बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे

बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे?

बचपन में बाबा एक कहावत कहते थे, “बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे?” हम ने कहा, “बाबा ! यह कौन बड़ी बात है ? बिल्ली पकड़ कर आप लाइए घंटी तो हमबाँधहीदेंगे!!” तब बाबा ने हमें इस कहाबतका किस्सा सुनाया। आप भी पहले यह किस्सा सुन लीजिये!

हमारे गाँव मे एक थे धनपत चौधरी! उनका एक बड़ा-साखलिहान था। उस में अनाज-पानी तो जो था सो था ही, ढेरो चूहे भरे हुए थे। खलिहान मेंकटाई-खुटाई के मौसम ही लोग-बाग़ जाते थे वरना वहाँ चूहाराज ही था। चूहे दिन-रातधमा-चोकड़ी करते रहते थे। धनपत बाबू ने एक मोटी बिल्ली पाल रखी थी। वह बिल्लीदिन-दोपहर कभी भी चुपके से खलिहान में घुस जाती थी और झट से एक चूहे खा जाती थी।

एकदिन चूहों ने एक बड़ी बैठक बुलाई। उसमें बुज़ुर्ग चूहों द्वारा यह कहा गया कि हम लोग इतने चूहे हैं औरबिल्लीएक… फिर भी कमबख्त जब चाहती है तबहम लोगों को अपना शिकार बना लेती है… कुछ तो उपाय करना पड़ेगा। मसला तो बहुतगंभीर था। सो बहुत देर तक विचार विमर्श के बाद बूढ़ा चूहा बोला, “देखो बिल्ली से हम लोग लड़ तो नहीं सकते लेकिन बुद्धि लगा के बच सकते हैं। क्यूँ न बिल्ली के गले मेंएक घंटी बाँध दी जाए ? इस तरह से जब बिल्ली इधर आयेगी घंटी की आवाज़ सुन कर हम लोगछुप जायेंगे।”

अरे शाब्बाश….!!!! सारे चूहे इस बात पर उछल पड़े।लगा उन्हें सुरक्षा कवच मिल गया हो। लेकिन चूहों का सरदार बोला, ‘आईडिया तो सॉलिड है परबिल्ली के गले मे घंटी बांधेगा कौन ?’

बूढा चूहा तो सबसे पहले पीछे हट गया। जवान भी औरबच्चे भी ! कौन पहले जाए मौत के मुंह में ? कौन घंटी बांधे ? थे तो सबचूहे… ! सो रोज अपनी नियति पर मरते रहे। समझे… !

मित्रो, इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है ऐसी योजना से कोई लाभ नहीं जिसे लागू न किया जा सके !

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बचपन में बाबा एक कहावत कहते थे, “बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे?” हम ने कहा, “बाबा ! यह कौन बड़ी बात है ? बिल्ली पकड़ कर आप लाइए घंटी तो हमबाँधहीदेंगे!!” तब बाबा ने हमें इस कहाबतका किस्सा सुनाया। आप भी पहले यह किस्सा सुन लीजिये!

हमारे गाँव मे एक थे धनपत चौधरी! उनका एक बड़ा-साखलिहान था। उस में अनाज-पानी तो जो था सो था ही, ढेरो चूहे भरे हुए थे। खलिहान मेंकटाई-खुटाई के मौसम ही लोग-बाग़ जाते थे वरना वहाँ चूहाराज ही था। चूहे दिन-रातधमा-चोकड़ी करते रहते थे। धनपत बाबू ने एक मोटी बिल्ली पाल रखी थी। वह बिल्लीदिन-दोपहर कभी भी चुपके से खलिहान में घुस जाती थी और झट से एक चूहे खा जाती थी।

एकदिन चूहों ने एक बड़ी बैठक बुलाई। उसमें बुज़ुर्ग चूहों द्वारा यह कहा गया कि हम लोग इतने चूहे हैं औरबिल्लीएक… फिर भी कमबख्त जब चाहती है तबहम लोगों को अपना शिकार बना लेती है… कुछ तो उपाय करना पड़ेगा। मसला तो बहुतगंभीर था। सो बहुत देर तक विचार विमर्श के बाद बूढ़ा चूहा बोला, “देखो बिल्ली से हम लोग लड़ तो नहीं सकते लेकिन बुद्धि लगा के बच सकते हैं। क्यूँ न बिल्ली के गले मेंएक घंटी बाँध दी जाए ? इस तरह से जब बिल्ली इधर आयेगी घंटी की आवाज़ सुन कर हम लोगछुप जायेंगे।”

अरे शाब्बाश….!!!! सारे चूहे इस बात पर उछल पड़े।लगा उन्हें सुरक्षा कवच मिल गया हो। लेकिन चूहों का सरदार बोला, ‘आईडिया तो सॉलिड है परबिल्ली के गले मे घंटी बांधेगा कौन ?’

बूढा चूहा तो सबसे पहले पीछे हट गया। जवान भी औरबच्चे भी ! कौन पहले जाए मौत के मुंह में ? कौन घंटी बांधे ? थे तो सबचूहे… ! सो रोज अपनी नियति पर मरते रहे। समझे… !

मित्रो, इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है ऐसी योजना से कोई लाभ नहीं जिसे लागू न किया जा सके !