“गुड मॉर्निंग भाभी” विवेक ने अनुपमा को साइड से हग करते हुए कहा
“ओये परे हट मेरी भाभी है वो” रिद्धि ने विवेक को अनुपमा से दूर करते हुए कहा
“अरे चाहे कितना ही लड़ लो लेकिन भाभी का फेवरेट तो मैं हु, हैना भाभी” शेखर ने पीछे से आते हुए अनुपमा को पीछे से गले लगाते हुए कहा जैसे कोई बच्चा अपनी मा को लिपटता है वैसे
“ओ हैलो आप श्वेता भाभी को लाने जाने वाले थे न चलो निकलो फिर शु शु…” विवेक ने शेखर को वहा से भागते हुए कहा जिसके बाद वो तीनों वही लड़ने लगे और उनको अपने लिए ऐसे लड़ते देख अनुपमा मुस्कुराने लगी
जानकी- ये सब ना तुम्हारे सामने एकदम बच्चे बन जाते है अनुपमा बताओ इन्हे देख के कौन कहेगा के ये बड़े हो गए है
मीनाक्षी- वही तो.. मुझे तो लगने लगा है अनुपमा के ऑलरेडी 3 बच्चे है जब खुद का होगा तो संभालने मे दिक्कत ही नहीं होगी
मीनाक्षी ने मुस्कुराकर कर कहा और अनुपमा बस उन्हे देखने लगी, बच्चों की बात आते ही अनुपमा के गाल लाल हो गए थे जिन्हे देख जानकी और मीनाक्षी मुस्कुरा रही थी
रिद्धि- क्या हुआ मा आप लोग क्या बाते कर रहे हो
रिद्धि ने उन दोनों को आपस मे मुसकुराते देखा तो पूछा जिससे बाकी दोनों का ध्यान भी उस ओर गया, जानकी ने एक बार अनुपमा को देखा और फिर मीनाक्षी को फिर बोली
जानकी- उनहू कुछ नहीं हमारी बात है तुम मत ध्यान दो।
जिसके बाद जानकी और भावना वहा से चली गई और अनुपमा वही खड़ी रही और उनके जाने के बाद शेखर ने अनुपमा से पूछा
शेखर- भाभी क्या हुआ?
अनुपमा- न.. नहीं कुछ नही तुम लोग बाहर चलो मैं अभी आयी
वो सब लोग किचन से चले गए और जब अनुपमा बाहर जाने के लिए मुड़ी तो वो वही जम गई किचन के दरवाजे पे राघव खड़ा था जो अब अनुपमा से आंखे नहीं मिला रहा था
‘ये यहा क्या कर रहे है? और इनके गाल क्यू लाल हो रखे है.. कही इन्होंने चाची की बच्चे वाली बात तो नहीं सुन ली? नहीं अनुपमा उन्होंने नहीं सुना होगा.. वो कैसे सुन सकते है’ अनुपमा ने मन ही मन सोचा और वहा से चली गई वही राघव भी धीमे से कुछ पुटपुटाया और डायनिंग टेबल पर आकर बैठ गया
अनुपमा ने पहले राघव को सर्व किया और फिर खुद की प्लेट मे नाश्ता लिया वही बाकी सब भी अपना नाश्ता शुरू कर चुके थे
धनंजय- तो शेखर कब जा रहे हो श्वेता को लाने
शेखर- बस डैड अभी नाश्ता करके जाने वाला हु उसके बाद ऑफिस आऊँगा
शेखर की बात पर धनंजय ने हा मे गर्दन हिला दी
शिवशंकर- और ऑफिस से आने के बाद शाम मे श्वेता को लेकर मेरे रूम मे आ जाना, उसका पहली रसोई का तोहफा बाकी है वो उसे मैं और गायत्री शाम मे ही देंगे
शेखर- जी दादू
जिसके बाद सबने आराम से बात चित करते हुए नाश्ता किया और नाश्ता खतम होने के बाद राघव अपनी जगह से उठा और अपना जरूरी सामान लेकर ऑफिस जाने के लिए निकलने लगा और उसे जाते देख अनुपमा भी अपनी जगह से उठी और जल्दी से किचन मे चली गई
अनुपमा किचन से आयी तो उसके हाथ मे लंच बॉक्स था और वो राघव को वो देने उसके पीछे पीछे चली गई
अनुपमा- रुकिए!
अनुपमा ने राघव को रोकते हुए कहा, वो दोनों राघव की कार तक पहुचे गए थे और अनुपमा की आवाज सुन राघव रुक तो गया था लेकिन पलटा नहीं।
अनुपमा- वो.. आपका लंच बॉक्स
राघव- नहीं चाहिए मुझे
राघव ने रुडली कहा और बस कार का दरवाजा खोलने ही वाला था के अनुपमा ने उसे वापिस रोका
अनुपमा- रोज रोज बाहर का खाना अच्छा नहीं होता।
राघव- मैंने क्या खाना है क्या नहीं ये तुम तय नही करोगी मैं देख लूँगा मुझे क्या करना है इसे वापिस अंदर ले जाओ या फेक दो मुझे फरक नहीं पड़ता
राघव ने अनुपमा की तरफ मुड़ते हुए हार्शली कहा
अनुपमा- प्लीज!
अनुपमा ने राघव को समझाने की कोशिश की लेकिन वो वापिस कार की ओर मूड गया मानो उसने अनुपमा की आवाज ही ना सुनी हो
अनुपमा- आप मुझसे नाराज है तो रहिए लेकिन ऐसे खाने पर गुस्सा तो मत निकालिए
अनुपमा का आवाज भारी होने लगा था
राघव- क्यू? क्यू मानू मैं तुम्हारी बात कल जब मैं कुछ कह रहा था तब तुमने सुना था
अनुपमा- हा लेकिन आप सोफ़े पर सही से नहीं सो पाते और…
राघव- और?? और क्या अनुपमा
राघव ने एकदम से अनुपमा के करीब आते हुए पूछा, राघव और अनुपमा एकदूसरे के एकदम करीब थे इतना के दोनों की साँसे एकदूसरे से टकरा रही थी और राघव इंटेंसली अनुपमा की आँखों मे देखते हुए बोला जिससे अनुपमा थोड़ा कसमसाई, वो राघव से आंखे नहीं मिला रही थी
‘मेरे पास और कोई ऑप्शन भी नहीं था, और मेरा बेड पे सोकर बेड शेयर करना आपको पसंद नहीं आता’
अनुपमा ने नीचे मुंडी करके सोचा वही
‘मुझे नहीं पता था तुम मेरे साथ एक बेड भी शेयर नहीं कर सकती’
ये खयाल राघव के मन मे आया
वहा खड़े खड़े अनुपमा की आंखे पनिया ने लगी थी जिन्हे राघव ने देख लिया और वो मुह ही मुह मे कुछ पुटपुटाया और झटके के साथ अनुपमा के हाथ से टिफ़िन बॉक्स ले लिया और कार लेकर ऑफिस के लिए निकल गया और अनुपमा बस उसे जाते हुए देखती रही
अनुपमा ने अपनी आँख से गिरती उस एक आँसू की बूंद को पोंछा और लंबी सास छोड़ी और अपने चेहरे पर एक झूठी मुस्कान लिए घर मे जाने के लिए मुड़ी ही थी के अपने सामने खड़े शक्स को देख वो थोड़ा चौकी
अनुपमा- श.. शेखर.. तुम कब आए?
अनुपमा ने थोड़ा अचकते हुए पूछा, उसे डर था के शेखर ने उनकी बाते न सुन ली हो
शेखर- बस अभी अभी आया भाभी जब भाई की कार निकल रही थी क्यू? कुछ हुआ है क्या? मैंने जल्दी आना था?
शेखर ने अपनी हमेशा वाली टोन मे अनुपमा से पूछा
अनुपमा- नहीं कुछ नहीं वो तो बस ऐसे ही पुछ लिया तो जा रहे हो श्वेता को लेने?
जिसपर शेखर ने हा मे गर्दन हिला दी
अनुपमा- हा तो फिर जल्दी जाओ और मेरी देवरानी को लेकर आओ मैं मिस कर रही हु उसे
शेखर- बस अभी लाया, बाय भाभी आता हु जल्दी
जिसके बाद शेखर भी वहा से निकल गया और अनुपमा घर के अंदर आयी
–x–x–
श्वेता- क्या हुआ शेरी(शेखर) तुम जब से आए हो कही खोए से लग रहे हो कुछ हुआ है क्या?
श्वेता ने जब शेखर को किसी गहन सोच मे डूबा देखा तो कार मे उससे पुछ लिया, वो लोग घर आने के लिए निकल चुके थे
शेखर- तुम सही थी श्वेता।
श्वेता- क्या हुआ है शेरी, तुम मुझे अब डरा रहे हो एक काम करो पहले गाड़ी साइड मे रोको और मुझे पूरी बात बताओ
शेखर मे अपनी गाड़ी एक साइड रोकी और श्वेता को देखा
श्वेता- क्या हुआ है बेबी
श्वेता ने शेखर का चेहरा अपने दोनों हाथों से थामते हुए पूछा
शेखर – तुम सही थी कुछ तो गलत है!
श्वेता- क्या गलत है? पूरी बात बताओ।
श्वेता- भाई भाभी, श्वेता दोनों के बीच कुछ तो गलत है
श्वेता – और तुम्हें भला ऐसा क्यू लगता है, हा, तुम्ही ने तो कहा था मुझसे के सब नॉर्मल है फिर अब अचानक क्या हुआ?
शेखर- जब मैं तुम्हें लेने के लिए घर ने निकल रहा था तब मैंने भाई भाभी की बाते सुनी थी वो किसी नॉर्मल कपल की तरह नहीं है, भाभी कुछ तो सोफ़े पर सोने के बारे मे बात कर रही थी
शेखर ने कुछ उदासी भरे स्वर मे कहा और फिर उसने पूरी बात श्वेता को बताई
श्वेता- हम इतनी जल्दी किसी भी नतीजे पर नहीं पहुच सकते बेबी, हो सकता है उनकी लड़ाई हुई हो
शेखर- ना! उनकी बातचित से तो ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था के लड़ाई हुई होगी ये कुछ तो और है लेकिन मैं बता नहीं पा रहा हु
श्वेता- तो फिर अब हमे क्या करना है
शेखर- दादू से बात करके देखते है उन्हे जरूर कुछ पता होगा , उन्होंने ही भाई को भाभी से शादी के लिए मनाया था और अगर भाई इससे खुश नहीं थे तो दादू जरूर जानते होंगे एक काम करते है शाम मे मेरे ऑफिस से आने के बाद दादू से इस बारे मे बात करके देखते है
शेखर की बात सुन श्वेता ने भी हा मे गर्दन हिला दी और वो लोग घर आने के लिए निकल गए।
तो क्या लगता है दादू बताएंगे इन्हे पूरी बात?
क्या राघव और अनुपमा को पास लाने मे शेखर और श्वेता कोई रोल निभाएंगे?