अगली सुबह
अनुपमा- मा मैं उनकी लेमन टी लेकर जा रही हु उनका जिम का टाइम हो गया है
अनुपमा ने एक स्माइल के साथ कहा, वो तो अब राघव का साथ एक पल नहीं छोड़ना चाहती थी
जानकी- क्या बात है आज बड़ी खुश लग रही हो
अनुपमा- नह.. नहीं मा बस ऐसे ही मैं आती हु उन्हे चाय देके
इतना बोल के अनुपमा जल्दी वहा से निकल गई और उसे जाता देख मीनाक्षी बोली
मीनाक्षी- जीजी लगता है सब जल्द ही सही हो जाएगा
जानकी- हम्म मुझे भी ऐसा ही लगता है।
इधर अनुपमा जैसे ही रूम मे पहुची तो राघव बाथरूम से बाहर आ रहा था, उसने राघव को देख एक स्माइल पास की जिसे देख राघव जहा था वही जम गया और बड़ी आँखों से उसे देखने लगा
अनुपमा- आप न जब ऐसे आंखे बड़ी करके देखते है न बड़े क्यूट लगते है
अनुपमा के राघव के पास आकार उसे चाय देते हुए कहा बदले मे राघव ने उसके माथे को अपने हाथ से छुआ और कुछ पुटपुटाया
अनुपमा- क्या हुआ?
राघव- तुमको क्या हुआ है तबीयत तो ठीक है न तुम्हारी?
अनुपमा- मुझे तो कुछ नहीं हुआ है
राघव- तो क्या तुम कही गजनी तो नहीं बन गई मेमोरी लॉस प्रॉब्लेम?
अनुपमा- मैं एकदम फिट और फाइन हु
अनुपमा ने गजनी वाली बात पर तुनक कर कहा
राघव- तो फिर ऐसे क्यू बिहेव कर रही हो?
राघव ने उसके हाथ मे से चाय का कप लेकर साइड मे टेबल पर रखते हुए पूछा, उसे कुछ बाते क्लियर करनी थी
अनुपमा – मैं एकदम नॉर्मल हु
राघव- नहीं तुम नॉर्मल नहीं हो, समझ आ रहा है न? तुम कभी मुझसे ऐसे बात नहीं करती हो
अनुपमा- तो? अब क्या मैं अपने पति से बात भी नहीं कर सकती
राघव- और तुम कबसे मुझे अपना पति मानने लगि?
राघव ने अनुपमा की ओर एक कदम बढ़ाते हुए पूछा
अनुपमा- उस दिन से जिस दिन से आपने मेरी मांग मे सिंदूर भरा था
अनुपमा ने भी एक कदम राघव की ओर बढ़ाया
राघव- पर तुमने तो मुझे ये कभी कहा नहीं
राघव ने उसकी ओर एक और कदम बढ़ाया और उसकी आँखों मे देखते हुए बोला
अनुपमा- आपने कभी पूछा ही नहीं
नजरों का नजरों का कॉन्टैक्ट बनाए रखते हुए अनुपमा ने भी एक और कदम राघव की ओर बढ़ाया
राघव- तो तुम्हें बगैर पूछे बताना चाहिए था
राघव और करीब आया
अनुपमा- तो आपको भी बगैर कुछ कहे अपना हक मुझपर जताना चाहिए था
अनुपमा भी राघव के करीब आयी, दोनों एकदूसरे की सासों को महसूस कर सकते थे बस एक इंच की दूरी थी दोनों के बीच अगर कोई उन्हे धक्का दे देता तो शायद किस हो जाता, वो दोनों बगैर पलक झपकाए एकदूसरे की आँखों मे देखे जा रहे थे, वो एकदूसरे की आँखों मे खो चुके थे के तभी
अनुपमा- सुनिए!
अनुपमा ने धीमे से कहा
राघव- हम्म?
अनुपमा- चाय पी लीजिए, वो ठंडी हो जाएगी और आप लेट
अनुपमा ने अपनी हसी दबाते हुए कहा और राघव की तंद्री टूटी
राघव- हूह?
अनुपमा की बात से राघव सपनों की दुनिया से बाहर आया और अनुपमा पीछे सरकी
अनुपमा- आपकी लेमन टी पी लिजीए पतिदेव
अनुपमा ने अपनी हसी रोकते हुए कहा और वहा से बाहर आ गई क्युकी वो जानती थी के अगर एक और पल वो वहा रुकी तो उसकी हसी छूट जाएगी, राघव का चेहरा लाल हो गया था, राघव ने अपने बालों मे हाथ घुमाया और एक छोटी सी बस छोटी सी मुस्कान उसके चेहरे पर उभर आयी
‘इसको अचानक क्या हो गया है यार कल तक तो रोंदू बनी हुई थी और आज देखो, खैर जो भी हो अच्छा लग रहा है चलने देते है’
राघव ने मन मे सोचा और चाय पीने लगा
कुछ समय बाद घर के सभी लोग नाश्ते के लिए जमे हुए थे
रमाकांत- आज क्या कुछ स्पेशल है?
रमाकांत जी ने डायनिंग टेबल पर खाने को देखते हुए कहा
धनंजय- हा आज क्या है जो इतना सब बना है ?
शेखर- डैड गौर से देखिए सब भाई के पसंद का बना है
शेखर ने अनुपमा को देखते हुए कहा वही राघव बस चुपचाप बैठा था और अनुपमा उसकी प्लेट मे नाश्ता परोस रही थी
मीनाक्षी- हा आज सब अनुपमा ने बनाया है
ये सब बातचित चल ही रही थी के गायत्री जी ने सबको चुप कराया और बोलना शुरू किया
गायत्री- सब लोग ध्यान से सुनो कल हमने घर मे सत्यनारायण की पूजा रखी है और मुझे किसी को अलग से बताने की जरूरत नहीं है के मुझे कल सब वहा लगेंगे क्युकी सब लोग वहा मौजूद होंगे लेकिन राघव मैं खास तौर पर तुम्हें कह रही हु के तुम कल मुझे पूजा मे दिखने चाहिए इसीलिए अच्छा होगा के तुम कल छुट्टी लेलों मैं कोई बहाना नहीं सुनूँगी समझ आया?
राघव कुछ नहीं बोला बस चुप चाप उसने हा मे गर्दन हिला दी, राघव अपनी दादी से घर मे थोड़ा डरता था उनके सामने उसकी आवाज नहीं निकलती थी, दादी की जगह अगर दादू या और कोई ये बात बोलता तो जरूर वो कोई बहाना बना देता लेकिन दादी के सामने वो बिल्कुल गाय था।
अनुपमा अपने पति का ये भीगी बिल्ली वाला रूप देख शॉक मे थी ‘ये मेरे ही पति है ना’ ये ख्याल भी एक पल को उसके मन मे आया और उसका ये कन्फ्यूज़ चेहरा उसके ससुर जी ने देख लिया
रमाकांत- अरे अनुपमा बेटा ऐसे मत चौकों वो तुम्हारी दादी से बहुत डरता है..
रमाकांत जी ने हसते हुए कहा
राघव- मैं डरता वरता नहीं हु डैड मैं बस रीस्पेक्ट करता हु दादी की
राघव ने एकदम से कहा, अब वो अपने आप को अनुपमा के सामने डरपोक कैसे बताता ना
धनंजय- तो मतलब तुम हमलोगों की रीस्पेक्ट नहीं करते है ना? क्युकी हमारी तो कोई बात नहीं मानते हो
राघव- अरे यार चाचू वो क्या है…
गायत्री- क्या?
राघव- कुछ नहीं मैं निकलता हु अब अभी जल्दी जाऊंगा तो शाम मे जल्दी आऊँगा फिर कल घर रहूँगा बाय एव्रीवन
राघव कुछ बोलने की वाला था के दादी ने उसे रोक दिया और अब फिर कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हुई तो बंदा वहा से निकल लिया
अनुपमा तो उसे ऐसे देख रही थी ऐसे वो कोई ऐलीअन हो, श्वेता जो उसके बगल मे बैठी थी उसने अनुपमा को इशारे से होश मे लाया और वो उठी और राघव के पीछे जाने लागि वरना वो वापिस लंच लिए बगैर चला जाएगा
अनुपमा लंच बॉक्स लेकर राघव के पीछे गई और उसे आवाज दी, वो भी अनुपमा की आवाज सुन पलटा और वापिस लंच बॉक्स देख उसने नजरे घूम ली
‘यार इसको ये डब्बा क्यू पकड़ाना होता है खुद नहीं आ सकती क्या ऑफिस मे’
राघव ने मन मे सोचा और मानो अनुपमा उसके मन की बात सुन ली हो
अनुपमा- वो मुझे मार्केट जाना है कल की पूजा की शॉपिंग के लिए
अनुपमा ने कहा जिसे सुन राघव थोड़ा शॉक हुआ
‘ये सही मे मेरे मन की बात नहीं न पढ़ने लगी? नहीं ऐसा नहीं होना चाहिए, बेटा राघव दिमाग को कंट्रोल कर’
राघव ने अपने खयाल झटके और अनुपमा को देखा तो अनुपमा उसकी ओर ही देख रही थी, राघव ने उसके हाथ से बॉक्स लिया और मुड़ने ही वाला था के अनुपमा ने उसे रोक दिया
अनुपमा- ऐसे ही जा रहे है?
राघव को कुछ समझ नहीं आया
अनुपमा- मतलब मैंने आपसे कुछ कहा था न ?
राघव- क्या?
अनुपमा- मैंने कहा था न मुझे उस पहले दोस्ती वाले कन्सेप्ट पर भरोसा नहीं है हम बेहतर तरीके से हमारा रिश्ता सुधार सकते है
अनुपमा ने इस उम्मीद मे कहा के राघव उसकी बात समझ जाए लेकिन उसके पल्ले कुछ नहीं पड़ा
राघव- तो?
अनुपमा- तो हम पति पत्नी है!
अनुपमा अपनी साड़ी के पल्लू के साथ खेलते हुए बोली
राघव- अच्छा हुआ बता दिया मुझे तो पता ही नहीं था वो क्या है न पहली बार शादी हई है तो कोई आइडिया नहीं
राघव अब इरिटैट हो रहा था
अनुपमा- आपको नहीं पता नॉर्मल कपल कैसे बिहेव करते है?
और अब अनुपमा भी इरिटैट हो रही थी
राघव- तुमने कभी बताया ही नहीं
राघव की बात सुन अनुपमा थोड़ी मुस्कुराई
अनुपमा- अब बता रही हु ना, देखिए कुछ चीजे होती है, पति पत्नी के बीच जिससे मैरीड लाइफ बैलेन्स रहे
अनुपमा राघव को हिंट देने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन उसके दिमाग मे कुछ नहीं घुस रहा था
राघव- और वो क्या है?
राघव की बात सुन अनुपमा की सारी स्माइल हवा हो गई
अनुपमा- कुछ नहीं! बाय लेट हो रहा होगा आपको
‘अजीब लड़की है’ राघव ने सोचा और जाने के लिए बढ़ा वही अनुपमा भी अंदर जाने के लिए मुड़ी ही थी के राघव ने उसका हाथ पकड़ के उसे अपनी ओर खिचा, देरी से ही सही राघव के दिमाग की बत्ती जली थी
राघव ने अनुपमा को कलाई से पकड़ के अपनी ओर खींचा जिससे अनुपमा उसके सीने के जा टकराई, अनुपमा के दोनों हाथ राघव के कंधों पर थे और वो आंखे चौड़ी किए उसे देख रही थी वही राघव के अपना दूसरा हाथ अनुपमा की कमर पर रखा जिससे अनुपमा सिहर उठी
ये पहली बार था सब जानते बुझते वो एकदूसरे के इतने करीब थे..
आसपास का महोल मानो एकदम रुक गया था बस उनकी धड़कनों का शोर सुनाई दे रहा था राघव उसकी आँखों में देख रहा था वो उसके और करीब आया, राघव को अपने इतने करीब पाकर अनुपमा ने अपनी आंखे बंद कर ली, उसके हाथ राघव की शर्ट पर कस गए और उसने अपने होंठ भींच लिए
इससे पहले के वो कुछ कर पाती उसे राघव के होंठों का स्पर्श उसे अपने माथे पर महसूस हुआ और वो वही जम गई उसका दिमाग एकदम ब्लैंक हो गया था आंखे और ज्यादा कस के उसने बंद कर ली थी, वो उसके और करीब आया और उसके दाएं कान मे बोला
राघव- बाय..
बस खतम, राघव अनुपमा को ऐसे बुत बना देख मुस्कुराया और अपनी कार की ओर जाने लगा, दरवाजा खोल कर वो रुका लेकिन उसे अनुपमा की ओर नहीं देखा और उसके चेहरे पर एक मुस्कान उभर आई
जिसके बाद राघव अपनी कार लेकर वहा से निकल गया और अनुपमा वही खड़ी रही और गाड़ी के हॉर्न ने उसे होश लाया, उसने अपने माथे हो हाथ लगाया जहा राघव ने उसे चूमा था
वो उस सीन को अपने दिमाग से नहीं निकाल पा रही थी उसका चेहरा लाल हो गया था
‘मैं तो पूजा की शॉपिंग मे इन्हे साथ चलने कह रही थी और ये क्या ही समझे उसको, वैसे मुझे नहीं पता था राघव देखपाण्डे का ये साइड भी है’ अनुपमा मुस्कुराई और घर के अंदर चली आई…