“क्या हो रहा है वहा”
पीछे से एक डीप डोमीनेट करने वाली आवाज आई, उस आवाज मे एक जोशीलापन था जो किसी को भी अपने सामने झुका सकता था
अनुपमा अपनी जगह पर जम गई थी हर बीतते पल के साथ उसके दिल की धड़कने भी बढ़ रही थी और अनुपमा को अब उसके गुस्से से डर लग रहा था
वहा खड़े सब लोग डर से नीचे देख रहे थे और अनुपमा भगवान से प्रार्थना कर रही थी के इस फ्लोर पर मौजूद सभी को उसके गुस्से से बचा ले
“स.. सर.. वो.. ये लेडी बगैर अपॉइन्टमेंट के आपके केबिन की तरफ जा रही थी और जब मैंने उसे रोका तो उसने कहा के उसे किसी अपॉइन्टमेंट की जरूरत नही है” जिसने अनुपमा को रोका था उस लड़की ने कॉन्फिडेंट बनते हुए कहा और तभी अनुपमा के दिमाग मे एक बात आई
वो तो उसके केबिन मे नही जा रही थी वो तो पापा के केबिन मे जा रही थी
“टर्न”
उसने अनुपमा से कहा मानो वो उसकी कोई इम्प्लॉइ हो अनुपमा अपनी सारी का पल्लू पकड़ा और उसकी ओर मुड़ी, उसकी वो डोमीनेट करने वाली आवाज अनुपमा को कुछ सोचने ही नही दे रही थी, उसकी आवाज मे कोई नम्रता नही थी लेकिन अनुपमा ने अपने आप को शांत रखा
और वो उसकी तरफ मुड़ी और उस इंसान की तरफ देखा जो अभी उसके सामने खड़ा था
जो उसका सबकुछ था
परफेक्ट जॉलाइन तीखी नाक और उससे भी खूबसूरत आंखे, जेल लगा कर सेट किए हुए बाल हल्की दाढ़ी और काले रंग के सूट में वो वहा कहर ढा रहा था, उसके ऑफिस की लगभग हर लड़की को उसपर क्रश था और हो भी क्यू न वो था ही वैसा, इस जगह का राजा
राघव देशपांडे
अनुपमा ने उसकी नीली आँखों मे देखा, पहली बार उसने उसके साथ नजर मिलाई लेकिन बस एक सेकंद के लिए बाद ने उसने अपनी नजरे घुमा ली
राघव ने कुछ समय तक उसको देखा और फिर एक ऐसा सवाल पूछा जिसकी अनुपमा को कोई उम्मीद नही थी,
राघव- नाम क्या है तुम्हारा?
राघव ने साफ सर्द आवाज मे पूछा
अनुपमा और बाकी इम्प्लॉइ उसे ऐसे देख रहे थे मानो वो कोई भूत हो लेकिन वो बस अनुपमा को देख रहा था ईमोशनलेस चेहरे के साथ
राघव- इनसे इनका नाम पूछो
राघव ने उस लड़की से कहा जिसने अनुपमा को रोका था, उसकी आवाज से खतरे का अंदाज लगाया जा सकता था
“आप.. आपका नाम क्या है मैडम” उस लड़की ने हकलाते हुए पूछा
अनुपमा- न.. अनुपमा
अनुपमा ने इधर उधर देखते हुए अपनी आँखों मे जमे आँसुओ को छुपाते हुए कहा जिसमे वो कमयाब भी रही
कौन लड़की चाहेगी के उसका पति उससे शादी के पाँच महीने बाद उसका नाम पूछे वो भी ऐसे लोगों के सामने जो उनका रीलेशन जानते थे
राघव- पूरा नाम।
अनुपमा- अनुपमा देशपांडे
राघव- मैंने पूरा नाम पूछा है
राघव ने दोबारा अनुपमा की तरह देखते हुए अपने हर शब्द पर जोर देते हुए कहा
अनुपमा- अनुपमा राघव देशपांडे
अनुपमा ने नीचे देखते हुए कहा
राघव- मिसेस अनुपमा राघव देशपांडे
राघव ने एक एक शब्द पर जोर देते हुए अनुपमा को देखते हुए कहा जिससे अनुपमा ने भी उसकी ओर देखा
उसके मुह से आज अपना नाम सुन कर अनुपमा को अच्छा लगा लेकिन साथ ही उसके रूखे व्यवहार से तकलीफ भी हो रही थी राघव ने फिर उस लड़की की तरफ देखा
राघव – मुझे लगता है ये पहचान काफी है
राघव ने एक सर्द आवाज मे कहा और फिर अपने अससिस्टेंट से बोला
राघव- रवि, इसका टर्मिनेशन लेटर बनाओ
इतना बोल कर राघव अपने केबिन मे वापिस चला गया बगैर किसी की तरफ देखे और अनुपमा शॉक होकर उसकी तरफ देखती रही लेकिन अनुपमा से ज्यादा वो लड़की शॉक मे थी
“मैडम सॉरी मैडम, मुझे नही पता था आप सर की वाइफ है, मुझे माफ कर दीजिए मैडम” उस लड़की की हेकड़ी उतर चुकी थी
अनुपमा- मैं बात करती हु
इतना बोल कर अनुपमा राघव के पीछे पीछे उसके केबिन मे चली गई
अनुपमा राघव के पीछे बगैर नॉक किए केबिन मे जाने वाली थी लेकिन वो अपनी जगह रुक गई और उसने सोचा
‘ये पहले ही गुस्से मे है कही इनका गुस्सा ज्यादा ना बढ़ जाए’
अनुपमा ने केबिन का दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई जवाब नही आया, अनुपमा ने दोबारा थोड़ा जोर से खटखटाया लेकिन इस बार भी हालत सेम ही रही फिर अनुपमा सीधा दरवाजा खोल कर अंदर चली गई
अंदर राघव अपनी खुर्ची पर आंखे मूँदे बैठा था
केबिन मे आने के बाद अनुपमा ने एक बात नोटिस की थी के अब राघव ने सिर्फ सफेद शर्ट और पैन्ट पहनी हुई थी कोट उसका सोफ़े पर पड़ा हुआ था..
अनुपमा को समझ नही आ रहा था के बात कैसे शुरू करे, बाकी लोगों के सामने तो वह बहुत बातुनी थी लेकिन राघव के सामने उसकी बोलती बंद हो गई थी ऐसा लग रहा था मानो उसके गले मे आवाज ही ना हो
राघव- अब तुम कुछ बोलोगी या वैसे ही मुझे देखती रहोगी
राघव ने वैसे ही बैठे बैठे बंद आँखों के साथ पूछा उसकी आवाज मे इरिटेशन झलक रहा था, अनुपमा ने अपनी नजरे घुमाई और बोली
अनुपमा- प्लीज उसे फायर मत कीजिए उसकी कोई गलती नही थी
राघव- तो किसकी गलती थी?
राघव ने अपनी आंखे खोली और अपने दोनों हाथ टेबल पर रखते हुए अनुपमा की ओर देखते हुए उससे पूछा और इससे पहले अनुपमा कुछ कह पाती वो आगे बोला
राघव – अगर पापा को पता चला के मैंने इस मामले मे कोई एक्शन नही लिया है तो मुझे उनका लेक्चर सुनना पड़ेगा तो मैंने एक्शन ले लिया ज्यादा मत सोचो
राघव ने थोड़ा रुक कर कहा जिसके बाद अनुपमा से कुछ बोलते ही नही बना
राघव – वैसे तुम क्यू आई हो ?
राघव ने अपना लैपटॉप ऑन करते हुए पूछा जिसके बाद अनुपमा का दिमाग चला के वो वहा क्यू आई थी
अनुपमा- वो पापा का केबिन कहा है, मुझे उन्हे ये फाइल देनी थी
जिसके बाद राघव ने अपना एक हाथ बढ़ा दिया लेकिन नजरे उसकी लैपटॉप मे ही जमी हुई थी जिससे अनुपमा थोड़ा उदास हो गई
राघव- मुझे दे दो मैंने ही वो फाइल पापा से कह कर मँगवाई थी
अनुपमा- नहीं
जिसके बाद राघव ने अपना काम रोका और अनुपमा को देखा
अनुपमा- वो… मतलब पापा ने कहा था के फाइल बस उन्हे ही देनी है इसीलिए उन्होंने फॅमिली मेम्बर को लाने कहा था
जिसके बाद राघव ने उसे थोड़ा घूर के देखा
‘अनुपमा क्यू शेर को शिकार का मौका दे रही हो’ अनुपमा ने मन ही मन सोचा
राघव- मुझे दे दो मैं दे दूंगा पापा को
अनुपमा- नहीं, मैं सिर्फ पापा को ही ये फाइल दूँगी आपको चाहिए तो पापा से ले लेना
अनुपमा ने थोड़ा कॉन्फिडेंट बनते हुए कहा और इसके आगे राघव कुछ बोल पाता शेखर वहा आ गया
राघव- अंदर घुसने से पहले नॉक नहीं कर सकते क्या!
राघव शेखर पर भड़क गया जिससे वो दोनों ही वही जम गए
शेखर- अरे यार भाई आराम से मुझे नही पता था आपको भाभी के साथ प्राइवसी चाहिए
राघव- शट उप !
राघव पहले ही बाहर हुए वाकये से गुस्से मे था और अब उसमे शेखर उसे छेड रहा था
शेखर- भाभी बड़े पापा ने कहा है के फाइल भाई को ही दे दो
शेखर की बात सुनते ही अनुपमा ने हा मे गर्दन हिलाई और फाइल राघव की डेस्क पर रख दी और राघव उसे ऐसे देखने लगा मानो वो कोई ऐलीअन हो
‘वाह! मैंने कहा फाइल मुझे दे दो तो मेरी बात तो नहीं मानी लेकिन शेखर के बोलते ही फट से फाइल रख दी’ राघव ने मन ही मन सोच जिससे उसका गुस्सा थोड़ा और बढ़ गया
शेखर- और हा मैंने पापा और बड़े पापा को लंच दे दिया है आपने भाई को दे दिया ?
जिसके बाद अनुपमा ने लंच बॉक्स भी टेबल पर रख दिया
अनुपमा – मा ने कहा है पहले खाना खा लीजिएगा फिर काम कीजिएगा
अनुपमा ने बहुत प्यार से कहा जीसे कोई मना कर ही नहीं सकता था लेकिन अपने राघव भाई बस लैपटॉप मे नजरे टिकाए बैठे रहे
शेखर- चलो भाभी हम लोग चलते है भाई खाना खा लेना और भाई दादू का स्ट्रिक्ट ऑर्डर है के आज 8 बजे के पहले घर आ जाना वरना दादू का गुस्सा देखने के लिए रेडी रहना
शेखर की बात सुनकर राघव ने अनुपमा की ओर देखा और सोचा के कही इसने अपनी कम्प्लैन्ट तो नहीं कर दी जिसके बाद अनुपमा और शेखर दोनों वहा से चले गए