“भाभी आपको पता है ये विवेक ने कॉलेज मे झगड़ा किया था”
रिद्धि ने अपना कंप्लेंट का पिटारा अनुपमा के सामने खोलना शुरू किया
“हा तो किया झगड़ा, भाभी आपको झगड़े का असल रीज़न नही पता है” विवेक ने अपने दात चबाते हुए थोड़े गुस्से से कहा
“क्या हुआ था क्यू हुआ झगड़ा?” शेखर ने पूछा
रिद्धि- आप क्या भाभी हो जो आपको बताए
रिद्धि ने शेखर को चिढ़ाते हुए कहा जिसपर सब मुस्कुराये सिवाय एक के
विवेक- भाभी उसने रिद्धि को प्रपोज किया था अब आप ही बताओ मैं क्या चुप बैठ रहता ,दिए उसके दो, क्या गलत किया
विवेक ने थोड़े गुस्से के कहा
“क्या!!”
अब रूम मे रिद्धि का एक ही भाई नही था ना दो और भी थे और जैसे ही उन्होंने ये सुना दोनों चीख पड़े, राघव जो बेड पर आधा लेटा हुआ था उठ के बैठ गया और उसके अनुपमा के बाजू मे बैठते ही अनुपमा भी सीधी बैठ गई वही शेखर विवेक के पास सरका
राघव- कॉलेज मे किसी ने रिद्धि को प्रपोज किया और तु अब बता रहा हमे
राघव ने विवेक को डाटना शुरू किया
रिद्धि- ओ कम ऑन भाई इतनी भी बड़ी बात नहीं थी
रिद्धि ने बात संभालने की कोशिश की लेकिन तभी
शेखर- क्या बड़ी बात नहीं थी चुप तू बिल्कुल बहुत बड़ी बात थी ये के किसी ने तुमको प्रपोज करने की कोशिश की सही किया बे झगड़ के
राघव- और क्या, विवेक तू अभी के अभी मुझे उस लड़के का नाम और पता दे
अब राघव भी झगड़े मे कूद पड़ा था और उसे इन्वाल्व होता देख रिद्धि ने अनुपमा की ओर रुख किया
रिद्धि – भाभी बचाओ, प्लीज हेल्प!
और रिद्धि की बात सुन उसकी साइड अनुपमा ने ली
अनुपमा- अरे अरे रुको सुनो जरा, प्लीज ऐसे गुस्सा मत होइए मैं जानती हु के आप तीनों उसके भाई है यू आपका गुस्सा होना लाजमी है लेकिन ये बहुत कॉमन बात है हर लड़की को कभी न कभी ये फेस करना ही पड़ता है और वैसा ही रिद्धि के साथ भी हुआ, देखो विवेक मैं जानती हु के तुम ने झगड़ा इसीलिए किया क्युकी तुम नही चाहते के तुम्हारी बहन किसी गलत लड़के को चुने जो की सही है लेकिन ये सोचो के अगर तुम किसी को पसंद करते हो और उसका भाई ऐसे ही तुम्हें रोक दे तो क्या तुम उसे पसंद करना बंद कर दोगे?
अनुपमा के सवाल पर विवेक ने ना मे गर्दन हिला दी
अनुपमा – शेखर तुमने और श्वेता ने तो कॉलेज मे एकदूसरे को डेट करना शुरू किया था ना सोचो अगर उस टाइम श्वेता का भाई तुम्हें ऐसे ही पीट के रोक देता तो? क्या आज तुम्हारी और श्वेता की शादी होती? नही ना
अनुपमा – मैं ये नही कह रही के किसी भी ऐरे गैरे को रिद्धि के पास आने दो लेकिन उसे उसके डिसीजन लेने दो वो इतनी तो समझदार है के उसके लिए कौन सही है कौन नही ये चुन सके और आप लोग तो हमेशा उसके साथ हो ही जो उसे बुरे लोगों से बचाए
अनुपमा के इस एक्सप्लीनेशन से सब लोगों को उसकी बात समझ आ गई थी
विवेक- आप सही हो भाभी लेट रिद्धि हँडल दिस लेकिन मैं इसका ध्यान तो जरूर रखूँगा के कोई ऐरा गैरा रिद्धि के पास न फटके
जिसपर शेखर ने भी हामी भारी वही राघव बस अनुपमा को देखता रहा
रिद्धि- भाभी आपको कितने लड़कों ने प्रपोज किया था शादी के पहले ?
रिद्धि ने सवाल पूछा जिससे अनुपमा तो थोड़ी अनकंफर्टेबल हो गई लेकिन इस सवाल के जवाब के लिए राघव उत्सुक हो गया
विवेक- बता दो भाभी हम लोग ही तो है यहा आप हमसे ये शेयर कर सकती है
शेखर- मेरे हिसाब से कम से कम 40 प्रपोज़ल मिले होंगे भाभी को
शेखर ने ये बात थोड़े कान्फिडन्स मे कही जिसे राघव ने एकदम अनुपमा को शॉक होकर देखा
अनुपमा – मैंने कभी गिना नही है
अनुपमा ने थोड़ा हसते हुए कहा
शेखर – कम ऑन भाभी कोई तो होगा जिसका प्रपोज़ल थोड़ा अलग होगा थोड़ा स्पेशल बताओ ना
अनुपमा- अरे बाबा कुछ स्पेशल कुछ अलग नही था लेकिन हा एक बंदा था या यू कहू के मेरा एक दोस्त था जिसने मुझे प्रपोज किया था, जो भी एक लड़की अपने बॉयफ्रेंड मे चाहती है न उसका परफेक्ट एग्जांपल था वो
अनुपमा ने अपने पुराने दिन याद करते हुए मुस्कुराकर कहा और उसकी वो मुस्कान देख कर राघव का दिल बैठा जा रहा था क्यू पता नहीं
‘यार ये कैसे मेरे सामने किसी और की तारीफ कर सकती है’ राघव मन ही मन बोला
(जब तू उसे भाव ही नहीं देगा तो वो तो दूसरों की तारीफ करेगी ही नूबड़े )
रिद्धि- फिर आप ने एक्सेप्ट किया था वो प्रपोज़ल?
और यहां राघव बाबू भगवान से प्रार्थना करने लगे (जिसको ये पसंद ही नहीं करता वो किसी को पसंद न करती हो इसकी प्रार्थना करे जा रहा अजीब आदमी)
अनुपमा- नही!
अनुपमा के ना कहतो ही राघव के जान मे जान आई
विवेक- क्यू? आप ही ने तो कहा की वो परफेक्ट था
अनुपमा- पर्फेक्शन हमेशा सबकुछ नही होता कभी कभी आप के दिल को उसकी चाहत होती है जो उसने कभी सोचा भी नही होता
अनुपमा की बात सुनकर राघव को लगा मानो अनुपमा ने वो शब्द उसके लिए कहे थे
अनुपमा- मैंने ना कभी उसे उस नजर से देखा ही नही वो हमेशा मेरा अच्छा दोस्त ही रहा हालांकि उसने ट्राय बहुत किया था और उसने क्या मैंने भी उसे एक चांस देने का ट्राय किया था पर मेरे दिल ने कभी वो रीलेशन माना ही नहीं और हम बस दोस्त ही रहे
अनुपमा की बात सुन राघव ने मुट्ठी कस ली जिसे शेखर ने देख लिया
शेखर- बस भाभी आगे का रहने दो लगता है यहा कुछ जल रहा है
शेखर ने राघव को छेड़ा और अब अनुपमा के ध्यान मे आया के आज तो राघव भी उनके साथ था अनुपमा को अपने ऊपर राघव की नजरे महसूस हो रही थी लेकिन वो उसकी तरफ नहीं देख रही थी
कुछ टाइम बाद सब मूवी देख रहे थे और जब मूवी खतम हुई शाम हो चुकी थी
राघव- रिद्धि तुम्हारी भाभी को रेडी कर दो आज, समझो आज उसका एक स्पेशल दिन है
राघव ने अनुपमा को देखते हुए रिद्धि से कहा लेकिन उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नही थे
राघव- और हा आज तुम मे से कोई भी मेरी डेट डिस्टर्ब नही करेगा समझे ना
राघव ने विवेक और शेखर को घूरते हुए कहा वही अनुपमा के मन मे तो मानो तितलिया उड़ रही थी उसकी बात सुन के
शेखर- हा हा नही करेंगे डिस्टर्ब जाओ अपनी बीवी के साथ चल बे विवेक अपन फिफा खेलते है
जिसके बाद शेखर और विवेक वहा से चले गए
रिद्धि- भाभी लगता है आज भाई अपने सारे बिजी शेड्यूल की भरपाई करने वाले है
रिद्धि ने अनुपमा को छेड़ते हुए कहा जिसने उसे और नर्वस बना दिया
कुछ समय बाद राघव अपने फॉर्मल्स पहने तयार था और अनुपमा की राह देख रहा था, पिछले 15 मिनट से वो अनुपमा की राह देखते हुए खड़ा था और अगर आज अनुपमा का बर्थडे ना होता तो वो जरूर उसे डाट देता या ये प्लान कैन्सल कर देता
राघव- यार! ये रिद्धि उसे इतना कितना तयार कर रही है जो इतना समय लग रहा है
राघव का पेशंस अब खतम हो रहा था और वो हॉल मे इधर से उधर घूम रहा था अनुपमा की राह देख रहा था और जब राघव का पेशंस जवाब दे गया और वो उन्हे आवाज देने सीढ़ियों की तरफ मूडा तब उसकी नजरे वही जम गई
आज पहली बार उसने अनुपमा को साड़ी के अलावा किसी और आउटफिट मे देखा था, अनुपमा काले रंग के एक अनारकली ड्रेस मे बहुत ही खूबसूरत लग रही थी उसपर उसकी चाँद बालिया उसकी खूबसूरती मे चार चाँद लगा रही थी, अनुपमा ने बहुत हल्कासा मेकप किया था और माथे पर एक छोटी सी डायमंड की बिंदी लगाई थी जिससे उसका चाँद सा चेहरा और भी ज्यादा खिल रहा था
राघव की इन्टेन्स नजरों से बचने के लिए अनुपमा ने अपनी नजरे झुकाई और धीरे धीरे सीढ़ियों से नीचे आने लगी और राघव की नजरे उसके हर कदम का पीछा कर रही थी
अनुपमा राघव के सामने आकार खड़ी हो गई और अपने बालों की लट को अपने कान के पीछे करते हुए बोली
अनुपमा- चले..?
अनुपमा ने एकदम धीमे से पूछा जिसने राघव को वापिस होश मे लाया जिसे वो अनुपमा को देखते ही खो चुका था और राघव ने हा ने गर्दन हिलाई
विवेक- भाई हेव अ गुड डेट
विवेक ने राघव को आँख मारते हुए कहा
रिद्धि- और आराम से आना भाई आज की शाम पूरी भाभी के नाम कर दो
अनुपमा- हम नहीं है तो तुम लोग प्लीज लड़ना मत मुझे पता है तुम लोग किसी फालतू बात पर लड़ लोगे और खाना टाइम से खा लेना और घर का खयाल रखना
अनुपमा ने जाते जाते रिद्धि और विवेक को समझाया
शेखर- अरे आप जाओ और आपकी डेट इन्जॉय करो भाभी हम संभाल लेंगे यहा नही लड़ेंगे
जिसके बाद राघव ने अपना दाया हाथ अनुपमा की तरफ आगे बढ़ाया और अनुपमा ने भी उसके हाथ मे अपना हाथ दे दिया और दोनों वहा से निकल गए
आज अनुपमा को कुछ अलग ही लग रहा था आज वो राघव का नया रूप देख रही थी बहुत सारी भावनाए उसके मन मे उमड़ रही थी
राघव ने जेंटलमैन की तरह अनुपमा के लिए पैसेंजर सीट का दरवाजा खोला और फिर खुद ड्राइवर सीट पर आकर बैठ गया और कार चल पड़ी
कार अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही थी लेकिन कार मे पूरी शांति रही और मन ही मन अपने आप से काफी लड़ने के बाद अनुपमा ने इस शांति को भंग करने के लिए कहा
अनुपमा- हम कहा जा रहे है ?
अनुपमा ने बहुत ही धीमे से प्यार से पूछा था और उसकी टोन मे छुपे इमोशंस कोई भी समझ सकता था सिवाय उसके बाजू मे बैठे इंसान के
राघव- डिनर के लिए
राघव ने पूरा ध्यान रोड पर लगाते हुए कहा
अनुपमा- क्यू?
राघव ने कोई जवाब नहीं दिया
अनुपमा- आज मेरा बर्थडे है इसीलिए ना पर मैंने आपसे कहा था मुझे बर्थडे सेलीब्रैट करना नही पसंद
ये बात बोलते हुए अनुपमा का आवाज नॉर्मल से थोड़ा अलग था
राघव- नही, क्युकी मुझे तुम्हारे साथ जाना था इसीलिए
राघव ने सपाट शब्दों मे कहा, जाहीर था उसे गुस्सा आ रहा था और वो बस अनुपमा का बर्थडे मनाना चाहता था
अब पता नही इस डेट पर क्या होगा… कुछ बात बनेगी या कोई बड़ा झगड़ा होगा जिससे सब बिखर जाए