अनुपमा – 17

अब कैसे समझाऊ भाभी को, ये भाई भी सुनने को तैयार ही नहीं है, यार क्या करने चले थे और क्या हो गया लगा था सब ठीक कर देंगे लेकिन ये अलग रायता फैल गया अब कैसे समेटु इसकोशायद मैं जानता हु भाई ऐसा बिहेव क्यू कर रहा है, मुझे लगा था भाई वो सब भूल गया होगा लेकिन नही उसकी गाड़ी अब भी वहा अटकी है, लगता है अब भाभी को सब सच बताना ही पड़ेगा उन्हे सब कुछ जानने का अधिकार है।

शेखर ने अपनी सोच मे गुम राघव के कैबिन का दरवाजा खोला तो सामने खड़े शक्स को देख वो थोड़ा चौका, उसके सामने राघव का सबसे अच्छा दोस्त विशाल खड़ा था और विशाल को देख के साफ पता चल रहा था के उसे अभी अभी हुई घटना की पूरी खबर है और वो काफी कन्फ्यूज स्टेट मे था.

शेखर – विशाल भाई आप?

विशाल का नाम सुन के राघव अपने केबिन से बाहर आया और शेखर राघव के वहा आता देख बगैर कुछ बोले वहा से निकल गया।

कुछ समय बाद

शेखर- भाभी प्लीज एक बार दरवाजा खोल के बस एक बार हमारी बात तो सुन लिजीए

वो लोग पिछले 10 मिनट से दरवाजा खटखटा रहे थे लेकिन अनुपमा कोई जवाब नहीं दे रही थी, अनुपमा ने घर पहुच कर अपने आप को कमरे मे बंद कर लिया था और घर के बाकी लोगों को इसकी खबर भी नहीं थी क्युकी घर मे इस वक्त कोई था ही नहीं

श्वेता- भाभी प्लीज दरवाजा खोलो

शेखर- भाभी सॉरी हम आपको हर्ट नहीं करना चाहते थे हमे नहीं पता था ऐसा कुछ होगा प्लीज दरवाजा खोलो भाभी आगे से ऐसा नहीं होगा

लेकिन जब अंदर से कोई जवाब नहीं आया तब वो लोग थक के चुप हो गए, शेखर और श्वेता वहा से जा ही रहे थे के उन्हे दरवाजा खुलने का आवाज आया लेकिन अनुपमा बाहर नहीं आई

शेखर और श्वेता ने एकदूसरे को देखा और रूम मे चले गए तो उन्होंने देखा के अनुपमा बेड पर बैठी थी, उसके चेहरे पर अब भी आँसुओ के निशान थे और वो खयालों मे खोई हुई थी

शेखर जाकर अनुपमा के बाजू मे उसका हाथ पकड़ कर बैठ गया और श्वेता उसके बाजू मे बेड पर जा बैठी

शेखर- भाभी..

शेखर ने धीमे से कहा

अनुपमा- मैं क्या इतनी बुरी हु शेखर के तुम्हारे भाई मेरी ओर देखते भी नहीं ?

शेखर- नहीं! आप… आप बेस्ट हो भाभी

अनुपमा- मैं थक गई हु अब चीज़े छुपाते हुए, हमारे बारे मे सबसे झूठ कहते हुए तुम्हें कुछ नहीं पता है

श्वेता- हम जानते है भाभी दादू ने सब बताया है हमे।

श्वेता की बात से अनुपमा थोड़ी शॉक हुई लेकिन कुछ बोली नही

शेखर- हा भाभी हम सब जानते है और भाई की तरफ से मैं आपसे माफी मांगना चाहता हु

अनुपमा- तुम लोग क्यू सॉरी कह रहे है तुम्हारी कहा गलती है गलती तो उनकी है, पता है मैं उनसे कुछ नहीं कह पाती हु कोई बात शेयर नहीं कर सकती हु जानते हो क्यू? क्युकी भले ही हम शादी शुदा है लेकिन है अजनबी ही, उन्हे ये समझना चाहिए के मैं पत्नी हु उनकी वो अब एक बैचलर नहीं है ऐसा नहीं है के मैं उनकी फ्रीडम छीनना चाहती हु मुझे बस वो चाहिए, मुझे मेरी जिंदगी मे वो मेरे पति बनकर चाहिए ना की कोई अजनबी, जानते हो उन्होंने दादू से हमारी शादी की रात क्या कहा था.. ‘आपके कहने पर मैंने शादी कर ली और इस घर को बहु दे दी लेकिन मुझे अभी पत्नी नहीं चाहिए इसीलिए मुझसे कोई उम्मीद मत रखिएगा अरे वो तो पहली ही रात बाहर चले गए थे

अनुपमा की बात से शेखर और श्वेता दोनों शॉक थे

अनुपमा- मुझे भी बाकी कपल्स जैसा रहना है लेकिन मैं तो उनसे बात भी नहीं कर सकती क्युकी उन्हे ये पसंद नहीं आएगा, मैं थक गई हु उन्हे क्या पसंद आएगा क्या नहीं सोचते सोचते, हमेशा मैं ही कोशिश करू इस रिश्ते को सुधारने की? अब थक चुकी हु मैं मुझसे और नही होता।

अनुपमा बोलते बोलते रोने लगी और श्वेता उसकी पीठ सहला कर उसे शांत करवा रही थी वही शेखर चिंता मे अनुपमा को देख रहा था उसने अनुपमा को कभी ऐसे नहीं देखा था वो नहीं जानता था के अनुपमा हमेशा झूठी मुस्कान लिए रहती थी।

अनुपमा- हमेशा ऐसा क्यू है के मुझे ही उन्हे समझना पड़ेगा वो कभी मुझे क्यू नहीं समझ सकते? वो तो ऐसे बिहेव करते है जैसे मैं हु ही नही, कहने को तो हम लाइफ शेयर कर रहे है लेकिन हम एक बेड भी शेयर नहीं करते क्युकी उन्हे अच्छा नहीं लगेगा, हमेशा सब वैसा ही होता है जैसा उन्हे चाहिए लेकिन मेरा क्या? लेकिन अब बस बहुत हो गया

अनुपमा रोए जा रही थी, आज वो सारी बाते बाहर निकालना चाहती थी और अनुपमा की बाते सुन कर शेखर की आँखों से एक आँसू निकला जिसे पोंछ कर वो बोला

शेखर- भाभी आपको कुछ बताना है मुझे, वो जिसे आपको जानने का पूरा हक है, मैं नहीं जानता मैं ये सही कर रहा हु या नहीं लेकिन मैं ये जानता हु के जो मैं आपको बताने जा रहा हु वो भाई को आपको बताना चाहिए लेकिन अब बस हो गया क्युकी मुझे नहीं लगता भाई आपको कभी वो बात बताएगा

अनुपमा ने उतरे चेहरे के साथ शेखर को देखा, उसकी आँखों मे अब भी आसू थे

शेखर- श्वेता मुझे बस भाभी से बात करनी है

और शेखर ने इशारे से श्वेता को वहा से जाने के लिए कहा श्वेता भी उसका इशारा समझ के वहा से चली गई

अनुपमा- कहना क्या चाहते हो तुम शेखर

शेखर- भाई के पास्ट के बारे मे आपको जानना चाहिए भाभी आप सभी जिस राघव को जानते है वो इससे बिल्कुल अलग है, ये गुस्से वाला, बाते कम करने वाला किसी पे भरोसा ना करने वाला मेरा भाई हमेशा ऐसा नहीं था इन सब के पीछे कुछ रीज़न है की वो ऐसा क्यू है

अनुपमा- तो बताओ वो ऐसे क्यू है

शेखर- उसके साथ कुछ हुआ है भाभी जिसने उसे ऐसा बना दिया है……..

राघव के पास्ट के बारे मे सुनकर अनुपमा शॉक थी वो ये सब बाते नहीं जानती थी और अब उसे अपने बर्ताव पर पछतावा हो रहा था

शेखर- मैं जानता हु मैं ये बात कह कर स्वार्थी बन रहा हु लेकिन मेरे भाई को आपकी जरूरत है भाभी, मैं ये नहीं कह रहा हु के आप अपने आप को बदल दो लेकिन बस एक और बार इस रिश्ते को एक मौका दे दो, मैं जानता हु आप मेरे भाई को बदल देंगी, मेरे भाई को छोड़ के मत जाना भाभी

शेखर ने अनुपमा के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा

अनुपमा- मुझे नहीं पता था उन्होंने इतना सब सहा है और मैं बस उनके स्वभाव की शिकायत करे जा रही थी

अनुपमा अब और ज्यादा रोने लगी

शेखर- मेरा भाई ऊपर से चाहे जितना टफ बन ले भाभी अंदर से वो बस एक बच्चा है जिसे हमने उस घटना मे खो दिया, भाभी बस आप ही वो हो जो उस पुराने राघव को वापिस ला सकती हो, वो कभी किसी से कुछ कहता नहीं है जो मिल जाए उसी मे खुश रहेगा वो, बगैर बात के नतीजे पर पहुच जाता है, उसे भले ही बिजनस की अच्छी समझ हो लेकिन रिश्ते निभाने के मामले मे बहुत कच्चा है वो, उसे आपकी जरूरत है भाभी और मैं जानता हु के आपने उसके पास जाने की कोशिश की तो वो रोकेगा नहीं आपको क्युकी उसे कोई ऐसा चाहिए जो उसकी केयर करे सिर्फ उसकी, जो उसे प्यार करे, कोई भी इंसान अपने पेरेंट्स से भाई बहनों से, दोस्तों से सब शेयर नहीं कर सकता उसे कोई ऐसा चाहिए जो इन सब को समझे

शेखर- वो बस आपसे इसीलिए दूर भाग रहा है क्युकी वो डरता है, वो ईमोशनली इसीलिए कनेक्ट नहीं कर पाता, उसे रिश्ते जोड़ने से डर लगता है, दादू ने कहा था उसने थोड़ा समय मांगा है इस रिश्ते को आगे बढ़ाने लेकिन सच तो ये है के वो अपने आप को आपके लिए तयार कर रहा है, वो बताता नहीं है पर उसे चिंता है आपकी, बस उसे ये सब जताना नहीं आता बस आप उससे दूर मत जाइए।

अनुपमा- ऐसा सोचना भी मत के मैं उनसे दूर जाऊँगी, मुझे बस ये सब पता नहीं था लेकिन अब सब जानने के बात मैं पीछे नहीं हटने वाली, मुझे बस उनका भरोसा जीतना है जो मै जीत के रहूँगी

अनुपमा ने अपने आँसू पोंछते हुए कहा जिसपर शेखर ने भी हा मे गर्दन हिला दी और कमरे से बाहर चल आया और अनुपमा सोचने लगी

मैंने इन्हे कैसे समझ नहीं पाई? वो पहले ही बहुत सह चुके है और उन्हे सपोर्ट करने के बजाय मैं उन्हे ही भला बुरा कह रही थी, वो बस उस बात को मन मे लिए बैठे है और मैंने भी इस बारे मे सही से कोशिश नहीं की, उन्होंने कभी बात करने की कोशिश नहीं की तो मैंने भी कभी कोई ज्यादा इंटेरेस्ट नहीं दिखाया और यही मेरी गलती थी।

मैं पत्नी हु उनकी और मुझे उनके ऐसे बर्ताव के पीछे का रीज़न जानना चाहिए था लेकिन मैं तो खुद ही बेचारी बनी बैठी रही
अगर सब ऐसे ही चलता रहा तो हमारा रिश्ता कभी नहीं सुधर पाएगा, हमने कभी बात करके चीजे सुलझाने की कोशिश ही नहीं की लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, ये आदत किसी को तो बदलनी पड़ेगी और वो मैं करूंगी

अब इन्हे एक नई अनुपमा मिलेगी…’