घमंड़ी मोर और बुद्धिमान सारस

घमंड़ी मोर और बुद्धिमान सारस

एक मोर था। वह बड़़ा ही घमंडी था और अपनी सुंदरता का बखान करता रहता था। वह रोज नदी के किनारे जाता, पानी में अपनी परछाईं देखता और अपनी सुंदरता की तारीफ करता।
वह कहता, जरा मेरी पूँछ तो देखो। कितने मनमोहक रंग हैं मेरे पंखों के! वास्तव में मैं दुनिया के सभी पक्षियों से अधिक सुंदर हूँ।

एक दिन मोर को नदी के किनारे एक सारस दिखाई दिया। उसने सारस को देखकर मुँह फेर लिया। सारस का अपमान करते हुए उसने कहा, कितने रंगहीन पक्षी हो तुम! तुम्हारे पंख तो एकदम सादे और फीके हैं।
सारस ने कहा, तुम्हारे पंख सचमुच बहुत सुंदर हैं। मेरे पंख तुम्हारे पंखों जितने सुंदर नहीं हैं। पर इससे क्या होता है? तुम अपने पंखों से ऊँची उड़़ान तो नहीं भर सकते! जबकि मैं अपने पंखों से आसमान में बहुत ऊँचाई तक उड़ सकता हूँ। इतना कहकर सारस उड़ता हुआ आकाश में बहुत ऊँचे चला गया। मोर शर्मिंदगी से उसकी ओर देखता ही रह गया।

शिक्षा -केवल सुंदरता की अपेक्षा उपयोगिता अधिक महत्वपूर्ण हैं।