‘मैं जानती हु ये इतना सब क्यू कर रहे है, ये सब दादाजी की वजह से है।
जब दादाजी ने कहा था के उन्हे इनसे बात करनी है तब वो हमारी तरफ ही देख रहे थे, अच्छा है के ये हम दोनों को एक मौका देना चाहते है लेकिन जब आप खुद ही पूरे मन से किसी रिश्ते को अपनाने के लिए तयार ना हो तो कोशिश करके क्या फायदा? और ये सब बाते अगर ये खुद से करते तो थोड़ा अच्छा लगता लेकिन सिर्फ दादाजी के कहने से करना...
ऐसा नही है के मैं ये सब नही चाहती लेकिन तब जब ये पूरे मन से तयार को ना की तब जब किसी ने इनसे कहा है के मेरा खयाल रखें, वो मेरे लिए इतना सब सिर्फ मुझे अपनी जिम्मेदारी मान कर नही बल्कि प्यार से करते तो अच्छा लगता लेकिन मैं ये उम्मीद किससे लगाए बैठी हु ग्रेट राघव देशपांडे से जिनकी डिक्शनरी मे प्यार नाम का शब्द ही नही है।
मैं चाहती हु के वो मुझे सच्चे दिल से अपनाये और फिर मेरे लिए ये सब करे प्यार के लिए ना की जिम्मेदारी निभाने के लिए, मैंने भले ही उनसे वो सब बाते बोली लेकिन जब तक वो शादी का सही मतलब नही समझते मुझे उनसे कोई उम्मीद नहीं है अगर वो ये सब सिर्फ अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए कर रहे है तो मैं भी एक पत्नी होने के नाते अपनी सारी जिम्मेदारिया निभाऊँगी लेकिन अगर वो इससे आगे नही बढ़ते है तो मेरी ओर से भी कोई पहल नहीं होने वाली, मैंने अपनी तरफ से बहुत कोशिश कर ली इस रिश्ते को सवारने की लेकिन उन्होंने हर बार मुझे रोक दिया अब उन्हे ये बात समझनी होगी, अब ऐटिटूड दिखाने की बारी मेरी है उन्हे समझना होगा के मैं भी एक इंसान हु और मुझे भी तकलीफ होती है’
डिनर के बाद से ही अनुपमा का दिमाग खयालों मे उलझा हुआ था वही राघव के दिमाग मे भी यही सब बाते घूम रही थी।
वो लोग घर लौट आए थे, बस हल्की फुलकी बातचित और एकदूसरे को निहारने के अलावा गाड़ी मे शांति ही छाई हुई थी उसे क्या बात करे समझ नही आता था और वो पहल नही करने वाली थी।
इस वक्त राघव अपने बेड पर बैठा लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था वही अनुपमा कपड़े बदलने गई हुई थी और जब अनुपमा रूम मे आई तो उसने देखा के राघव काम मे खोया हुआ था इतना के उसे अनुपमा के वहा होने का ध्यान भी नही था, अनुपमा कुछ टाइम बाद बेड की ओर गई तो राघव का ध्यान उसकी तरफ गया, उसने लैपटॉप से नजरे हटा कर अनुपमा को देखा और बोला
राघव- तुम यहा बेड पर सो जाओ मैं सोफ़े पर सो जाऊंगा
राघव की बात सुन अनुपमा ने चौक के उसे देखा, ये शब्द सुनते ही अनुपमा के दिल मे मानो किसी ने सुई चुभो दी हो ऐसे उसे लग रहा था और राघव बेड से उठ ही रहा था के अनुपमा ने उसे रोक दिया
अनुपमा- नहीं.. आप सो जाइए यहा, सोफ़े पर आप अनकंफर्टेबल होंगे मेरे लिए सोफ़ा काफी है
अनुपमा ने बगैर राघव को देखे बेड से तकिया लेते हुए कहा और अलमारी से अपने लिए एक एक्स्ट्रा रजाई ली और सोफ़े की ओर चली गई, तकलीफ तो उसे बहुत हो रही थी राघव के बर्ताव से मतलब ये आदमी कुछ समय पहले इस रिश्ते को चांस देने की बाते कर रहा था और अब ये अनुपमा के साथ एक बेड भी नही शेयर कर रहा था
राघव- नहीं कोई जरूरत नही है मैं सो जाऊंगा सोफ़े पे तुम बेड पे सो जाओ
राघव ने सोफ़े की तरफ आते हुए कहा लेकिन तब तक अनुपमा सोफ़े पे फिट हो चुकी थी
अनुपमा- मैं ठीक हु यहा और वैसे भी बेड आपका है तो आप ही सोइए वहा, गुड नाइट!
अनुपमा ने थोड़ा हार्शली कहा जो राघव को पसंद नही आया
राघव- मैं कुछ कह रहा हु ना उठो वहा से
राघव ने कडक शब्दों मे कहा लेकिन अनुपमा ने कोई जवाब नहीं दिया और आखे बंद करके सो गई जिससे राघव को और थोड़ा गुस्सा आ गया
‘अब इसको क्या हो गया यार अभी डिनर के वक्त तक तो सब ठीक था फिर अचानक इसका मूड कैसे बिगड़ा और इतना ऐटिटूड?? कहीं मैंने इसे समझने मे गलती तो नहीं कि ना?’
‘कही ये बेड और सोफ़े वाली बात से तो नहीं? मैंने तो ऐसा इसीलिए कहा के हम कभी सेम बेड पर नहीं सोये है मैं रोज लेट आता था और जब उसे सोते हुए देखता था इसीलिए तब गेस्ट रूम मे सो जाया करता था जिसके बारे मे कोई नहीं जानता क्युकी लेट आके सुबह जल्दी निकल जाओ तो ये बात कीसे पता चलनी थी और कल जब मैं रूम मे सोया था तब मैडम यहा सोने भी नहीं आई उन्होंने सोने के लिए बालकनी को चुना मुझे लगा ये मेरे साथ बेड शेयर करने मे कंफर्टेबल नहीं होगी लेकिन यहा तो मजरा ही अलग है इनके लिए सोचो और इनकी बाते भी सुनो मैं ही गधा हु जो दादू की बात मान के इसे बाहर लेके गया अब नहीं करने वाला मैं कुछ’
ये खयाल तेजी से राघव के दिमाग मे दौड़ने लगे जिससे उसका गुस्सा और भी बढ़ गया और वो तेजी से अपने बेड पर आया वही दूसरी तरफ
‘जब ये मेरे साथ बेड भी शेयर नहीं कर सकते तो फिर इन्होंने इस रीलेशन को चांस देने की बात क्यू कही थी? अब तो मैं कन्फर्म हु के इन्हे वो सब करने दादाजी ने कहा होगा या फिर इन्हे अपने बिहेवियर पर बुरा फ़ील हो रहा होगा के आज मेरा बर्थडे है और किसी ने कुछ नही किया, बस इसीलिए मुझे मेरा बर्थडे पसंद नहीं है। कल को अगर इन्होंने कहा के हमने तो कभी बेड भी शेयर नहीं किया तो इसमे भी कोई चौकने वाली बात नहीं होगी और शायद ये सही भी है क्युकी मैंने कभी उन्हे बेड पर मेरे बाजू मे महसूस ही नहीं किया’
‘मैं ही सबसे बड़ी गधी हु जो मैंने इनकी बातों पे यकीन कर लिया’
सोचते सोचे अनुपमा की आँखों से आँसू की एक बूंद गिर गई जिसे उसने पोंछ लिया और रूम की खिड़की बंद कर के सो गई
अगली सुबह…
अनुपमा की आँख आज सुबह जल्दी खुल गई और वो अपनी आंखे मलते हुए सोफ़े पे उठ बैठी, उसने घड़ी की ओर देखा तो इस वक्त सुबह के 6 बज रहे थे और उसकी नजरे बेड की ओर गई तो वो थोड़ा चौकी, राघव अभी घर मे ही था और सो रहा था।
अनुपमा ने उतरे चेहरे के साथ राघव की ओर देखा और उसकी आँखों के सामने कल रात वाली बात आ गई जिसने उसे उदास कर दिया था अनुपमा ने एक लंबी सास छोड़ी और उठ कर बाथरूम की ओर चली गई
नहा कर आने के बाद अनुपमा जब अपने बाल बना थी थी तब उसे आइने मे से राघव को देखा जो सोते वक्त किसी बच्चे जैसे मासूम लग रहा था
अनुपमा- सोते टाइम चेहरा देखो कितना शांत लगता है पर उठते ही पता नही कौनसे राक्षस की आत्मा आ जाती है इनमे
अनुपमा ने खुद से ही धीमी आवाज मे कहा
“रावण” अनुपमा धीमे से राघव पर अपनी नजरे टिकाए बोली और फिर रेडी होकर रूम से बाहर चली गई
–x–x–
अनुपमा- मा छोड़िए आप मैं कर लूँगी ये
जानकी- अरे नही बेटा रहने दो मैं कर रही हु ना
अनुपमा- तो मुझे बताइए मैं क्या करू?
जानकी- राघव घर मे है या चला गया?
अनुपमा – यही है घर मे सो रहे है
मीनाक्षी- चलो एक चेंज तो आया देखा जीजी काफी दिनों बाद आज वो इस वक्त घर मे है
मीनाक्षी ने किचन मे आते हुए अनुपमा की बात सुन कर कहा
जानकी- मुझे तो लगता है ना मीनाक्षी अनुपमा ने ही समझाया होगा उसे
जिसपर अनुपमा ने एक झूठी मुस्कान दे दी
मीनाक्षी- अच्छा है ना जीजी और मैंने तो सुना है कल कोई डेट पर भी गया था हैना अनुपमा
मीनाक्षी ने अनुपमा को छेड़ते हुए कहा जिसपर अनुपमा कुछ नहीं बोली
अनुपमा- वो… चाची
जानकी- उसे छेडना बंद करो मीनक्षी देखो तो कैसे शर्म से लाल हुए जा रही है वो लेकिन सच कहू अनुपमा मैं तुम दोनों के लिए बहुत खुश हु के अब तुम एकदूसरे को समझने लगे हो
‘हम एकदूसरे को कभी नहीं समझ सकते मा और कल की डेट तो बस उनका गिल्ट कम करने के लिए थी’ अनुपमा ने मन ही मन कहा
जानकी – अनुपमा एक काम करो तुम ना राघव के लिए लेमन टी बना दो वो जागने वाला होगा और जिम मे जाने के पहले उसे चाय चाहिए होगी
जानकी की बात सुन अनुपमा ने हा मे गर्दन हिला दी और वो सब अपने अपने काम मे बिजी हो गए
लेमन टी बनाने के बाद वो अपने रूम की ओर जाने लगी और जब वो रूम मे घुसी तो राघव उसे रूम मे कही नहीं दिखा तभी उसे बाथरूम मे पानी गिरने का आवाज आया तो उसने चाय बेड के बाजू वाले टेबल पर रख दी तभी बाथरूम का दरवाजा खुलने का आवाज आया
अनुपमा पीछे पलटी तब राघव बाथरूम मे बाहर आ रहा था, उन दोनों की नजरे एक सेकंद के लिए टकराई
अनुपमा- वो.. वो आपकी लेमन टी
अनुपमा ने नजरे फेरते हुए कहा और रूम से बाहर चली गई वही राघव बस उसे जाते हुए सुने चेहरे से देखता रहा
पता नहीं क्या होगा इन दोनों का बात बनेगी या…..