कर दिया लेकिन इससे पहले अनुपमा कुछ और पूछ पाती वो लोग ऑफिस पहुच चुके थे
कार से उतरने के बाद अनुपमा ने सामने देखा और उसका नर्वसनेस और बढ़ गया, इसीलिए नही क्युकी वो देश की टॉप कंपनी के सामने खड़ी थी बल्कि इसीलिए क्युकी वो नही जानती थी के वो राघव से कैसे बात करेगी और सबसे इम्पॉर्टन्ट बात राघव उसे ऑफिस मे देख कर कैसे रीऐक्ट करेगा
शेखर- आओ भाभी
शेखर ने कहा जिसके बाद वो दोनों ऑफिस मे इंटर हुए, उनके अंदर घुसते ही सब लोगों ने उन्हे ग्रीट करना शुरू कर दिया
शेखर- भाभी मुझे एक कॉल आ रहा है आप आगे जाइए मैं कुछ देर मे आता हु, मैं किसी को कहता हु आपको कैबिन तक छोड़ दे, उम्म मिस रूबी प्लीज भाभी को कैबिन तक छोड़ आइए
शेखर ने वहा खड़ी एक एम्प्लोयी से कहा जिसके जवाब मे उसने हा मे गर्दन हिला दी और स्माइल के साथ अनुपमा को देखा बदले मे अनुपमा ने भी उसे एक स्माइल दी
रूबी- मैडम प्लीज मेरे साथ आइए
जिसके बाद अनुपमा रूबी के पीछे पीछे जाने लगि लेकिन बीच रास्ते मे ही एक लड़की ने आकार उनको रोक दिया और कहा
“रूबी, धनंजय सर ने अपॉइन्टमेंट लिस्ट मँगवाई है जल्दी” उस लड़की ने कहा
रूबी- मैं तो भूल ही गई थी कोई बात नही मैं अभी सर को वो लिस्ट दे देती ही लेकिन पहले मुझे…
अनुपमा- नही कोई बात नही बस आप मुझे बात दीजिए मैं चलि जाऊँगी
अनुपमा ने रूबी से कहा जिसपर पहले तो रूबी थोड़ा रुकी लेकिन फिर बाद मे उसने अनुपमा को रास्ता बता दिया
अनुपमा उस फ्लोर पर पहुची जो उसे रूबी ने बताया था, वो आगे कैबिन की तरफ जा ही रही थी के किसी ने उसे रोक दिया
“मिस कहा जा रही है आप?”
उस लड़की ने थोड़ा कड़े शब्दों मे पूछा जिससे उस फ्लोर पर सबका ध्यान उनकी ओर चला गया
अनुपमा- वो मुझे कुछ काम था तो…
पर उसने अनुपमा की बात पूरी ही नही होने दी कुछ लोगों ने उस लड़की को रोकने की भी कोशिश की लेकिन वो किसी की नही सुन रही थी
“काम?” उसने अनुपमा को ऊपर से नीचे तक देखा
“तुम तो कोई इम्प्लॉइ नही लगती हो और बगैर अपॉइन्टमेंट के यहा कोई नही आ सकता, सर बिजी है अभी” उसने रूखी आवाज़ में कहा
अनुपमा – मैं कोई इम्प्लॉइ नही हु और ना ही मुझे यहा आने के लिए किसी अपॉइन्टमेंट की जरूरत है, मैं…..
अनुपमा को अब थोड़ा गुस्सा आ रहा था जिस तरीके से वो बात कर रही थी लेकिन उसने एक बार फिर अनुपमा की बात काट दी
“मैं तुम जैसी लड़कियों को अच्छे से जानती हु जिन्हे बस आमिर लोगों की अटेन्शन चाहिए होती है” उस लड़की की बात सुनकर अनुपमा की आंखे बड़ी हो गई वही वहा खड़े लोगों को थोड़ा शॉक लगा लेकिन अनुपमा उसकी बात का कुछ जवाब दे पाती उससे पहले ही वहा एक आवाज गूंजी
ऐसी आवाज जिससे अनुपमा अपनी सुध खो देती थी वो जब भी उसे सुनती थी और उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती थी..
अनुपमा अपनी जगह जम गई थी और वहा खड़े लोग डर से नीचे देख रहे थे
क्या होगा अब?