चंडूल और किसान

चंडूल और किसान

मक्का के खेत में चंडूल चिडि़या ने अपना घोंसला बनाया था। वह अपने बच्चो के साथ उस घोंसले में रहती थी। मक्के की फसल तैयार होने और कटने तक उनका घोंसला सुरक्षित था।

एक दिन चंडूल ने अपने बच्चो से कहा, “अब फसल तैयार हो गयी है और कटनेवाली है। इस लिए हमें कहीं और घोंसला बना लेना चाहिए।” दूसरे दिन किसान खेत में आया। उसने किसी से बातचीत करते हुए कहा,”कल में अपने रिश्तेदारों को बुलाकर फसल की कटाई करूँगा।”

किसान की यह बात चंडूल और उसके बच्चो ने सुनी बच्चो ने कहा, “माँ जल्दी कर कल सूर्य अस्त होने से पहले हमें यह घोंसला छोड़ देना चाहिए किसान कल फसल की कटाई करने वाला है।” माँ ने कहा, “घबराने की बात नही कल वह फसल की कटाई शुरू ही नही कर सकता।” दूसरे दिन किसान खेत पर आया। उसका कोई भी रिश्तेदार उसकी मदद करने नही पहुँचा था। इसलिए वह खाली हाथ वापस चला गया। जाते जाते उसने कहा कल में अपने पड़ोसियो को बुलाकर लाऊँगा और फसल की कटाई जरूर करूँगा। चूंडल के बच्चो ने फिर अपनी माँ से कहा, “माँ जल्दी कर अब हमें घोंसला छोड़ देना चाहिए पर माँ ने जवाब दिया, रूको! अभी घोंसला छोड़ने की जरूरत नही है।

अगले दिन ठीक वही हुआ, जैसा चंडूल ने सोचा था। किसान का कोई भी पड़ोसी उसकी मदद करने नही पहुँचा। मगर इस बार किसान ने कहा, अब दूसरों के भरोसे बैठे रहने से काम नही चलेगा। कल मैं खुद फसल की कटाई करूँगा।

यह सुनकर चंडूल ने अपने बच्चो से कहा, अब हमें तुरंत इस घोंसले को छोड़ देना चाहिए, क्योंकि कल किसान जरूर फसल की कटाई करेगा।

शिक्षा -अपना काम अपने ही भरोसे होता है ।