श्वेता- मेरे पास एक आइडिया है!
अब आगे…
अगले दिन
अनुपमा- श्वेता तुम्हें क्या मिल जाएगा ये सब करके क्यू परेशान कर रही हो रहने दो ना..
अनुपमा ने श्वेता से रिक्वेस्ट करते हुए कहा जो उसे अपने साथ ऑफिस ले जा रही थी, श्वेता को ऑफिस मे शेखर के साथ लंच करना था लेकिन वो अकेले नहीं जाना चाहती थी इसीलिए उसने अनुपमा को अपने साथ चलने के लिए मना लिया था और इसी के लिए अनुपमा उसे ना कर रही थी
श्वेता- भाभी आपको भईया के साथ टाइम स्पेन्ड करने का मौका मिल रहा है और मुझे शेखर के साथ तो इन्जॉय कीजिए ना क्यू इतना भाव खाना, मुझे पता है भईया के बिजी शेड्यूल की वजह से आपको साथ मे वक्त बिताने का मौका नहीं मिल पाता।
श्वेता ने एकदम मासूम बनते हुए अनुपमा से कहा मानो उसने कोई प्लान बनाया ही ना हो और अनुपमा को अपनी बात से कन्विन्स करने लगी
अनुपमा- वो… वो अभी बिजी होंगे श्वेता, तुम जाओ न शेखर के साथ टाइम स्पेन्ड करो
श्वेता- अरे चलो ना भाभी, हम बस साथ मे लंच करेंगे और वापिस आ जाएंगे अब बस हा पहुचने वाले है हम
‘तुम नहीं जानती श्वेता उन्हे ये पसंद नहीं आएगा, वो एक स्मार्ट हॉट और हैंडसम पिशाच है खून पी जाएंगे मेरा’ अनुपमा ने अपने नाखून चबाते हुए मन ही मन सोचा
जब वो दोनों ऑफिस पहुची सबने उन्हे अच्छे से ग्रीट किया और वो आगे बढ़ गई
श्वेता- भाभी आप पापा और बड़ेपापा को बुला लीजिए मैं राघव भईया और शेखर को बुला लेती हु और फिर आप भी राघव भईया के केबिन मे आ जाइए
श्वेता की बात सुन अनुपमा ने एकदम से हा मे गर्दन हिला दी, वो तो बस इस बात से खुश थी के कंपनी मे आते आते ही उसे राघव को फेस नहीं करना पड़ेगा।
अनुपमा अपने रास्ते चली गई और श्वेता शेखर के केबिन की ओर चली गई
श्वेता- बेब….
बोलते बोलते श्वेता रुक गई, वो जब केबिन को बगैर नॉक किए खोल रही थी उसने देखा के कोई शेखर से बात कर रहा है और जब उन्होंने श्वेता की आवाज सुनी तो वो लोग उसकी ओर देखने लगे, वो आदमी श्वेता को देख मुस्कुराया और फिर शेखर से बोला
आदमी- मैं बाद मे आता हु सर इतना भी इम्पॉर्टन्ट काम नहीं है..
इतना बोल के वो आदमी अपनी फाइल लेकर वहा से चला गया और शेखर श्वेता के करीब आया और उसके कमर के हाथ डाल के उसे अपने करीब खिचा
शेखर- हैलो हनी..
लेकिन शेखर आगे कुछ बोलता या कुछ करता उससे पहले ही श्वेता ने उसके होंठों पर उंगली रख कर उसे रोक दिया
श्वेता- मेरे प्यारे पतिदेव ये प्यार भरी गुलुगुलू हम घर पर करेंगे अभी हमे और भी इम्पॉर्टन्ट काम करने है
जिसके बाद शेखर के दिमाग की बत्ती जली
शेखर- हा हा चलो
–x–x–
राघव अपने केबिन मे अपने एक क्लाइंट से बात कर रहा था।
राघव- मिस्टर नायर आप बिल्कुल निश्चिंत रहे हमारी कंपनी आपको शिकायत का मौका नहीं देगी वी विल डू आर बेस्ट।
नायर- जानता हु मिस्टर देशपांडे इसीलिए तो ये प्रोजेक्ट मैंने आपको सौपा है, आपके साथ काम करके खुशी होगी।
डील फाइनल होते साथ ही राघव ने उनके साथ हाथ मिलाया और फिर राघव का अससिस्टेंट नायर को लेकर केबिन के बाहर चला गया और राघव अपनी कुर्सी पर आकार बैठा ही था के राघव को अपने केबिन का दरवाजा खुलने का आवाज आया, ऐसे बगैर इजाजत के कौन आया है ये देखने राघव उस ओर मूडा तो उसने देखा के शेखर उसके केबिन मे आ रहा है और वो बस शेखर को बिना नॉक किए आने के लिए डाटने ही वाला था के उसने देखा के उसके साथ श्वेता भी है तो वो चुप हो गया और शेखर को देखने लगा
शेखर- क्या? ऐसे क्या देख रहे हो हम नही आ सकते क्या?
शेखर ने राघव के इक्स्प्रेशन देखते हुए पूछा
राघव- आ तो सकते हो लेकिन क्या है ना तुम मेरे पास बगैर किसी रीज़न के नहीं आते..
श्वेता- वो भईया हमने सोचा के क्यू न लंच साथ किया जाए इसीलिए चले आए
इससे पहले की शेखर कुछ उलजुलूल बात करता श्वेता ने बात संभाल ली जिसपर राघव ने भी हा मे गर्दन हिला दी और राघव की नजरे दरवाजे ही ओर घूम गई मानो किसी को वहा तलाश रही हो पर वहा कोई नहीं था
राघव – तुम अकेली आयी हो?
श्वेता- भईया आप किसी और की राह देख रहे थे क्या?
राघव- छे छे बस ऐसे ही पुछ लिया
शेखर और श्वेता दोनों की जानते थे के राघव किसके बारे मे पूछ रहा था उन्होंने एकदूसरे को देख स्माइल पास की और राघव को देखने लगे
शेखर- भाई मुझे लगता है आपको भाभी को बुला लेना चाहिए
राघव- क्यू?
शेखर- क्यू मतलब, फिर आप भाभी को मिस नहीं करेंगे ना और उन्हे भी आपसे बात करके अच्छा लगेगा
राघव ने शेखर को पूरा इग्नोर कर दिया और बोला
राघव- हमे लंच कर लेना चाहिए, मुझे उसके बाद बहुत काम करने है।
राघव ने सोफ़े की ओर जाते हुए कहा
शेखर- भाई आपके पास भाभी का फोन नंबर नहीं है क्या?
शेखर के सवाल ने राघव को अपनी जगह पर रोक दिया
राघव- शेखर बेहतर होगा अगर तुम अपने ये सवाल जवाब बंद करो और खाना खाओ
राघव ने कहा और सोफ़े पर बैठ कर अपना फोन चलाने लगा वही शेखर और श्वेता ने ‘इनका कुछ नहीं हो सकता’ वाले लुक के साथ एकदूसरे को देखा
श्वेता- एक मिनट, मुझे पहले भाभी को कॉल करने दो वो मुझे ढूंढ रही होंगी
श्वेता ने अनुपमा को कॉल लगाते हुए कहा और अनुपमा के बारे मे सुन के राघव ने झटके के साथ उन दोनों को देखा
राघव- तुमने ऑफिस आने के पहले किसी को बताया नहीं?
श्वेता- बताया था भईया और भाभी भी यही है वो पापा और बड़े पापा को बुलाने गई है
शेखर- लेकिन पापा और बड़े पापा तो लंच के लिए हमारे बिजनेस पार्टनर्स के साथ बाहर गए है फिर भाभी कहा है?
शेखर ने मासूम बनते हुए पूछा मानो उसे कुछ पता ही ना हो
राघव- तुमने उसे अकेला छोड़ दिया??
राघव ने श्वेता से पूछा, उसका चेहरा तो इक्स्प्रेशन लेस था लेकिन आवाज मे टेंशन साफ दिख रहा था, उसे तीन दिन पहले वाला किस्सा याद आ गया
राघव- तुम्हें उसके साथ रहना चाहिए था श्वेता तुम ऑफिस पहले भी आ चुकी हो लेकिन उसके लिए यहा सब नया है तुम जानती हो ना वो ऑफिस नहीं आती है फिर कैसे तुमने…?
राघव अपनी जगह से उठा और दरवाजे की ओर जाने लगा मानो ऑफिस मे आग लग गई हो और उसे ऐसे अनुपमा की चिंता करता देख शेखर और श्वेता मुस्कुराने लगे, राघव ने दरवाजा खोला और आगे बढ़ने ही वाला था के वो किसी से टकरा गया नतिजन उस बंदे का बैलेंस बिगड़ गया और वो गिरने ही वाली थी के राघव ने उसे कमर से पकड़ लिया
राघव ने उस शक्स को देखा तो वो कोई और नहीं बल्कि अनुपमा ही थी और वो भी उसकी बाहों मे उसके इतने करीब की दोनों की साँसे एकदूसरे से टकरा रही थी, राघव ने अनुपमा को अपनी तरफ खिचा जिससे अनुपमा ने अपनी आंखे बंद कर ली और वो बस अनुपमा के चेहरे को देखता रहा, कुछ पल बाद अनुपमा ने अपनी आंखे खोली और राघव को देखा और वो दोनों एकदूसरे की आँखों मे खो गए
ये पहली बार था जब अनुपमा ऐसे राघव की बाहों मे थी, पहली बार उसे अनुपमा की फिक्र हो रही थी पहली बार उसने अनुपमा को ऐसे देखा था पहली बार राघव को ऐसा लग रहा था मानो ये पल यही रुक जाए और वो सारा दिन अनुपमा को ऐसे ही देखता रहे लेकिन उनका ये खूबसूरत मोमेंट तब टूटा जब उन्होंने किसी के गला खखारने की आवाज सुनी और राघव वापिस वर्तमान मे लौट आया और अनुपमा को सही से खड़ा करके बाजू मे हट गया
शेखर- मुझे लगता है हमने आपका मोमेंट डिस्टर्ब कर दिया भाई
शेखर ने बड़ी स्माइल के साथ कहा लेकिन राघव ने इस बार भी उसे इग्नोर कर दिया और बोला
राघव- अब लंच कर ले
वही श्वेता ने अनुपमा को देखा और बोली
श्वेता- हा हा, भईया भाभी अपना मोमेंट खाने के बाद बना लेंगे, हैना भाभी?
श्वेता ने अनुपमा को देखते हुए कहा जो वहा किसी पुतले की तरह खड़ी थी और अभी हुआ सीन पचाने की कोशिश मे थी।
राघव ने अपनी आँखों के कोने से अनुपमा को देखा जो अब भी वही खड़ी थी और उसने श्वेता की बात पर भी कुछ रिएक्ट नहीं किया था
श्वेता- भाभी!
अनुपमा- हूह? क्या.. क्या हुआ?
अनुपमा अब अपनी खोई हुई दुनिया से बाहर निकली
शेखर- आपको क्या हुआ है? चेहरा देखो अपना लाल हुआ जा रहा है, मुझे नहीं पता था के भाई का आप पर ऐसा असर होता है l
शेखर राघव और अनुपमा के मजे लेने की पूरी कोशिश मे था लेकिन उसे वैसा रिस्पॉन्स ही नहीं मिल रहा था और राघव उसे ऐसे देख रहा था जैसे वो दूसरे ग्रह से आया हो
अनुपमा- नहीं!
श्वेता- नहीं मतलब ?
अनुपमा- नहीं! मतलब हा.. नहीं अरे यार….
अनुपमा कन्फ्यूज़ भी थी और नर्वस भी इन दोनों के सवाल खतम ही नहीं हो रहे थे वही राघव भी उसे देख रहा था जिससे अनुपमा और ज्यादा नर्वस फ़ील कर रही थी
अनुपमा- लंच कर ले?
अनुपमा ने बात बदलते हुए कहा और सोफ़े ही तरफ आ गई और खाना परोसने लगी वही शेखर और श्वेता दोनों के हर मूव को देख रहे थे।
श्वेता ने शेखर को देख कर आँख मारी और शेखर ने भी थम्ब्सअप करके प्लान के पार्ट 2 को आगे बढ़ाने कहा।
अनुपमा और राघव अपना अपना खाना खा रहे थे या यू कहे निगल रहे थे, क्यू? क्युकी जो दूसरा कपल वहा मौजूद था वो एकदूसरे को अपने हाथों से खाना खिला रहा था एक परफेक्ट कपल की तरफ, जिससे ये दोनों थोड़ा असहज महसूस कर रहे थे उनका परफेक्ट बॉन्डिंग देख कर
शेखर- भाई क्या अकेले खा रहे हो यार भाभी को खिलाओ आपके हाथ से
राघव- तू अपना खाना खा हम ऐसे ही ठीक है
राघव ने कहा जिससे अनुपमा को थोड़ी तकलीफ हुई, ये तो साफ था के वो ऐसे नहीं रहना चाहती थी, उसकी भी राघव से कुछ अपेक्षाएं थी, वो उन दोनों का रिश्ता सुधारणा चाहती थी, वो राघव से उसकी इच्छाये जानना चाहती थी लेकिन राघव के गुस्से से डरती थी, राघव ने कभी उससे बगैर काम के बात नहीं की थी वो तो उसे ऐसे इग्नोर करता था जैसे अनुपमा वहा हो ही ना जिससे अनुपमा को और भी ज्यादा तकलीफ हो रही थी, राघव ने अनुपमा के लिए जो कुछ भी किया था दादू के कहने पर किया था ना की दिल से।
यही सब बाते सोचते हुए अनुपमा की आँखों से आँसू बहने लगे, शेखर और श्वेता जो एकदूसरे से लगातार बाते कर रहे थे वो अनुपमा को देख रुक गए, उनकी स्माइल अनुपमा को देख गायब हो गई थी और रूम मे एकदम से छायी शांति से राघव ने अपनी प्लेट से ध्यान हटा कर ऊपर देखा तो उसकी नजरे भी रोती हुई अनुपमा पर पड़ी
श्वेता- भाभी क्या हुआ ?
श्वेता ने पूछा, वो अनुपमा को इन सब में हर्ट नहीं करना चाहती थी
शेखर- भाभी क्या हुआ है बताइए ना? आप ऐसे रो क्यू रही है?
लेकिन अनुपमा कुछ नहीं बोली और वहा से उठ कर जल्दी जल्दी रूम के बाहर भाग गई, शेखर ने अनुपमा को रोकने की कोशिश की लेकिन तब तक अनुपमा वहा से जा चुकी थी
श्वेता- मैं जाती हु भाभी के पीछे।
इतना बोल के श्वेता भी अनुपमा के पीछे चली गई
शेखर- भाई! भाभी! आपने रोका क्यू नहीं उन्हे वो रो रही थी, जाओ भाई रोको उनको शी नीड्स यू…
लेकिन राघव अपनी जगह ने नहीं हिला वो बस अपनी जगह पर खड़ा सर झुकाए जमीन को देखता रहा और राघव के इस बर्ताव से अब शेखर को गुस्सा आ रहा था।
शेखर- भाई क्या करना चाहते हो? भूलो मत पत्नी है वो आपकी और आप उनके साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हो? मुझे लगा था आपमे कुछ चेंजेस आए होंगे पर नहीं, वो जब भी आपके पास आना चाहती है आप उनको अपने से दूर कर देते हो, आपको उन्हे समझना होगा भाई और आप मेरी भाभी को ऐसे परेशान नहीं कर सकते वरना…
राघव- शेखर.. ये हमारा पर्सनल मैटर है तुम इससे दूर रहो और अब जाओ काम करने है मुझे
राघव ने रुडली शेखर को वहा से जाने कहा और शेखर भी जानता था के राघव से बात करने का कोई फायदा नहीं है उसे अनुपमा से ही बात करनी होगी
‘अब कैसे समझाऊ भाभी को, ये भाई भी सुनने को तयार ही नहीं यार क्या करने चले थे और क्या हो गया लगा था सब ठीक कर देंगे लेकिन ये अलग रायता फैल गया अब कैसे समेटु इसको… शायद मैं जानता हु भाई ऐसा बिहेव क्यू कर रहा है, मुझे लगा था भाई वो सब भूल गया होगा लेकिन नही उसकी गाड़ी अब भी वहा अटकी है, लगता है अब भाभी को सब सच बताना ही पड़ेगा उन्हे सब कुछ जानने का अधिकार है।’
शेखर ने अपनी सोच मे गुम राघव के कैबिन का दरवाजा खोला तो सामने खड़े शक्स को देख वो थोड़ा चौका, उसके सामने राघव का सबसे अच्छा दोस्त विशाल खड़ा था और विशाल को देख के साफ पता चल रहा था के उसे अभी अभी हुई घटना की पूरी खबर है और वो काफी कन्फ्यूज स्टेट मे था…
अब क्या विशाल राघव को समझा पाएगा या अनुपमा को ही कुछ करना पड़ेगा और शेखर कैसे राघव और अनुपमा की नैया पार लगाएगा देखते है..