अनुपमा को राघव और रितु का ऐसे हस हस के चिपक के बात करना बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था और ये बात उसके चेहरे से साफ पता चल रही थी और उन्हे इन तरह गुलू गुलू करते देख अनुपमा ने अपने हाथ मे पकड़ा जुलरी बॉक्स थड़ की आवाज के साथ बंद कर दिया जिसके आवाज ने सबका ध्यान उसकी तरफ खीच लिया
जानकी- क्या हुआ अनुपमा?
अनुपमा- हह! नहीं कुछ नहीं मा वो बस पसंद नहीं आया तो बंद कर रही थी,
अनुपमा ने जवाब दिया लेकिन उसके शब्द उसके चेहरे से मैच ही नहीं कर रहे थे मानो वो बात किसी से कर रही थी और इशारा किसी और को दे रही थी वही मीनाक्षी जी ने जानकी और संध्या को कुछ इशारा किया और संध्या जी बोली
संध्या- साड़िया को ऐसे पता नहीं चलता जानकी भाभी मीनाक्षी भाभी चलो रूममे चल कर ट्राइ करके देखते है
जानकी- हा… हा सही है संध्या अंदर चल कर देखते है! मा हम आते है अभी
जानकी ने गायत्री जी से कहा और वो तीनों फटाक से अंदर चली गई और उनके वहा से जाने का रीज़न बड़ी लेडिज तो समझ गई लेकिन अनुपमा और श्वेता उन्हे कन्फ्यूज़ होकर देखने लगी
कुमुद- तुम दोनों भी जाओ ऐसे मौके बार बार नहीं मिलेंगे
बड़ी दादी ने गायत्री और आरती से कहा और वो दोनों भी वहा से चली गई और अब वहा बस अपनी गैंग बची थी
कुमुद- चिल्लर पार्टी तुम्हें भी कुछ लेना हो तो ले लो
स्वाती- दादी हम तो हमारे लिए ले लेंगे लेकिन आकाश और शेखर भईया का क्या वो थोड़ी साड़ी पहनते है और विवेक, खैर उसे जाने ही दो
स्वाती ने लड़कों को चिढ़ाते हुए कहा और इसपे अपने विवेक भाई भड़क गए
विवेक- जाने ही दो का क्या मतलब बे
लेकिन स्वाती ने उसे कोई रिएक्शन नहीं दिया और उसे ठेंगा दिखा कर चिढ़ाने लगी तभी बड़ी दादी बोली
कुमुद- हा तो क्या हुआ वो लोग अपनी बीवियों के लिए पसंद कर लेंगे अब यहा आओ
बड़ी दादी अपनी पर पोती के ऐसे बेस लेस सवाल ने इरिटेट हो गई थी
कुमुद- रितु बेटे तुम भी अपने लिए कोई ड्रेस पसंद कर लो
बड़ी दादी ने रितु को आवाज लगाई जो अभी भी राघव से बातों मे लगी हुई थी
‘ऐसे तो इस इंसान के बोल मोल लेने पड़ते है इतना तोल मोल के बोलता है अब क्या हुआ?’ अनुपमा के मन मे खयाल आया
रितु- बस अभी आई दादी
जिसके बाद बड़ी दादी वहा से चली गई और रितु राघव की तरफ मुड़ी और उसका हाथ पकड़ लिया और बोली
रितु- राघव आओ तुम मेरे लिए ड्रेस पसंद करो
और राघव का हाथ पकड़ के वो उसको अपने साथ ले आई और उनके जुड़े हाथों को देख अनुपमा की हालत और खराब होने लगी
अब वो सब लोग एक जगह बैठ कर कपड़े सिलेक्ट करने लगे, शेखर श्वेता के लिए साड़ी पसंद कर रहा था वही आकाश स्वाती रिद्धि और विवेक से राधिका की साड़ी के लिए सजेशन मांग रहा था और रितु राघव से चिपकी हुई थी और अनुपमा, वो बेचारी अकेले साड़ी देख रही थी और उसे लेफ्ट आउट सा फ़ील हो रहा था, सब अपनी अपनी बीवियों के लिए मंगेतर के लिए साड़ी पसंद करने मे लगे थे और उसका पती अपनी पत्नी को छोड़ के एक लड़की के साथ बिजी था, अनुपमा की आँखों में पानी जमने लगा था लेकिन उसने उन्हे रोके रखा था
‘नहीं अनुपमा रोना नहीं है ये कौनसी बड़ी बात है बिल्कुल रोना नहीं है’ अनुपमा अपने आप को समझा रही थी
रितु- राघव! ये देखो ये कैसी है सही लग रही है मुझ पर?
रितु ने एक साड़ी राघव को दिखाते हुए कहा
राघव- उमहू ना इतनी खास नहीं है
राघव के जवाब ने अनुपमा को और हर्ट कर दिया, सब लोग अपने अपने मे बिजी थे और राघव और रितु साथ मे बैठे बाते कर रहे थे साड़िया देख रहे थे और अनुपमा उतरे चेहरे के साथ उन्हे देख रही थी, रितु बातों बातों मे कभी कभी राघव को टच कर देती थी और राघव भी ऐसे लग रहा था जैसे उसे इंसमे मजा आ रहा था
विवेक- भाभी आपको क्या हुआ? आप साड़िया नहीं सिलेक्ट कर रही?
विवेक के सवाल ने सबका ध्यान अनुपमा की ओर खिच दिया और राघव ने जब अनुपमा को देखा तब उसे अपनी गलती ध्यान मे आ गई
‘शीट! फैल गया रायता, तू इतना चू… बेवकूफ कैसे हो सकता है राघव’ राघव ने मन ही मन अपने आप को दो बाते सुना दी
अनुपमा- नह… नहीं तो ऐसा नहीं है वो मुझे मेरे लिए कोई साड़ी पसंद ही नहीं आई..
अनुपमा ने झूठी मुस्कान के साथ कहा और सबने फिर अनुपमा की बात सही मान के उस बात को इग्नोर कर दिया सिवाय एक के
“अरे बेटा पहले बताना चाहिए था ना मैं और दूसरी साड़ी दिखाता” उस दुकानदार ने कहा जो साड़िया दिखा रहा था
जिसके बाद उसने और भी नई साड़िया अनुपमा को दिखाई और अनुपमा भी अपना ध्यान उस ओर लगाने की कोशिश करने लगी लेकिन उसके चेहरे पर उदासी साफ थी और राघव लगातार उसे देख रहा था और राघव के चेहरे पर भी पछतावा दिख रहा था, अपने आप पर किसी की नजरे पा कर अनुपमा ने उसे देखा, दोनों की नजरे मिली लेकिन यहा भी रितु बीच मे आ गई और उसने राघव को हिला कर एक साड़ी दिखाई और इस हरकत ने अनुपमा को और दुखी कर दिया और उसने अपनी नजरे घुमा ली
राघव- हम्म वहा कुछ अच्छी साड़िया है मैं वहा जाकर देखता हु
राघव ने बहाना बनाते हुए अनुपमा की ओर इशारा किया और वहा से उठ कर अनुपमा के बाजू मे आकार बैठ गया ताकि अनुपमा के लिए कोई साड़ी पसंद कर सके लेकिन आज तो किस्मत को कुछ और ही गेम खेलना था
रितु- हा हा वहा अच्छी साड़िया है
इतना बोल के रितु भी वापिस राघव के पास आकार बैठ गई और ये बात अब श्वेता को पसंद नहीं आई और रितु तो श्वेता को पहली नजर मे ही पसंद नहीं आई थी ऊपर से उसका राघव के साथ इतना क्लोज़ होना जिसपर श्वेता कुछ बोलने ही वाली थी के शेखर ने उसे रोक दिया
शेखर- जो हो रहा है होने दो और बस देखती रहो
शेखर ने श्वेता के कान मे धीमे से कहा
श्वेता- लेकिन..
श्वेता आगे कुछ बोलती उससे पहले ही शेखर ने उसे आँखों ने आश्वस्त किया और वो भी चुप हो गई।
राघव- तुम ये लो ये देखो
राघव ने एक साड़ी रितु की तरफ सरकाई ताकि वो उसमे बिजी को जाए और वो अनुपमा की मदद कर सके वही
‘अगर इनको मुझे छोड़ कर दूसरों के लिए साड़िया पसंद करनी है तो ऐसा ही सही मैं भी इन्हे नहीं पूछूँगी’ अनुपमा ने अब थोड़ा गुस्सा होते हुए सोचा
अनुपमा- विवेक ये देखो तो ये साड़ी कैसी है?
अनुपमा ने राघव को इग्नोर करते हुए विवेक को साड़ी दिखते हुए पूछा और राघव बस उसे देखने लगा
विवेक- ठीक है इतना खास नहीं
राघव- अच्छी है!
राघव ने कहा लेकिन अनुपमा ने अपना चेहरा सपाट बनाया हुआ था और उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया
अनुपमा- हम्म विवेक यू आर राइट इतनी अच्छी नहीं है मैं दूसरी देखती हु ये बहुत हेवी है
राघव से अनुपमा का उसे ऐसे इग्नोर करना बर्दाश्त नहीं हो रहा था लेकिन अब बीवी का दिल दुखाओगे तो परिणाम यही होगा ना
तभी राघव की नजरे वहा रखी एक खूबसूरत गुलाबी साड़ी पर पड़ी सिल्वर वर्क वाली साड़ी थी वो और अनुपमा के लिए एकदम परफेक्ट थी उसने वो साड़ी उठाई और अनुपमा के साममे रखी
अनुपमा ने उस साड़ी को देखा फिर राघव को देखा और अब उसके लिए उस साड़ी को छोड़ना मुश्किल हो रहा था क्युकी उसे भी वो साड़ी पसंद आ गई थी लेकिन करे क्या राघव से नाराज वो जो थी
‘अब क्या हुआ इन्हे, पहले याद नहीं आया के यहा अपनी बीवी भी है उसके लिए भी साड़ी पसंद करनी है, सॉरी साड़ी लेकिन इस जंग मे मुझे तुम्हारी कुर्बानी देनी होगी’
अनुपमा ने दुखी मन से साड़ी को देखा क्युकी उसे वो बहुत पसंद आई थी और उसके एक्सप्रेशन देख के राघव के चेहरे पर मुस्कान आ गई
‘इसको तो ये बिल्कुल इग्नोर नहीं करेगी’ राघव ने मन मे सोचा लेकिन….
अनुपमा ने उस साड़ी को इग्नोर कर दिया और अपने लिए दूसरी साड़ी ढूंढने लगी, राघव ने थोड़ा शॉक मे उसे देखा और वापिस वही साड़ी उसके सामने पकड़ी
राघव- ले लो इसे!
राघव ने अनुपमा से धीमे से कहा लेकिन इस बार भी उसने राघव के शब्दों को इग्नोर कर दिया
अनुपमा- विवेक इनमे से कौनसी वाली अच्छी है
अनुपमा ने विवेक के सामने दो साड़िया पकड़ते उससे पूछा
राघव- राइट वाली बेटर है
विवेक कुछ बोलता उससे पहले ही राघव बोल पड़ा
अनुपमा- मुझे लगता है लेफ्ट वाली बढ़िया है सिम्पल और ब्यूटीफुल हैना विवेक ?
अनुपमा ने विवेक को देखते हुए राघव के शब्दों को इग्नोर करते हुए कहा जिससे राघव अब इरिटेट को रहा था
‘इसको अचानक क्या हुआ है अब? सुबह तक तो सब सही था और एक साड़ी ही तो है उसमे इतना क्या है?’ राघव ने सोचा
ये पूरा ड्रामा शेखर और श्वेता देख रहे थे और राघव को ऐसा इरिटेट होता देख अंदर ही अंदर हस रहे थे और अब आगे राघव कुछ बोलता उससे पहले ही अनुपमा वहा से उठी और कुछ बहाना बना के अंदर चली गई और उसके जाते ही विवेक राघव के पास आया
विवेक- भाई!
राघव- हम्म ?
विवेक- अब आपने क्या किया है? भाभी गुस्से मे लग रही!
राघव- तुम सबको ऐसा क्यू लगता है के हमेशा मैं ही कुछ गलत करता हु?
विवेक- रूल नंबर 6969 ऑफ हैप्पी मैरिड लाइफ गलती हमेशा पती की होती है और माफी सबसे पहले उन्ही को माँगनी होती है
विवेक ने चौड़ा बनते हए कहा
राघव- और कौन है वो जो ये बकवास तेरे दिमाग मे भर रहा है
विवेक- हूह लॉर्ड विवेक किसी की बात नहीं सुनते और बगैर प्रूफ के बात नहीं करते यकीन ना हो तो उधर देखो
विवेक ने राघव को इशारे से शेखर को देखने कहा जो अपने हाथों से अपने कान पकड़ के श्वेता से किसी बात के लिए माफी मांग रहा था जिसके बाद विवेक और राघव ने एकदूसरे को देखा और विवेक अपने काम मे लग गया
रितु- वॉव क्या बढ़िया साड़ी है ये, इसे तो मैं ही लूँगी
रितु ने उस साड़ी को देखते हुए कहा जिसे राघव ने अनुपमा के लिए पसंद किया था
राघव- नहीं!
राघव ने करीब करीब चिल्लाते हुए कहा जिसे सुन रितु वही जम गई
राघव- मेरा मतलब वो मेरी है
रितु- क्या..??
रिद्धि- भाई क्या कह रहे हो आप आपने साड़ी पहनना कब शुरू किया?
राघव- शट उप रिद्धि मेरा मतलब है मैंने पसंद की है वो
रितु- तब तो फिर मैं ले रही हु ये साड़ी तुमने पसंद की है तो मेरे लिए ही की होगी
रितु ने मुस्कुराकर कहा और वो उस साड़ी को लेने ही वाली थी के राघव ने झटके से उसके हाथ से वो साड़ी खिच ली
राघव- ये तुम्हारे लिए नहीं है रितु… ये.. अनुपमा के लिए है मेरी वाइफ के लिए
राघव की बात सुन रितु की स्माइल गायब हो गई
रितु- तुम्हारी वाइफ भी आई है ??
श्वेता- हा तो, भईया आए है तो भाभी भी आएंगी ही ना वैसे भी भईया भाभी के बिना एक मिनट भी नहीं रह सकते
श्वेता ने कहा जिसपर राघव ने उसे देखा मानो कह रहा हो के ये बात बतानी जरूरी नहीं थी
रितु- कहा है तुम्हारी वाइफ?
रितु ने झूठी मुस्कान लिए अपने दांत पीसते कहा
राघव- वो बस अभी अंदर गई है
रितु – वो!! वो तुम्हारी पत्नी है??
रितु ने अपने चेहरे पर अजीब से एक्सप्रेशन लाते हुए कहा जिसे राघव ने इग्नोर कर दिया और वो साड़ी उसने अनुपमा के लिए पैक करवाई और जब साड़ी पैक हो गई तो राघव उसे ले कर घर के अंदर चला गया अनुपमा को ढूंढने वही रितु उसे जाते हुए देखती रही, उसके दिमाग मे कुछ तो चल रहा था जिसे श्वेता भाप गई थी पता नहीं अब आगे क्या होने वाला था हा लेकिन मजा बहुत आने वाला है…..