कवि डाकू

कवि डाकू

कूएक कवि गरीबी से तंग आके डाकू बन गया .

डकैती करने वो बैंक गया और जाके सबके ऊपर पिस्तौल तान दिया और बोला

“अर्ज़ किया है …
तकदीर में जो हैं , वोही मिलेगा
तकदीर में जो है, वोही मिलेगा
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हैंड्स उप ! अपनी जगह से कोई नहीं हिलेगा !!”

केशियर के पास जाके कहता है –
“अपने कुछ ख़्वाब मेरी आँखों से निकाल लो
अपने कुछ ख़्वाब मेरी आँखों से निकाल लो
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जो कुछ भी तुम्हारे पास है जल्दी से इस बैग में डाल दो !!

जब वो बैंक लूट चूका था तो जाते जाते बोल के जाता है –
“भुला दे मुझे , क्या जाता है तेरा
भुला दे मुझे , क्या जाता है तेरा
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मैं गोली मार दूंगा जो किसी ने पीछा किया मेरा !! “