अनुपमा – 6

 

अनुपमा और शेखर ऑफिस से घर लौट आए थे।

शाम को अनुपमा किचन मे सब्जियां काट रही थी लेकिन उसके दिमाग मे अभी भी ऑफिस वाली बाते ही घूम रही थी, कैसे राघव ने उसका नाम लिया और बाद मे राघव का ये कहना के वो सब उसने सिर्फ पापा की वजह से किया था, ये कहना साफ झूठ होगा के अनुपमा को उस बात का बुरा नही लगा था, अपनी पत्नी के सम्मान की रक्षा करना आखिर पति का फर्ज होता है उसके लिए उसे किसी रीज़न की जरूरत नही होती,

अनुपमा अपने की खयालों मे गुम काम कर रही थी और उसे उसके खयालों से बाहर निकाला श्वेता ने जो दौड़ते हुए किचन मे आई थी

अनुपमा- क्या हुआ श्वेता ऐसे भाग क्यू रही हो??

श्वेता- भाभी वो… वो..

श्वेता थोड़ा हकलाई, अब क्या बहाना बनाए उसे समझ नही आ रहा था और सच वो अनुपमा को बता नही सकती थी की उसने शेखर को उसे किस करने का चैलेंज किया है जिससे बचने के लिए वो यहा भाग कर आई है और वो ये भी जानती थी के अनुपमा के सामने भी शेखर पीछे नही हटेगा क्युकी शेखर देशपांडे कभी चैलेंज नही हारता था और अब श्वेता को उसे चैलेंज देने का अफसोस हो रहा था और अब शेखर वहा पहुचे इससे पहले उसे अनुपमा वो वहा से बाहर भेजना था, अनुपमा ने श्वेता के चेहरे के सामने चुटकी बजा कर उसे होश मे लाया

अनुपमा- क्या हुआ है बताओगी?

श्वेता- भाभी.. वो.. वो.. राघव भईया आपको रूम मे बुला रहे है

श्वेता ने झट से कहा जैसे ही उसके ध्यान मे आया के उसने राघव को सीढ़िया चढ़ कर रूम मे जाते देखा था

अनुपमा- क्या…!!!

अनुपमा ने करीब करीब चीख कर कहा जिससे श्वेता भी थोड़ा चौकी

श्वेता- भाभी क्या हुआ? मैंने तो बस इतना कहा के भईया आपको बुला रहे है

अनुपमा- तुम मजाक कर रही हो न!

अनुपमा को अब भी श्वेता पर यकीन नही हो रहा था

श्वेता- न.. नहीं भाभी मैं क्यू मजाक करूंगी

श्वेता ने एक नर्वस स्माइल के साथ कहा

अनुपमा- तुम शुअर हो न? तुमने कुछ और तो नही सुना?

अनुपमा ने श्वेता से वापिस कन्फर्म करना चाहा

श्वेता- भाभी भईया ने मुझे आपको अभी भेजने कहा है अब जल्दी जाइए वो पहले ही काफी गुस्से मे है

श्वेता अब इस सवाल जवाब से थोड़ा परेशान हो गई थी, श्वेता की बात सुन कर अनुपमा ने हा कहा और वहा से चली गई

ये अब मुझे क्यू बुला रहे है? श्वेता सच कह रही थी ? उसने कहा ये गुस्से मे है अगर वो गुस्सा मुझ पर निकला तो?’ रूम मे जाते हुए यही सब सवाल अनुपमा के दिमाग मे चल रहे थे

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शेखर- तो यहा है मेरी डीयर वाइफ

शेखर ने किचन मे घुसते हुए कहा और श्वेता बस आँखों के इशारे से उसे रुकने कहने लगी

श्वेता- शेखर, बेबी प्लीज यहा नहीं बेबी मैं.. मैं अपना चैलेंज वापिस लेती हु

श्वेता पीछे सरक रही थी और शेखर उसकी ओर बढ़ रहा था

शेखर- उमहू अब तो चैलेंज पीछे लेने का कोई चांस ही नहीं है तुम तो जानती हो शेखर देशपांडे चैलेंज से पीछे नही हटता अब तो मुझे ये चैलेंज पूरा करना ही होगा

श्वेता- शेखर प्लीज ना यहा नही प्लीज मैं वादा करती हु रूम मे जो तुम कहोगे करूंगी यहा कोई देख लेगा ना

श्वेता शेखर को रोक रही थी और शेखर उसके सामने रुक गया

शेखर- मैं जो भी कहूँगा करोगी?

शेखर ने अपनी एक भौ उठाते हुए पूछा

श्वेता- हा बाबा जो कुछ कहोगे

श्वेता के कन्फर्म करने पर शेखर के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई

शेखर- सोच लो तुमने ही कहा है अब तैयार रहना बाद मे मैं कोई बहाना नही सुनूँगा

श्वेता ने एक राहत की सास तो ले ली लेकिन शेखर की उस शरारती मुस्कान से उसे मामला गड़बड़ लग रहा था

गायत्री – तुम यहा क्या कर रहे हो ?

दादी ने किचन मे आते हुए जब शेखर को किचन मे देखा तो पूछा जिसपर वो दोनों थोड़ा हड़बड़ा गए

शेखर- वो.. दादी.. मैं.. मैं.. हा पानी… पानी लेने आया था

दादी ने शेखर को थोड़ा शकी नजरों से देखा और शेखर ने झट से एक पानी बोतल उठाई और वहा से बाहर चला आया जिसके बाद दादी की नजरे सीधे श्वेता पर पड़ी

दादी- और तुम यहा क्या कर रही हो तुम अभी खाना नहीं बना सकती आज पहला ही दिन है तुम्हारा और अनुपमा कहा है ?

श्वेता – वो दादी भाभी रूम मे है भईया ने उन्हे कुछ काम के लिए बुलाया था

श्वेता ने दादी को भी वही बताया जो उसने अनुपमा से कहा था लेकिन वो जानती थी के इसका जवाब उसे अनुपमा को तो देना ही पड़ेगा के उसने झूठ क्यू कहा था, दादी ने श्वेता की बात पर मुंडी हिलाई और वहा से चली गई जिसके कुछ ही पल बाद जानकी और मीनाक्षी किचन मे आई और उन्होंने वहा श्वेता को उतरे हुए चेहरे के साथ खड़ा देखा तो वो समझ गई के वहा क्या हुआ होगा

श्वेता- मा-बड़ी मा भाभी उनके रूम मे गई है कुछ काम से कुछ ही समय मे आ जाएंगी

मीनाक्षी- हा वो ठीक है बेटा लेकिन तुम यहा क्या कर रही हो नई दुल्हन पहले ही दिन काम नहीं करती

मीनाक्षी ने एक स्माइल के साथ कहा

जानकी- हा, जाओ बेटा वो विवेक और रिद्धि कुछ समय पहले तुम्हारे बारे मे पुछ रहे थे उनसे मिल लो

जिसपर श्वेता ने हा मे गर्दन हिलाई और वहा से चली गई।
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अनुपमा अपने रूम के दरवाजे के बाहर खड़ी होकर सोच रही थी के अंदर जाए या ना जाए और आखिर मे उसने रूम मे जाने का फैसला किया और बगैर नॉक किए अंदर चली गई और यही उसने गलती कर दी

अंदर उसे वो काही नही दिखा और अचानक उसे बाथरूम का दरवाजा खुलने का आवाज आया और उसने उस तरफ देखा और..

अनुपमा- आह्ह!

अनुपमा अपनी आंखे बड़ी करके चीखी

क्यू??

क्युकी वहा उनके पतिदेव श्रीमान राघव देशपांडे बगैर कपड़ों के खड़े थे अपनी इज्जत को अपनी कमर पर लपेटे एक टॉवल से बचाते हुए

राघव भी अनुपमा की तरफ आंखे बड़ी करे मुह फाडे देख रहा था और अनुपमा एकदम से पलट गई

अनुपमा- वो… मैं… आ… मैं… आप.. सो.. सॉरी… वो.. मैं…

अनुपमा के मूह से शब्द ही नही निकल रहे थे और वो इससे ज्यादा कुछ नही बोल पा रही थी जिससे वो वहा एक पल भी नहीं रुकी और रूम से बाहर आ गई वही राघव अब भी वहा खड़ा हुआ अभी अभी हुए सीन को पचाने की कोशिश कर रहा था

अनुपमा अपने रूम से बाहर भाग आई और एक जगह रुक कर अपनी बढ़ी हुई सासों पर काबू करने लगी

हे भगवान येये क्या हुआ अभी अभी अनुपमा ने सोचा

विवेक- भाभी क्या हुआ आप इतनी जोर जोर से सासे क्यू ले रही हो?

रिद्धि- हा भाभी क्या हुआ आपको?

विवेक और रिद्धि ने जब अनुपमा को देखा तो सेम सवाल पुछ डाला

अनुपमा- वो.. एक्चुअल्ली.. मैंने चूहा.. हा चूहा देख लिया तो डर गई और भाग आई यहा हे हे

अनुपमा ने बात संभालते हुए उन दोनों भाई बहनों को देखा जो अब भी अनुपमा को घूर रहे थे, उनके लिए ये बात पचा पाना मुश्किल था, वो अनुपमा को कुछ पल और वैसे ही देखते रहे और फिर जोर से हसने लगे

विवेक- क्या भाभी आप भी चूहे से डर गई

रिद्धि- हा ना वो चूहा आपको खा थोड़ी जाता जो आप ऐसे भाग आई

अनुपमा को उनकी बात पर कुछ बोलते नही बन रहा था क्युकी वो दोनों नही जानते थे के अनुपमा ने किस चूहे को देखा था

अनुपमा- अब हसना हो गया हो तो चलो खाने का वक्त हो गया है

अनुपमा ने बात बदल दी और वो तीनों डाइनिंग हॉल मे आ गए,

घर के सब लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे और अनुपमा और श्वेता सबको खाना परोस रही थी तब अनुपमा ने देखा के राघव एक ब्लैक टीशर्ट और ट्राउज़र मे सीढ़ियों से नीचे आ रहा है

मुझे नही पता था के ये कैजुअल कपड़ों मे भी इतने हॉट लगते है’ अनुपमा ने मन ही मन राघव को देखते हुए सोचा

अनुपमा सबके सामने ऐसे तो मत घूरो उन्हे अनुपमा ने अपने ही दिमाग मे अपने आप को डाट लगाई जिससे शर्म से उसके गाल लाल हो चुके थे, मोमेंट तो था

विवेक- अरे वाह देखो तो आज स्वयं महाराज राघव जी हम तुच्छ प्राणियों के साथ खाना खाने वाले है, हमारे तो भाग ही खुल गए

विवेक ने राघव को चिढ़ाते हुए कहा और बदले मे उसे मिला क्या तो राघव का गुस्से वाला लुक

धनंजय- बेटा कभी हस भी लिया करो क्या हमेशा एक ही इक्स्प्रेशन लिए रहते हो

धनंजय से राघव को समझाया

राघव- मुस्कुराने का रीज़न भी तो होना चाहिए न चाचू

राघव ने अपनी सीट पर बैठते हुए कहा

रमाकांत- कहना क्या चाहते हो राघव

लेकिन राघव ने रमाकांत जी की बात का कोई जवाब नही दिया और चुप रहा और माहोल थोड़ा गरम होते देख दादू को बोलना पड़ा

शिवशंकर- खाना खा ले पहले, उसके बाद राघव मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है

जिसकर राघव ने भी अपनी गर्दन हा मे हिला दी

मीनाक्षी- अरे तुम दोनों भी बैठो ना सब लोग सर्व कर लेंगे खाना

मीनाक्षी जी ने श्वेता और अनुपमा से कहा जिसके बाद स्वेता जाकर शेखर के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गई और अनुपमा रिद्धि के तरफ जा रही थी के जानकी बोली

जानकी- अनुपमा उधर कहा जा रही हो देखो तुम्हारी सीट तो वहा राघव के बाजू मे रीज़र्व्ड है

जिसपर अनुपमा ने कहा तो कुछ नही लेकिन राघव का नाम आते ही उसे अभी थोड़ी देर पहले हुआ सीन याद आया और उसके गाल लाल हो गए, दिल की धड़कन बढ़ गई जैसे ही उसने राघव को देखा, वो राघव के बाजू मे आकार बैठी लेकिन राघव तो बस अपनी खाली प्लेट को घूरे जा रहा था जिससे अनुपमा का चेहरा थोड़ा उतर गया लेकिन तभी उसके ध्यान मे आया के ग्रेट राघव देशपांडे कभी अपनी थाली नहीं परोसते उसे कोई न कोई खाना सर्व करने के लिए चाहिए होता है, ऑफिस मे ये काम उसका अससिस्टेंट करता है और जब वो रात का खाना खाने घर आता है तब भी कोई न कोई नौकर उसे खाना सर्व कर देता है क्युकी अनुपमा वहा नही होती

ऐसा नही था के अनुपमा उसकी राह नही देखती थी लेकिन राघव घर ही इतना देरी से आता था के तब तक अनुपमा दिन भर के काम से थक कर सो चुकी होती थी और दोपहर मे सोने की आदत ना होने की वजह से वो कितनी भी कोशिश कर ले ज्यादा नही जाग पाती थी, पर जब उसने कुछ महीने पहले राघव के उनके रीलेशन के बारे ख्याल सुने थे के उसे इस सब से कोई मतलब नहीं है तब से वो उसे थोड़ा इग्नोर कर रही थी उसने उसकी राह देखना छोड़ दिया था पर आज जब सारा परिवार साथ खाना खा रहा था और कोई नौकर सर्व नही कर सकता था तो ये उन दोनों के लिए थोड़ी दुविधा थी

अनुपमा ने अपना हाथ बढ़ा कर राघव की प्लेट मे खाना सर्व किया जिसका उसने कोई विरोध नही किया और जब अनुपमा उसे खाना सर्व कर रही थी तब भी वो बस अपनी प्लेट को ही देखे जा रहा था, उन दोनों के देख के जानकी के चेहरे पर मुस्कान आ गई

विवेक- ओयेहोयहोय तो अब भाभी के परोसे बगैर भाई खाना भी नही खा सकता, सही है

लेकिन राघव ने इस बार भी विवेक को कोई जवाब नही दिया और वही अनुपमा ने अपना खाना शुरू किया

रिद्धि- भाई आपको पता है भाभी को चूहों से डर लगता है, कुछ समय पहले वो आपके रूम से निकल कर कॉरिडोर मे भाग रही थी जैसे चूहा उन्हे खा जाएगा

रिद्धि ने कहा जिससे राघव का निवाला उसके गले मे ही अटक गया और उसे ठसका लगा वही अनुपमा डर से अपनी आंखे बड़ी करके रिद्धि को देखने लगी लेकिन जब राघव जोर से खांसा तब उसने रिद्धि ने ध्यान हटाया और राघव को पानी का ग्लास पकड़ाया

जानकी- राघव, ठीक हो?

जिसपर राघव ने बस गर्दन हिलाई

मीनाक्षी- आराम से खाओ

शेखर- आराम से कैसे खाएगा मा जब भाभी ने इतने प्यार से खाना बनाया है तो

शेखर ने राघव को छेड़ते हुए कहा और बदले मे पाया राघव का गुस्से वाला लुक

राघव- श्वेता मुझे माफ कर देना क्युकी अभी मैं तुम्हारे इस डीयर हस्बैंड के दात तोड़ने वाला हु

राघव ने शेखर को साफ साफ धमकी दे डाली एक तो अनुपमा ने उसे चूहा कहा था ऊपर से ये लोग भी उसे चिढ़ाये जा रहे थे राघव की बात सुन कर श्वेता मुस्कुराई लेकिन जब शेखर से उसे देखा तो बिचारी ने मुंडी नीचे कर ली, विवेक और रिद्धि हसने लगे लेकिन जैसे ही रमाकांत जी ने उन्हे देखा वो भी चुप हो गए

गायत्री- बस अब चुप चाप सब अपना खाना खतम करो

खाना खाने के बाद राघव स्टडी मे चला गया जहा उसके दादू पहले ही उसकी राह देख रहे थे, राघव ने दरवाजा खटखटाया और पर्मिशन मिलते ही अंदर घुसा तो देखा के दादू कुर्सी पर बैठे थे

राघव- जी दादू कहिए क्या बात करनी है आपको

शिवशंकर- बात बहुत जरूरी है राघव, मुझे तुम्हारे और अनुपमा के बारे मे बात करनी है…..

क्या बात करनी होगी दादू को?

राघव का कम बोलने वाला गुस्से वाला स्वभाव क्या राघव और अनुपमा को पास आने देगा?