कटोरा

कटोरा

एक आदमी एक गाँव की गलियों में घूम रहा था , उसने देखा की एक घर के बाहर एक बिल्ली कटोरे में दूध पी रही हैं . वो कटोरा बहुत ही एंटिक था , उसकी कीमत बाज़ार में बहुत ज्यादा होगी . उसने सोचा – देहाती इस कटोरे की कद्र नहीं जानते , इसलिए बिल्ली को दूध पिला रहे हैं .

उसने पास ही बैठे उस बिल्ली के मालिक से कहा – जनाब ! मुझे आपकी बिल्ली अच्छी लगी , मैं इसे 500 रुपयों में खरीद लूँगा ! वैसे भी इस साधारण बिल्ली की क्या कीमत, बस मेरे घर में चूहे बहुत है तो ये उन्हें भगा देगी !!
उस देहाती ने सर ना में हिलाया और बोला – साहब ! 500 बहुत कम हैं , हाँ मुझे आप 5000 अभी नकद दे तो बिल्ली आपकी .

आदमी ने कुछ मोलभाव करना चाह पर वो नहीं माना . एंटिक कटोरे की लालच में उस आदमी ने उसे 5000 नगद भी दे डाले ! सोचा कटोरे की कीमत तो कम से कम उससे पांच गुने ज्यादा होगी !

बिल्ली को ले जाते हुवे उसने अपना दाव खेला – जनाब ! अब जब बिल्ली मैंने खरीद ही ली हैं तो आप इस दूध पिलाने के कटोरे का क्या करेंगे ? ये भी मैं 100 – 50 में खरीद लेता हूँ …
देहाती आदमी – नहीं साहब वो तो मैं नहीं बेचूंगा !!

आदमी तो चकरा गया और पूछा – ऐसा क्यू ?? क्या खास है इस कटोरे में !!?
देहाती आदमी – वो तो मुझे नहीं मालूम, ये मेरे लिए बहुत लकी हैं !! पिछले दो हफ्ते से मैंने जब से इस कटोरे में बिल्ली को दूध पिलाना शुरू किया हैं – मैंने पैसठ (65) बिल्लिय बेच दी हैं !