अनुपमा – 29

राघव पूरे घर मे अनुपमा को ढूंढते हुए घूम रहा था लेकिन वो उसे कही नहीं दिख रही थी

रमेश- राघव, कुछ चाहिए क्या बेटा?

राघव- नहीं मामा दादू वो बस ऐसे…

रमेश- अनुपमा को ढूंढ रहे हो?

राघव- नहीं वो तो मैं.. वो…

रमेश- वो मा के कमरे मे है

इतना बोल के रमेश जी वहा से राघव का कंधा थपथपाते हुए मुस्कुराकर निकल गए और राघव झट से बड़ी दादी के कमरे की ओर लपका और जब वो कमरे मे पहुचा तो वहा कोई नहीं था सिवाय अनुपमा को जो अलमारी मे कुछ सामान रख रही थी और राघव की तरफ उसकी पीठ थी

राघव ने कमरे का दरवाजा धीरे से बंद किया ताकि अनुपमा को उसके आने का पता ना चले और कोई आवाज ना हो लेकिन वो पुराने जमाने का दरवाजा आवाज करते हुए बंद हुआ और अनुपमा का ध्यान उसकी ओर आ गया

अनुपमा ने पलट कर देखा तो वहा राघव को पाया, उसने सपाट चेहरे से राघव को देखा फिर वापिस अपने काम मे लग गई वही राघव भी चुप चाप वहा खड़ा उसके फ्री होने की राह देखने लगा ताकि उससे बात कर सके

अनुपमा ने अलमारी से एक बेडशीट निकाली और थड़ की आवाज से अलमारी का दरवाजा बंद कर दिया

ये मुझे ऐसा क्यू लग रहा है उसने उस दरवाजे मे मुझे इमेजिन करके उसे पटका है’ राघव के मन मे खयाल आया

वही अनुपमा उसे इग्नोर करते हुए बेड की ओर बढ़ी और उसने एक झटके मे पुरानी चादर हटा दी और नई बेड शीट बिछाने लगी और जब उसका काम खतम हो गया तो वो दरवाजे की तरफ आई

राघव- सुनो..!

राघव ने उसे आवाज दी जिसे सुन कर वो रुकी और राघव की ओर मुड़ी

राघव- ये….

लेकिन बोलते बोलते राघव रुक गया जब उसने देखा के अनुपमा ने उसे वापिस इग्नोर कर दिया है और वो बेड की ओर जा रही है जैसे वो वहा हो ही ना

अनुपमा ने बेड पर से पुराने पिलो कवर उठाए और वापिस दरवाजे की तरफ जाने लगी और वो दरवाजा खोलने ही वाली थी के राघव ने उसकी कलाई पकड़ के उसे रोक दिया

राघव- मैं कुछ कह रहा हु

अनुपमा- कहिए!

अनुपमा ने बोला लेकिन इस बार उसकी आवाज सपाट थी

राघव- तुम मुझे इग्नोर क्यू कर रही हो?

अनुपमा- मैं कहा इग्नोर कर रही हु? इग्नोर करने का ठेका तो आपने लिया हुआ है

राघव- ताना मार रही हो?

अनुपमा- मैं कौन होती हु ताना मारने वाली? वैसे भी मुझसे क्या फ़र्क पड़ता है

अनुपमा ने धीमे से कहा

राघव- हुह? क्या कहा जोर से बोलो

अनुपमा- जाना है मुझे जाने दीजिए

अनुपमा ने थोड़ा चिल्लाके कहा

राघव- अरे यार चिल्ला क्यू रही हो?

अनुपमा- क्युकी पागल हु मैं

अनुपमा ने राघव के हाथ से अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा

राघव- हा वो मैं जानता हु लेकिन चिल्लाके बताने की क्या जरूरत थी बाकी लोग सुन लेते तो? और सोचो वो लोग मेरे बारे मे क्या सोचेंगे

राघव ने अनुपमा को चिढ़ाते वापिस उसका हाथ पकड़ते हुए कहा जिसने अनुपमा का मूड और खराब कर दिया

अनुपमा- हा तो जाइए न फिर अपनी उस दोस्त के पास यहा मुझे मत तंग कीजिए वैसे भी लोग आप दोनों को साथ देख के खुश होंगे

अनुपमा ने वापिस चिल्लाते हुए अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन इस बार राघव ने उसका हाथ अच्छे से पकड़ हुआ था और उसने अनुपमा को अपनी तरफ खिचा जिससे वो उसके सीने से जा टकराई

राघव- अनुपमा, क्या हुआ है तुम्हे? ऐसे बिहेव क्यू कर रही हो?

अनुपमा- कुछ नहीं हुआ है मुझे

अनुपमा ने बगैर राघव से नजरे मिलाए उसके हाथों मे कसमसाते हुए कहा

राघव- चुप चाप खड़ी रहो

राघव ने अनुपमा को ऑर्डर देने की कोशिश की सिर्फ कोशिश

अनुपमा- मुझे जाना है बहुत काम है मुझे

राघव- ना! पहले बताओ क्या हुआ है

अनुपमा- कहा ना कुछ नहीं हुआ है और आप मेरे पास क्या कर रहे है आपकी वो स्पेशल दोस्त चली गई क्या

अब राघव के माजरा ध्यान मे आने लगा था

राघव- तुम, तुम कही रितु से जल तो नहीं रही हो?

अनुपमा- मैं… मैं क्यू जलने लगी मुझे कोई फरक नहीं पड़ता

अनुपमा ने अपनी नजरे इधर उधर घुमाते हुए कहा और उसे ऐसे करते देख राघव के चेहरे पर स्माइल आ गई

राघव- ये लो

राघव ने साड़ी का पैकेट उसकी ओर बढ़ाया

अनुपमा- ये क्या है

राघव- ये वो है जिसे तुम आकाश की सगाई मे पहनोगी

अनुपमा- मैंने अपने लिए साड़ी पसंद कर ली है ये जाकर उसे दीजिए जिसके लिए पसंद कर रहे थे

राघव- अरे पर ये तुम्हारे लिए है मैंने सिलेक्ट की है

अनुपमा- कहा ना मुझे नहीं चाहिए, गो टू हेल

अनुपमा ने राघव को धकेलते हुए कहा और राघव आगे कुछ कहता उससे पहले की उन्हे किसी के गला साफ करने की आवाज आई, दरवाजे पर बड़ी दादी खड़ी थी और शरारती मुस्कान से उन्हे देख रही थी

कुमुद- तुम लोगों को तुम्हारा रूम दिया है ना फिर मेरे कमरे मे रोमांस क्यू ?

बड़ी दादी की बात सुन दोनों उन्हे चौक के देखने लगे

अनुपमा- न.. नहीं दादी आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है

कुमुद- फिर कैसा है? दोनों ऐसे चिपक के खड़े हो ये रोमांस नहीं तो लड़ने का नया तरीका है क्या?

और अब इसमे अनुपमा कुछ कहती इससे पहले ही राघव बोला

राघव- देखो ना दादी ये आपकी बहु मुझे टाइम ही नहीं देती है

राघव मासूम बनते हुए बोला और उसकी बात पर अनुपमा उसे शॉक होकर देखने लगी

ये आज नाश्ते मे कुछ गलत खा लिए थे क्या जो ऐसी बाते कर रहे अनुपमा ने सोचा

कुमुद- ये सब क्या है अनुपमा यहा पहले ही दिन मुझे शिकायाते मिल रही है

राघव- हा हा बताओ अब दादी को

राघव अब अनुपमा को छेड़ने के पूरे मूड मे था लेकिन वो भी कम नहीं थी

बड़ा भोला बन रहे है ना अभी बताती हु इनको अनुपमा ने राघव को देखते हुए सोचा फिर स्लाइम के साथ बड़ी दादी से बोली

अनुपमा- देखिए ना दादी ये आकाश की सगाई के लिए मुझे साड़ी नहीं दिला रहे है कहते है कोई जरूरत नहीं है

कुमुद- क्या…!

राघव- हैं?

दादी और राघव के मुह से ये एकसाथ निकला और अब दादी ने अपना मोर्चा राघव की तरफ बढ़ाया

कुमुद- ये मैं क्या सुन रही हु राघव?

राघव- अरे दादी नहीं ये झूठ बोल थी है मैंने ऐसा कब कहा??

राघव ने अनुपमा को देखते हुए कहा

अनुपमा- मैंने तो एक साड़ी पसंद भी की थी लेकिन इन्होंने लेने नहीं दी

अनुपमा अपने झूठे आँसू पोंछते हुए बोली और राघव के हाथ मे पकड़ा साड़ी का पैकेट दिखाया

राघव- क्या??

राघव मुह फाड़े अनुपमा को देख रहा था के वो कितनी सफाई से झूठ बोल रही थी

कुमुद- राघव क्या है ये सब? ये कोई तरीका है क्या और तुम होते कौन हो उसे साड़ी लेने से रोकने वाले अभी के अभी उसे वो साड़ी दो

राघव- लेकिन दादी….

कुमुद- मैंने कहा ना

राघव ने आँखों के कोने से अनुपमा को देखा जो उसे दादी से डांट खाता देख मजे ले रही थी वो कुछ पुटपुटाया और वो पैकेट उसने उसे दे दिया

अनुपमा- दादी जी ये तो यहा से जल्दी जाने का भी कह रहे थे ताकि वापिस काम पर जा सके, अब मैं तो यहा पहली बार आई हु मुझे और कुछ दिन रहना है , कहते है मैं इन्हे टाइम नहीं देती और खुद सारा दिन लैपटॉप लिए रहते है फिर आप बताओ मैं कैसे इनके साथ टाइम बिताऊ, ये तो यहा भी अपना लैपटॉप लाए है ताकि दिन रात काम कर सके

अनुपमा ने मासूम बनते हुए राघव की शिकायते की

राघव अनुपमा को ‘अब तो तुम गई वाले लुक से घूरे जा रहा था लेकिन अनुपमा को कहा फरक पड़ना था

कुमुद- मैं ये क्या सुन रही हु राघव, परेशान हो गई हु तुमसे उसकी तो शिकायत कर दी तुमने और तुम्हारा क्या? अनुपमा बेटा जाओ और इसका लैपटॉप लाकर दो मुझे अब इसे 1 हफ्ते तक लैपटॉप नहीं मिलेगा।

बस दादी की ये लाइन राघव को शॉक देने काफी थी वो अपनी जगह पर जम गया

राघव- नहीं… नहीं दादी आप ऐसा नहीं करोगी, अरे मैं तो मजाक कर रहा था के ये टाइम नहीं देती आप मेरा लैपटॉप नहीं ले सकती

लेकिन दादी ने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया

कुमुद- अनुपमा जाओ इसका लैपटॉप लेकर आओ

राघव- नहीं!!!!

कुमुद- जाओ अनुपमा, मैं भी देखती हु ये आदमी अब एक हफ्ता काम कैसे करता है

राघव- एक हफ्ता!!! नहीं!!! ऐसा नहीं करोगी आप!! अनुपमा खबरदार जो मेरे लैपटॉप को हाथ लगाया तो पछताओगी मैं कह रहा हु

राघव ने अनुपमा की ओर बढ़ते हुए कहा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे

कुमुद- ओ राघव देशपांडे खबरदार अगर मेरी बहु को कुछ कहा तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा, अनुपमा मैं कह रही हु न तुम जाओ

और अनुपमा मुंडी हिलाते हुए वहा से चली गई, हालांकि उसे भी समझ आ गया था के फ़्लो फ़्लो मे वो ज्यादा बोल गई थी लेकिन इससे अब जो ड्रामा होगा उसमे मजा भी बड़ा आने वाला था और यही तो चांस था राघव को उसके लैपटॉप से दूर करने का और अपनी सौतन लैपटॉप को हटाने का ये मौका अनुपमा कहा छोड़ने वाली थी

जब अनुपमा लैपटॉप लेने गई तो राघव भी उसके पीछे जाने लगा लेकिन दादी ने रोक दिया उसे और द ग्रेट राघव देशपांडे अपने लैपटॉप को बचाने अपनी दादी से मिन्नते करने लगा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ इतने मे अनुपमा उसका लैपटॉप ले आई और राघव उसे खुले मुह से देखने लगा

राघव- अनुपमा मैं कह रहा हु रुक जाओ

राघव लैपटॉप छीनने अनुपमा की ओर लपका लेकिन अनुपमा उससे ज्यादा तेज थी उसने उसके अपने पास आने से पहले ही लैपटॉप दादी के हाथ मे पकड़ा दिया

राघव- दादी, दादी लैपटॉप वापिस दे दो प्लीज, मैं…. मैं वादा करता हु बिल्कुल ज्यादा काम नहीं करूंगा और 1 हफ्ते से पहले तो यहां से हिलूँगा भी नहीं पक्का वादा

राघव बड़ी दादी के सामने करीब करीब गिड़गिड़ा रहा था वही उसकी हालत देख अनुपमा मंद मंद हस रही थी

कुमुद- ना अब तो ये तुम्हें मिलने से रहा! अब तुम्हें ये लैपटॉप तब ही मिलेगा जब अनुपमा मुझसे कहेगी

दादी ने शरारती मुस्कान के साथ राघव की मिन्नतों को इग्नोर कर दिया और राघव ने हसती हुई अनुपमा को देखा और उसके देखते ही अनुपमा ने अपना चेहरा सपाट कर लिया

राघव- बड़ी दादी से कहो के मुझे मेरा लैपटॉप अभी के अभी वापिस दे

राघव ने अनुपमा पर रौब झाड़ते हुए उसे अपनी मजा लेते देख इरिटेट होकर कहा

अनुपमा- ना.. मैं दादी जी की बात नहीं टाल सकती उन्हे अच्छे नहीं लगेगा ना

अनुपमा ने मासूम बनते हुए कहा और राघव सीरीअस चेहरे के साथ उसे देखने लगा

राघव- मेरे पेशंस को टेस्ट मत लो अनुपमा जो कहा है वो करो

कुमुद- राघव तुम उसे धमका रहे हो?

राघव – दादी मुझे मेरा लैपटॉप वापिस चाहिए

कुमुद- ना कहा ना, अनुपमा तुम जाओ बेटा ये अब कुछ नही करेगा

और दादी के कहते ही अनुपमा वहा से भाग ली

राघव- रुको ! दादी ये चीटिंग है

और आगे दादी की कोई बात बगैर सुने ही राघव वहा से निकल गया

राघव- तुम्हारी तो… अनुपमा मैंने कहा यहा आओ और दादी को लैपटॉप वापिस देने कहो

राघव ने अनुपमा के पीछे आते हुए कहा वही अनुपमा उससे दूर भाग रही थी

अनुपमा- नहीं!

राघव- अनुपमा.. देखो बात मानो जो कहा है करो

अनुपमा- कहा ना मैं उनसे कुछ भी नहीं कहने वाली

अनुपमा ने हसते हुए कहा और इनकी इस पकड़म पकड़ाई ने बाकी घरवालों का ध्यान इनकी ओर खिच लिया, घरवालों ने इन दोनों को कभी ऐसे बच्चो जैसे बर्ताव करते नहीं देखा था तो वो शॉक थे

मीनाक्षी- भाभी क्या हो रहा है ये?

मीनाक्षी जी ने जानकी से पूछा जो अपने बेटे बहु को खुले मुह के साथ देख रही थी

शुभंकर- ये सही मे राघव और अनुपमा है?

रमेश- ये क्या हमेशा ऐसे ही रहते है?

धनंजय- ना ऐसे तो नहीं रहते

उन दोनों को देख अपनी दादी गायत्री ने तो अपनी आंखे मल ली उनको तो यकीन ही नहीं हो रहा था और वही राघव और अनुपमा पूरे घर में इधर उधर दौड़ रहे थे उन्हे बाकी दुनिया की फिक्र ही नहीं थी

राघव- अनुपमा देखो मेरी बात मान लो वरना…

लेकिन अनुपमा ने उसकी एक बात नहीं सुनी और दौड़ते हुए पीछे वाली बगीचे की तरफ आई

अनुपमा- हॉ!! मैं तो आपसे डर गई

अनुपमा ने डरने वाले एक्सप्रेशन बनाए फिर हसते हुए कहा और उसे ऐसे हसता देख राघव के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई ऐसी बड़ी सी स्माइल जिसे उसके चेहरे पर देखे घरवालों को अरसा हो गया था एकदम सच्ची

विवेक- ये सही मे भाभी है?

विवेक ने शेखर से पूछा जो उल्लू की तरह उन्हे ही देख रहा था जब वो पीछे की साइड आए थे

स्वाती- ये क्या कोई गेम खेल रहे है क्या?

स्वाती ने रिद्धि से पूछा जो अपनी पलके झपकते हुए इन सीन को पचाने की कोशिश कर रही थी

आकाश- राघव भाई? स्माइल करते हुए? ये सपना तो नहीं है ना?

लेकिन वहा एक ऐसा भी शक्स था जिसे इन दोनों की नजदीकिया पसंद नहीं आ रही थी, और वो थी रितु, साफ था उसे अनुपमा से जलन हो रही थी…. लेकिन क्यू…??