ईश्वर तू ही अन्नदाता है

ईश्वर तू ही अन्नदाता है

किसी राज्य में एक प्रतापी राज्य हुआ करता था। वो राजा रोज सुबह उठकर पूजा पाठ करता और गरीबों को दान देता। अपने इस उदार व्यवहार और दया की भावना की वजह से राजा पूरी जनता में बहुत लोक प्रिय हो गया था।

रोज सुबह दरबार खुलते ही राजा के यहाँ गरीब और भिखारियों की लंबी लाइन लग जाती थी। राजा हर इंसान को संतुष्ट करके भेजते थे। किशन और गोपाल नाम के दो गरीब भिखारी रोज राजा के यहाँ दान लेने आते।

किशन और गोपाल

राजा जब किशन को दान देता तो किशन राजा की बहुत वाहवाही करता और राजा को दुआएं देता। वहीँ जब राजा गोपाल को दान देता तो वह हर बार एक ही बात बोलता – “हे ईश्वर तू बड़ा दयालु है, तूने मुझे इतना सबकुछ दिया”। राजा को उसकी बात थोड़ी बुरी लगती। राजा सोचता कि दान मैं देता हूँ और ये गुणगान उस ईश्वर का करता है।

एक दिन राजकुमारी का जन्मदिन था। उस दिन राजा ने दिल खोल कर दान दिया। जब किशन और गोपाल का नंबर आया तो राजा ने पहले किशन को दान दिया और किशन राजा के गुणगान करने लगा लेकिन राजा ने जैसे ही गोपाल को दान दिया वो हाथ ऊपर उठा के बोला – “हे ईश्वर तू ही अन्नदाता है, आज तूने मुझे इतना दिया इसके लिए प्रभु तुझे धन्यवाद देता हूँ”

राजा को यह सुनकर बड़ा गुस्सा आया उसने कहा कि गोपाल, मैं रोज तुम्हें दान देता हूँ फिर तुम मेरे बजाय ईश्वर का गुणगान क्यों करते हो ? गोपाल बोला – राजन देने वाला तो ऊपर बैठा है, वही सबका अन्नदाता है, आपका भी और मेरा भी, यह कहकर गोपाल वहाँ से चला गया। अब राजा ने गोपाल को सबक सिखाने की सोची।

अगले दिन जब किशन और गोपाल का नंबर आया तो राजा ने किशन को दान दिया और कहा – किशन मुझे गोपाल से कुछ बात करनी है, इसलिए तुम जाओ और गोपाल को यहीं छोड़ जाओ, और हाँ आज तुम अपने पुराने रास्ते से मत जाना आज तुमको राजमहल के किनारे से जाना है जहाँ से सिर्फ मैं गुजरता हूँ।

किशन ख़ुशी ख़ुशी दान लेकर चला गया। राजमहल के किनारे का रास्ता बड़ा ही शानदार और खुशबु भरा था। संयोग से राजा ने उस रास्ते में एक चांदी के सिक्कों से भरा घड़ा रखवा दिया था। लेकिन किशन आज अपनी मस्ती में मस्त था वो सोच रहा था कि राजा की मुझपर बड़ी कृपा हुई है जो मुझको अपने राजमहल के रास्ते से गुजारा। यहाँ से तो मैं अगर आँख बंद करके भी चलूं तो भी कोई परेशानी नहीं होगी।

यही सोचकर किशन आँखें बंद करके रास्ते से गुजर गया लेकिन उसकी नजर चांदी के सिक्कों से भरे घड़े पर नहीं पड़ी। थोड़ी देर बाद राजा ने गोपाल से कहा कि अब तुम जाओ क्योंकि किशन अब जा चुका होगा लेकिन तुमको भी उसी रास्ते से जाना है जिससे किशन गया है।

गोपाल धीमे क़दमों से ईश्वर का धन्यवाद करते हुए आगे बढ़ चला। अभी थोड़ी दूर ही गया होगा कि उसकी नजर चांदी के सिक्कों से भरे घड़े पर पड़ी। गोपाल घड़ा पाकर बड़ा खुश हुआ उसने कहा – “ईश्वर तेरी मुझ पर बड़ी अनुकंपा है तूने मुझे इतना धन दिया” और वो घड़ा लेकर घर चला गया।

अगले दिन फिर से जब गोपाल और किशन का नंबर आया तो राजा को लगा कि किशन घड़ा ले जा चुका होगा इसलिए उसने किशन से पूछा – क्यों किशन ? कल का रास्ता कैसा रहा ? राह में कुछ मिला या नहीं ?

किशन ने कहा – महाराज रास्ता इतना सुन्दर था कि मैं तो आँखें बंद करके घर चला गया लेकिन कुछ मिला तो नहीं। फिर राजा ने गोपाल से पूछा तो उसने बताया कि राजा कल मुझे चांदी के सिक्कों से भरा एक घड़ा मिला, ईश्वर ने मुझपे बड़ी कृपा की।

राजा किशन से बड़ा गुस्सा हुआ उसने कहा कि आज मैं तुझे धन नहीं दूंगा बल्कि एक तरबूज दूंगा, किशन बेचारा परेशान तो था लेकिन कहता भी तो क्या ? चुपचाप तरबूज लेकर चल पड़ा। उधर राजा ने गोपाल को रोजाना की तरह कुछ धन दान में दिया।

किशन ने सोचा कि इस तरबूज का मैं क्या करूँगा और यही सोचकर वो अपना तरबूज एक फल वाले को बेच गया। अब जब गोपाल रास्ते से गुजारा उसने सोचा कि घर कुछ खाने को तो है नहीं क्यों ना बच्चों के लिए एक तरबूज ले लिया जाये। तो गोपाल फल बेचने वाले से वही तरबूज खरीद लाया जिसे किशन बेच गया था।

अब जैसे ही घर आकर गोपाल ने उस तरबूज को काटा तो देखा उसके अंदर सोने के सिक्के भरे हुए थे। गोपाल ये देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ और ईश्वर का धन्यवाद देते हुए बोला – “हे ईश्वर आज तूने मेरी गरीबी दूर कर दी, तू बड़ा दयालु है सबका अन्नदाता है”

अगले दिन जब राजा दान दे रहा था तो उसने देखा कि केवल अकेला किशन ही आया है गोपाल नहीं आया। उसने किशन से पूछा तो किशन ने बताया कि कल भगवान की कृपा से गोपाल को एक तरबूज मिला जिसके अंदर सोने के सिक्के भरे हुए थे वह गोपाल तो अब संपन्न इंसान हो चुका है।

किशन की बात सुनकर राजा ने भी अपने हाथ आसमान की ओर उठाये और बोला – “हे ईश्वर वाकई तू ही अन्नदाता है, मैं तो मात्र एक जरिया हूँ, तू ही सबका पालनहार है” राजा को अब सारी बात समझ आ चुकी थी।