अनुपमा – 27

अनुपमा

अगले दिन अपने दोनों कपल्स सुबह जल्दी ही बड़ी दादी के घर जाने के लिए निकले और गाड़ी मे बैठ कर श्वेता ने शेखर से उनके बारे मे पूछा

श्वेता- दादी कहा रहती है?

शेखर- गाँव मे, गाँव मे वहा पूषतेनी घर है वही दादी के माइके का पूरा परिवार रहता है, बहुत सी खेती है और बिजनस भी उनका वही से ऑपरेट होता है, गाँव ज्यादा बड़ा नहीं है ज्यादा से ज्यादा 100 घर होंगे लेकिन सब अच्छे खासे लोग है ऐसा समझो के वहा लाइफ काफी सुकून वाली है

अब जब शेखर श्वेता को ये सब बता ही रहा है तो मैं आपको दादी के माइके के परिवार का इन्ट्रो दे देता हु।

सबसे पहले कुमुद जी ये बड़ी दादी है और हमारी दादी की बड़ी बहन जिन्होंने अपने छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी के चलते कभी शादी नही की, इनके बाबूजी की काफी जमीन थी जिसे उनके बाद इन्होंने संभाला और अपने भाई बहन को सही से सेटल किया लेकिन सबके बारे मे सोचते सोचते खुद के बारे मे सोचना भूल गई, ये रमाकांत और धनंजय की मौसी , फिर इनके छोटे भाई रमेश- आरती, यानि दादी के भाई, रमेश जी के दो बच्चे एक बेटा जो है शुभंकर और उनकी पत्नी संध्या, वही रमेश जी की बेटी है वो है ममता और उनके पति है सुरेश, अब शुभंकर और संध्या के दो बच्चे है आकाश और स्वाती वही ममता और सुरेश जी को दो बेटियाँ है, आँचल और निकिता,

गाड़ी मे शेखर ने श्वेता को यही फॅमिली ट्री अच्छे से समझाया हालांकि वो सब को अच्छे से जानती थी वो अपनी शादी मे इन सब से मिल चुकी थी सिवाय बड़ी दादी के वही अनुपमा इन सब लोगों को अच्छे से जानती थी इसीलिए वो खिड़की के बाहर देख रही थी और तभी उसकी नजर रीयर व्यू मिरर पर पड़ी तो उसने पाया के राघव चुपके चुपके उसे देख रहा था और जैसे ही अनुपमा ने उसे देखा उसने अपनी नजरे घुमा ली और अनुपमा भी वापिस बाहर की ओर देखने लगी लेकिन इस बार उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल थी और चेहरे पर लाली अभी तक तो ऐसी कोई खबर नहीं आई थी के कुछ बुरा हुआ है और सब इसी उम्मीद मे थे के सब ठीक हो।

वो लोग आधे घंटे मे अपनी मंजिल पर पहुच चुके थे।

घर पुराने जमाने का था लेकिन आधुनिक सुविधाओं से लेस था, वो एक पुराने जमाने का पूषतेनी घर था जिसमे इस पूरे परिवार के रहने के लिए पर्याप्त रूम थे और घर के बीचों बीच आँगन बना हुआ था और घर के पीछे की तरफ बढ़िया छोटा सा बगीचा था जिसमे तरह तरह के फूलों के झाड लगे हुए थे साथ ही वहा बैठने की व्यवस्था भी थी।

जब ये चारों वहा पहुचे तो इनका स्वागत किया शांति ने, असल इंसान नही साइलन्स ने

राघव- चलो अंदर चलते है,

राघव के कहते ही वो चारों अंदर आए और अंदर आते ही वो थोड़ा सप्राइज़ हुए

श्वेता- भाभी किसी की मौत का शोक ऐसे मनाया जाता है क्या?

एकदम शांति और घर को देख कर श्वेता ने अनुपमा के कान मे पूछा बदले मे अनुपमा ने उसे थोड़ा घूर के देखा और फिर पता नहीं बोल के वो भी आजू बाजू देखने लगि क्युकी जिस चीज ने इन्हे सबसे ज्यादा सप्राइज़ किया था वो थी घर की सजावट, क्युकी पूरा घर फूलों से सजा हुआ था और तभी उन्हे किसी के हसने की आवाजे आई जिसने उन्हे और भी कन्फ्यूज़ कर दिया तभी वहा उन्हे रिद्धि एक उसी की उम्र की लड़की के साथ इधर उधर फुदकती दिखी

राघव- रिद्धि, स्वाती!

राघव ने उन्हे आवाज लगाई और वो दोनों भी इन्हे देख के खुश हो गई और उनके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई

स्वाती- भईया आप आ गए फाइनली!

स्वाती ने उनकी तरफ आते हुए कहा, वैसे तो स्वाती ज्यादा बात नहीं करती थी सिवाय उनसे जो उसे पसंद आते थे जैसे की अपनी मंडली

शेखर- ये.. क्या चल रहा है कोई बताएगा ?

शेखर ने सब सजावट देख कर रिद्धि से पूछा

रिद्धि – वो भाई हमे भी ये सब यहा आकर ही पता चला

अनुपमा- मतलब?!

रिद्धि – अरे आप सब पहले बड़ी दादी के रूम मे चलो वही आपको सब बताते है

इतना बोल के रिद्धि और स्वाती वहा से चली गई और उनके पीछे पीछे ये चारों भी बड़ी दादी के रूम की ओर निकल गए और जब वो वहा पहुचे तो उन्होंने वहा अपनी दादी गायत्री को हस हस कर बाते करते देखा जिसने उन्हे और कन्फ्यूज़ कर दिया के बड़ी दादी की तबीयत तो सीरीअस थी न

कुमुद- अरे आ गए तुम सब लोग!

बड़ी दादी ने उन्हे देखते ही बेड पर लेटे लेटे कहा और उन्हे देखते ही शेखर जाकर उनके पास बेड पर बैठ गया और उन्होंने भी शेखर के सर पे हाथ घुमाया

कुमुद- अच्छा है सब लोग आ गए है, राघव!!

उन्होंने राघव को भी अपने पास बुलाया

राघव- जब कल किसी ने मेरा फोन नहीं उठाया तभी मुझे समझ जाना चाहिए था

कुमुद- बेटे जी अगर मैं वैसे ही तुम्हें फोन करके बुलाती ना तो तुम तो आ ही जाते है न??

शेखर- ये तो कोई रीज़न नहीं हुआ दादी, आपकों नहीं पता हमारी क्या हालत हुई थी

शेखर ने शिकायत करते हुए कहा और राघव उनके पास गया

गायत्री- वही तो, दीदी ने कल डरा ही दिया था

कुमुद- तो मैं और क्या करती कितने साल हो गए थे तुम सबको ऐसे साथ देखे और वैसे भी क्या पता मुझ बुढ़िया के पास और कितने दिन बचे है

गायत्री- दीदी!

राघव- बड़ी दादी!

गायत्री और राघव दोनों एकसाथ बोले

कुमुद- अच्छा अच्छा सॉरी… पर तुम सब को साथ देखे बहुत समय हो गया था और मैं ये बहाना न करती तो तुम सब ऐसे थोड़ी भागे भागे आते

राघव- फिर भी आपको ये नहीं करना चाहिए था, डरा दिया था आपने कितने चिंता मे थे हम पता है और हमे बुलाना ही था तो और कोई बहाना बनाती ये क्या बात हुई किसी को बुलाने की

कुमुद- वो तो ऐसे ही थोड़ा मजाक और वैसे ही आकाश की सगाई है तो रीज़न भी था सबको बुलाने का तो थोड़ी मस्ती कर ली

शेखर- क्या! आकाश की सगाई है और मुझे किसी ने बताया भी नहीं

कुमुद- बेटा जी बात करोगे तो पता चलेगा ना…

दादी ने एक और ताना मारा

राघव- आप ना ड्रामा क़्वीन हो, उस टाइम फिल्मों मे क्यू नहीं गई आप! ऐसे डराता है क्या कोई!

कुमुद- हा हा ठीक है बस अब कल से वैसे भी सब मुझे सुना ही रहे है तू मत बोल अब

राघव- हा तो सही कर रहे है वो आपको डांट मिलनी भी चाहिए

कुमुद- तेरी दादी बहुत डांट चुकी है मुझे और मुझे बताओ इसे किसने बुलाया था? मुझे तो मेरे बच्चों से मिलना था, खैर छोड़ो मेरी बहुए कहा है

उन्होंने इधर उधर देखा तो पाया के अनुपमा और श्वेता दरवाजे पर ही खड़ी थी

कुमुद – अरे तुम लोग वहा क्यू खड़ी हो आओ इधर आओ मैं तुम्हारी दादी सास जैसी डरावनी नहीं हु

उन दोनों ने जाके बड़ी दादी के पैर छूए

कुमुद- सदा सुहागन रहो और अपने पिया की प्यारी बनी रहो

गायत्री- आप लोग बैठो मैं किसी को कमरे तैयार करने कहती हु, रिद्धि स्वाती चलो मेरी मदद करो दोनों

इतना बोल के दादी वहा से चली गई

कुमुद- अब तुम लोग किसका इंतजार कर रहे हो इनसे मिलवाओ तो मुझे

दादी ने राघव और शेखर से कहा

शेखर- दादी ये श्वेता है

कुमुद- एकदम नाम की तरफ ही है गोरी गोरी, और तुम नहीं मिलवाओगे राघव

राघव- ये रही मेरी वाइफ… अनुपमा

बड़ी दादी ने कुछ पल अनुपमा को देखा

कुमुद- पता नहीं क्यू पर बेटा मुझे लगता है मैंने देखा है तुम्हें, तुम्हें देख के किसी की याद आती है

उन्होंने कुछ याद करते हुए कहा लेकिन कुछ याद नहीं आया वही अनुपमा ने बस एक स्माइल दे दी

कुमुद – जाने दो लेकिन राघव ये उससे कही ज्यादा सुन्दर है जैसी तुम्हें चाहिए थी, पता है अनुपमा ये जब बचपन मे यहा आता था ना तो बताता था के बड़ी दादी मेरी न पत्नी ऐसी होगी वैसी होगी..

दादी ने मुसकुराते हुए कहा जिसपर अनुपमा भी मुस्कुरा दी

राघव- अरे यार दादी

और ये बाते सुन के शेखर हसने लगा

कुमुद- तुम क्या हस रहे हो? श्वेता तुम्हारी तो लव मेरिज है न लेकिन पता है ये न मुझसे कहता था के मैं कभी शादी नहीं करूंगा लड़किया तो सर दर्द होती है तो अब बच्चू अब कहा गया तुम्हारा सर दर्द

दादी ने शेखर का कान खिचते हुए कहा

शेखर- अरे दादी वो तो बचपन की बात थी अब मैं बड़ा हो गया हु अब लड़किया सर दर्द थोड़ी है अब तो….

लेकिन जैसे ही उसकी नजर श्वेता पर पड़ी जो उसे देख रही थी शेखर बोलते बोलते रुक गया

शेखर- बाकी लोग कहा है कोई दिख नहीं रहा शेखर ने बात बदलते हुए पूछा

कुमुद- तुम्हारे पापा लोग तो बाहर गए है और तुम्हारी माए सगाई की तैयारिया कर रही है पीछे, तुम लोग जाओ पहले फ्रेश हो जाओ थोड़ा फिर हम बात करते है

जिसके बाद ये सब लोग वहा से निकल गए वही दादी सोचने लागि के उन्हे अनुपमा जानी पहचानी क्यू लग रही थी।

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आरती- अरे बेटा श्वेता अनुपमा आओ तुम लोग भी अपने लिए साड़िया पसंद कर लो सगाई के लिए तुम लोग कहा उस तैयारी से आए होंगे, आओ यहा से अपने लिए साड़िया और गहने देख लो

जब ये दोनों घर के पीछे की साइड पहुची तो आरती जी ने इन्हे देख के कहा

घर के सारे मर्द घर के सामने वाले आँगन मे बैठे अपनी बात चित कर रहे थे वही पीछे बने बगीचे में एक तरफ अपना अक्खा गैंग बैठ के गप्पे मार रहा तथा उन्मे आकाश और स्वाती भी थे और जो नहीं था वो था राघव वही दूसरी तरह सब महिलाये अपने लिए साड़िया और गहने पसंद कर रही थी जीसे एक आदमी उन्हे दिखा रहा था, श्वेता और अनुपमा भी अपने लिए साड़िया देखने लगी

श्वेता- चाचीजी यहा तो सब साड़िया साउथ इंडियन स्टाइल की है ऐसा क्यू?

श्वेता ने साड़ियों को देखते हुए संध्या जी से पूछा

संध्या- अरे क्युकी आकाश और राधिका (आकाश की मंगेतर) इनकी इच्छा थी के सगाई साउथ इंडियन थीम से हो इसीलिए ये ड्रेसकोड है

संध्या जी ने जानकी और मीनाक्षी को साड़ी दिखाते हुए कहा, ये लोग सब बाते करते हुए साड़िया पसंद कर ही रहे थे के तभी एक लड़की की आवाज ने इन सब का ध्यान अपनी ओर खिचा

“संध्या काकी ये मा ने डिब्बा वापिस भेजा है” उस लड़की ने डिब्बा संध्या जी को देते हुए कहा और फिर उसकी नजर श्वेता और अनुपमा पर पड़ी और वो उन्हे कन्फ़्युशन मे देखने लगी और फिर उसने दूसरी तरफ देखा तो उसे वहा शेखर दिखाई दिया

“हे शेखर कैसा है भाई?” उस लड़की ने शेखर को देखते ही कहा और उसके पास जाने लगी वही श्वेता भी उसे और शेखर को देखने लगी

शेखर- बस सब बढ़िया है रितु मैडम तुम बताओ

रितु- मैं भी मस्त, सुना तुम्हारी शादी हो गई है

शेखर- यप , वो देखो वो मेरी वाइफ है श्वेता

शेखर ने श्वेता की ओर इशारा करके कहा जो उन्हे ही देख रही थी

रितु- कब आए तुम लोग? कल जब बाकी लोग आए उनके साथ नहीं थे तुम?

शेखर- हा वो अभी सुबह ही आए है हम सब

रितु- सब मतलब राघव? राघव भी आया है?

रितु ने राघव के बारे मे उत्सुकता से पूछा जिससे अनुपमा का ध्यान उसपे चला गया क्युकी शेखर से बात करते हुए वो इतनी एक्साइटेड नहीं थी जितना राघव का नाम सुनते ही हो गई थी

रितु- कितने साल हो गए यार उसे देखे हुए कहा है वो?

शेखर- वो.. वो उधर है

शेखर ने उसके पीछे इशारा करते हुए बेमन से कहा क्युकी वो जानता था के राघव का नाम सुनते ही ये इतना चहकने क्यू लगी थी लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था, शेखर ने अनुपमा को देखा जो रितु को देख रही थी जो राघव को देखते ही उसकी ओर दौड़ कर गई जब राघव वहा आ रहा था

रितु- राघव यार गुड टू सी यू, कितने साल हो गए है,

और बोलते बोलते उसने अचानक राघव को गले लगा लिया जीससे राघव का बैलन्स बिगड़ गया

आरती- पता है अनुपमा राघव जब बचपन मे यहा आता था न तब भी ये रितु ऐसे ही उसके पीछे भागती थी उसके साथ खेलने लेकिन ये तब भी उसे ऐटिटूड दिखाता था और ये अब भी नहीं बदली है

आरती जी ने मुसकुराते हुए कहा वही अनुपमा बस उन दोनों को देख रही थी,

जब रितु राघव से अलग हुई तो राघव ने उसे देख स्माइल किया जो अनुपमा ने बराबर देखा

मेरे साथ तो ये ऐसे कभी नहीं मुसकुराते’ अनुपमा ने मन ही मन सोचा और राघव को उसके साथ हस कर बात करते देख उसका मुह खुला का खुला रह गया

श्वेता- भाभी मुह बंद कर लो मक्खी घुस जाएगी

श्वेता की बात सुन अनुपमा होश मे आई

रितु राघव से बात करते हुए उसे बार बार छु लेती थी लेकिन राघव उसका कोई विरोध नहीं कर रहा था उल्टा वो तो मस्त कंफर्टेबल होकर बाते कर रहा था

जब मैं छूती हु तो दूर सरक जाते है और यहा देखो ऐसे मजे से बाते कर रहे है अनुपमा ने अपने हाथ मे पकड़ी साड़ी को मरोड़ते हुए सोचा वही श्वेता उसके जले पे नमक छिड़कते हुए बोली

श्वेता- भाभी ये भईया से कुछ ज्यादा नहीं चिपक रही?

राघव रितु से मस्त हस कर बात कर रहा था वही अनुपमा उन्हे देख के जल रही थी अब पता नहीं ये रितु इन दोनों के बीच क्या गुल खिलाएगी देखते है अगले अपडेट मे…..