अनुपमा – 26

 

राघव और अनुपमा आवाज सुन कर दौड़ कर नीचे आए तो उन्हें नीचे का महोल देख कर थोड़ा शॉक लगा

राघव ने जब वहा की हालत देखि और अपनी दादी को देखा तो वो भाग के उसने पास गया और घुटनों पर उनके सामने बैठ गया, दादी सोफ़े पर अपने सर पर हाथ लगाये बैठी थी , अनुपमा भी राघव के पीछे पीछे दादी के पास आई

राघव- दादी क्या हुआ है?

राघव ने चिंता से पूछा लेकिन दादी ने कुछ जवाब नहीं दिया लेकिन उनकी आँखों मे पानी राघव देख सकता था और वही उसे सबसे ज्यादा परेशान कर रहे थे.. जब राघव ने अपनी दादी से कोई जवाब नही पाया तो वो जवाब की उम्मीद मे दादू की ओर मूडा

राघव- दादू क्या हुआ है? अरे बताओ कोई तो! पापा? चाचू?

राघव ने दादू से पूछा लेकिन वो भी कुछ बताने की हालत मे नहीं थे, दादू कही खोए हुए थे और अपने पापा और चाचा से भी राघव को कुछ जवाब नहीं मिला

राघव- अरे कोई मुझे बताएगा के क्या हुआ है?

किसी से भी जवाब ना पा कर राघव अब चिढ़ने लगा था और उसने चिल्ला के पूछा तभी शेखर उसके पास आया

शेखर- भाई बड़ी दादी ( दादी की बड़ी बहन)… उनकी… उनकी तबीयत बहुत सीरीअस है…. कुछ भी हो सकता है

शेखर ने धीमे से नीचे देखते हुए कहा

गायत्री- मुझे दीदी के पास जाना है, शिव मुझे वहा ले चलिए

दादी रोते हुए उठ कर दादू से बोली

शिवशंकर- हम्म, धनंजय ने सब तैयारी कर दी है गायत्री, कार तैयार है हम अभी वहा चल रहे है

दादू ने दादी को शांत कराते हुए कहा

गायत्री- तो जल्दी चलो फिर

दादी की हालत देख राघव ने उन्हे गले लगा लिया और उनकी पीठ सहलाने लगा

रमाकांत- मा ऐसे रोइए मत आप आपकी तबीयत खराब हो जाएगी और पापा आ रहे है आपके साथ और हमे भी मिलना है मौसी से हम भी चल रहे है

रमाकांत जी ने कहा जिसपर दादू ने हामी भर दी

शिवशंकर- ठीक है फिर मैं गायत्री, रमाकांत जानकी धनंजय और मीनाक्षी जाते है अभी, वो भी हमसे मिलना चाहती है

विवेक- हम भी आएंगे दादू

शेखर- हा दादू हम भी चलेंगे

रमाकांत- ठीक है फिर विवेक और रिद्धि हमारे साथ ही चलेंगे और किसी को सब मैनेज करने के लिए यहा रुकना पड़ेगा बेटा राघव अनुपमा तुम और शेखर और श्वेता तुम लोग यहा का सब मैनेज करके कल सुबह आ जाना, और शेखर तुम मेरे पार्टी ऑफिस मे जाकर खबर कर देना और कुछ काम होगा तो सेटल कर देना

शेखर- जी बड़े पापा

राघव- मैं ऑफिस के काम देख लूँगा बाकी सब शेखर देख लेगा

शिवशंकर- मुझे लगता है हमे वहा कुछ दिन रुकना पड़ेगा

ये लोग बात ही कर ही रहे थे के इतने मे ड्राइवर ने आकार गाड़ी रेडी है कहा

धनंजय- हम्म! हम लोग आ ही रहे है तुम तब तक कार शुरू करो

रमाकांत- मा पापा आप जाकर पॅकिंग कर लीजिए हम भी तैयार हो जाते है

जिसके बाद दादू दादी को लेकर अपने कमरे मे चले गए वही घर के बड़े लोग सब पॅकिंग मे लग गए और राघव अपना सर पकड़ कर वही सोफ़े पर बैठ गया और शेखर उसके बाजू मे वही घर की दोनों बहु बड़ों की पॅकिंग मे मदद करने लगी, कुछ समय बाद विवेक और रिद्धि के साथ वो सब लोग निकल गए

राघव- शेखर तुम पहले डैड के पार्टी ऑफिस का काम निपटा कर ऑफिस पहुचो मैं ऑफिस के लिए निकल रहा हु आज सब मैनेज करके हम कल सुबह जल्दी ही निकलेंगे

राघव ने शेखर से कहा और सुबह जल्दी निकलने वाली लाइन उसने अनुपमा को देख कर बोली तो दोनों ने हामी भर दी जिसके बाद राघव और शेखर अपने अपने कामों से चले गए और अब उस बड़े से घर मे बस अनुपमा और श्वेता बची थी।

अनुपमा- श्वेता शाम होने वाली है तुम भी जाकर अपने और शेखर के कपड़े पैक करने शुरू कर दो आज इन लोगों को आने में लेट होने वाला है, मैं हेलपर्स को सब समझा देती हु

श्वेता- भाभी रीलैक्स सब सही होगा

श्वेता ने अनुपमा के कंधे पर हाथ रख कर उसे शांत करते हुए कहा

अनुपमा- ये लोग बड़ी दादी को लेके बहुत सेंसिटिव है श्वेता, और इनका तो पूरा बचपन ही उनके साथ गुजरा है तो ये उनसे काफी ज्यादा क्लोज़ है अब ये और स्ट्रेस ले लेंगे, मैंने कभी बड़ी दादी को देखा नहीं है लेकिन उनके बारे मे बहुत सुना है वो तबीयत की वजह से हमारी शादी मे भी नहीं थी

श्वेता- हम इसमे कुछ नहीं कर सकते भाभी, अब असल बात तो वहा जाकर ही पता चलेगी

जिसके बाद श्वेता अपने रूम मे चली गई और अनुपमा ने घर के नौकरों को सब समझाया और वो भी पॅकिंग करने अपने कमरे मे चली गई…

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इस वक्त घड़ी मे रात के 12.30 बज रहे थे और राघव और शेखर अभी तक ऑफिस से नहीं लौटे थे और अनुपमा और श्वेता उनका इंतजार कर रही थी

जल्द ही उन्हे बेल बजने का आवाज आया तो श्वेता ने दरवाजा खोला, सामने राघव और शेखर थके हुए खड़े थे श्वेता ने उन्हे अंदर आने का रास्ता दिया

श्वेता- सब हो गया

श्वेता ने शेखर से पूछा तो उसने हा मे गर्दन हिला दी और वो और राघव सोफ़े पर आकार बैठ गए तो अनुपमा ने उनके लिए पानी ले लाई

अनुपमा- आपलोग जाकर चेंज कर आओ मैं खाना लगाती हु

अनुपमा उन दोनों के पानी के खाली ग्लास लेते हुए कहा, बादमे खाना उन लोगों ने शांति से ही खाया, अनुपमा खाते वक्त ज्यादा बोलती नहीं थी वही श्वेता भी ज्यादा कुछ नहीं बोली क्युकी राघव और शेखर काफी ज्यादा थके हुए लग रहे थे, अगले हफ्ते दस दिन का काम 1 दिन मे किया था उन्होंने जिसका असर उनके चेहरे पर साफ था , खाना होने के बाद दोनों अपने अपने रूम मे चले गए।

अनुपमा जब अपने रूम मे पहुची तो उसने देखा के राघव बेड पर आधा लेता हुया था और अपना सर सहला रहा था और उसकी आंखे बंद थी ।

अनुपमा- मैंने सारी पॅकिंग कर ली है!

राघव- हम्म!

राघव ने आंखे खोल के अनुपमा को एक पल देखा और वापिस आंखे बंद कर ली

अनुपमा- सर दर्द कर रहा है?

राघव- हम्म हल्का सा

राघव ने अपना सर पीछे बेड पर टिकाते हुए कहा

अनुपमा- मैं मालिश कर देती हु अच्छा लगेगा आपको

राघव- नहीं रहने दो हल्का सा दर्द है बस दवा ले लूँगा ठीक हो जाएगा

अनुपमा- जब हल्का सा ही दर्द है तो मालिश बढ़िया ऑप्शन है, हर बात पर दवाई नहीं खाई जाती

अनुपमा ने राघव ने पास आते हुए कहा

राघव- पक्का?

अनुपमा- जी, अब आइए यहा स्टूल पर बैठिए

जिसके बाद राघव ने चुप चाप अनुपमा की बात मान ली और अनुपमा ने उसके सर की तेल मालिश शुरू की जिससे राघव को रीलैक्स महसूस होने लगा

राघव- यार क्या सही लग रहा है ये

राघव ने आंखे मुंदे ही कहा

अनुपमा- रिद्धि ने शाम को मुझे मैसेज किया था वो सही से पहुच गए है

राघव- बड़ी दादी की तबीयत कैसी है अब? पूछा तुमने?

अनुपमा- मैंने कॉल किया था लेकिन बात नहीं हो पाई, फोन पर नेटवर्क नहीं था शायद मैसेज किया है लेकिन रिद्धि ने देखा नहीं है अभी

राघव- हम्म

अनुपमा- इतना स्ट्रेस मत लीजिए सब सही होगा

राघव- पता नहीं अब कल क्या होने वाला है

तभी अनुपमा ने अपनी उँगलिया राघव ने सर पर प्रेस की ठीक सर पर

राघव- आह हा यही, सही लग रहा

अब राघव का सर दर्द कम था

अनुपमा- मैंने कहा था अच्छा लगेगा आपको

कुछ समय बाद राघव ने अनुपमा को रुकने कहा जब उसे अच्छा लगने लगा और फिर वो बेड पर लेट गया और अनुपमा भी अपने हाथ धो कर वहा आ गई

राघव- हम कल सुबह 6 बजे निकलेंगे

राघव ने अनुपमा को कल का प्लान बताया जिसपर उसने हा मे गर्दन हिला दी जिसके बाद राघव ने अनुपमा का बाया हाथ पकड़ लिया जिससे अनुपमा पहले तो थोड़ा चौकी लेकिन कुछ बोली नहीं

राघव- वो ठीक होंगी ना?

राघव ने अचानक पूछा और अनुपमा ने अपना दाया हाथ राघव के हाथ पर रख कर उसे आश्वस्त किया

अनुपमा – सब सही होगा आप ज्यादा मत सोचो इस बारे मे

राघव- मैंने अपना बहुत सा बचपन, छुट्टिया उनके साथ बिताई है इसीलिए वो मेरे सबसे ज्यादा क्लोज़ है मैं नहीं जानता अगर उन्हे कुछ हुआ तो मैं क्या कर बैठूँगा

राघव की आवाज से साफ पता चल रहा था के उसे बड़ी दादी की कितनी फिक्र थी और वो कितना ज्यादा डरा हुआ था, अनुपमा उसकी चिंता को साफ महसूस कर पा रही रही वो उसके थोड़ा पास सरकी

अनुपमा- बस कुछ मत सोचिए, कल जो होगा हम साथ मे देखेंगे सब सही होगा आप बस आराम कीजिए अभी

अनुपमा ने राघव के सर को थपथपाना शुरू किया और राघव ने अपनी आंखे बंद कर ली और धीरे धीरे नींद के आग़ोश मे समा गया……