लालची बंटी

लालची बंटी

बंटी नाम का एक प्यारा लड़का था। उसे टाफियाँ बहुत पसंद थी। एक दिन वह अपनी माँ के साथ अपनी मौसी के घर गया। मौसी बंटी की आदत से परचित थी। इसलिए वह टाफियों से भरा मर्तबान ही उसके लिये खरीद लाईं थीं ।

मौसी ने अलमारी से टाफियों का मर्तबान निकाल कर बंटी के सामने रख दिया। बंटी इतनी सारी टाफियाँ देखकर पुलकित हो गया। मौसी ने कहा, बंटी जितनी सारी टाफियाँ चाहिए ले लो। बंटी ने झटपट मर्तबान का ढक्कन खोलकर हाथ भीतर डाल दिया। जितनी टाफियाँ मुटठी में समा सकती थीं, उसने उतनी टाफियाँ मुटठी में भर लीं।
मर्तबान का मुँह बहुत छोटा था। टाफियों से भरी मुटठी मर्तबान के मुँह से बड़ी हो गयी। इस लिए बंटी का हाथ बाहर नही आ रहा था। उसने बहुत कोशिश की अपने दूसरे हाथ से मर्तबान को आगे पीछे बढ़ाया। उसे तेजी से गोल-गोल घुमाया। पर उसका हाथ बाहर नही निकला।

बंटी की परेशानी देख माँ ने कहा, बेटे! अक्ल से काम लो अपनी मुटठी खोलकर कुछ टाफियाँ गिरा दो फिर तुम्हारा हाथ आसानी से निकल आएगा। बंटी ने वैसा ही किया। उसका हाथ आराम से बाहर निकल आया ।

शिक्षा -पेटू बनना अच्छा नही।